(hindi) 18 Minutes: Find Your Focus, Master Distraction, and Get the Right Things Done
इंट्रोडक्शन
क्या आप बड़े सपने देखते है?
आमतौर पर, जिन लोगों के सपने बड़े होते है, वो बहुत बिजी रहते है. उनके पास रोज़ करने वाली टास्क की एक लम्बी लिस्ट होती हैं. उनके पास सांस लेने तक की फुर्सत नहीं होती. लेकिन, ऐसा करना आपके और आपके गोल्स के लिए सही नहीं है.
अगर, आप हमेशा टायर्ड फील करेंगे तो आपमें किसी काम को जल्दी ख़त्म करने की एनर्जी नहीं बचेगी और आप क्रिएटिव भी नहीं रह पाएँगे.
इसके लिए आपको एक ऐसे सिस्टम की ज़रूरत पड़ेगी जो काम सच में करती है. ये बुक , आपको इम्पोर्टेन्ट चीज़ों पर फोकस करना और अपने काम को कैसे करना हैं , वो सिखाएगी .
इस बुक से आप अपने लाइफ को ऑर्गनाइज़ करना सीखेंगे. और, आप ये रियलाइज़ करेंगे कि कभी-कभी आपको रूककर, अपने लाइफ की स्ट्रेटेजी के बारे में दोबारा सोचना चाहिए ताकि आप बेहतर बन सके.
अपने रिएक्शन को कंट्रोल करके अपने लाइफ को कंट्रोल कैसे करना है, आप वो भी सीख जाएंगे. जब आप अपने इमोशंस को अपने फ़ैसले लेने देते हैं तो ये बहुत गलत होता है. इसलिए, आपको कुछ सिंपल ट्रिक्स सीखने होंगे.
क्योंकि खुद को पहचानने से ही सक्सेस का रास्ता खुलता हैं, ये बुक, आपको अपने पैशन को चुनने में गाइड करेगी. इसके लिए, आपको सबसे पहले इस बुक में बताए गए 4 एलिमेंट्स पर फोकस करना होगा.
अपने पैशन को ढूंढ़ने के बाद, आप अपने दूसरे स्टेप की तरफ बढ़ सकते हैं जो है अपने लाइफ के फोकस एरियाज को चूज़ करना. अगर आप अम्बिशयस है, तो इस चैप्टर से आप अपने स्कोप को बेहतर तरीके से समझेंगे और उसे बोझ जैसा महसूस नहीं करेंगे.
इन प्रिंसिपल्स को जान लेने के बाद, लास्ट चैप्टर आपको टाइम-मैनेजमेंट रूटीन सिखाएगी जिससे आपकी लाइफ बदल सकती हैं. तो क्या आप अपने लाइफ को 18 मिनट्स में चेंज करने के लिए तैयार है?
Reducing Your Forward Momentum
आगे बढ़ने की होड़ को कम करना
हम सब अपनी गलतियों को मानने से डरते है. कुछ लोग जब किसी प्रोजेक्ट को शुरू करते हैं तो फुल स्पीड में काम करते हैं. वो सोचते हैं कि ऐसा करने से उनको सक्सेस जल्दी मिल सकती हैं. लेकिन, कभी-कभी रूककर, सांस लेकर और फिर अपने स्ट्रेटेजी के बारे में दोबारा सोचना चाहिए.
जब भी आपको लगे कि आप कुछ गलत कर रहे हैं तो आपको कुछ देर के लिए खुद को स्लो कर देना चाहिए. अगर आप एक बहस या झगडे में फंसे हैं और आपको लग रहा हैं कि शायद आप गलत साइड खड़े हैं ,तो अपने स्पीड को स्लो करके, ध्यान से सोचना चाहिए कि आगे क्या कहना हैं.
दूसरी स्ट्रेटेजी हैं, रूककर फिर से शुरू करना. चलिए मानते हैं कि आप अपना एक बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं, और आपको लगता हैं कि आप गलत डायरेक्शन में जा रहे हैं या फिर आपका आईडिया सक्सेसफुल नहीं हो सकता. इससे पहले कि आप अपने फेल होते बिज़नेस में ज़्यादा टाइम और पैसे लगाए, आपको ऐसे सिचुएशन में रुककर, सब कुछ फिर से शुरू करना चाहिए.
आइये, डॉक्टर एलन रोसेनफील्ड का एग्जाम्पल लेते हैं. वो कोलंबिया स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के डीन थे और उन्होंने हमेशा दूसरों की मदद में ही अपना ज़्यादातर जीवन बिताया, ख़ासकर HIV लोगों की मदद में.
डॉक्टर एलेन एक बड़े लीडर थे और उनके गुज़र जाने के बाद स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ का नाम उनके ऊपर रख दिया गया.
एक बार डॉक्टर एलेन छोटे बच्चों को वेक्सिनेशन देने पर अपने दोस्त ली के साथ डिबेट कर रहे थे. डॉक्टर एलेन इस सब्जेक्ट में नॉलेज रखते थे और उनका मानना था कि बच्चों को वैक्सीन देना चाहिए. अपनी बात को सही साबित करने के लिए उन्होंने सॉलिड फैक्ट्स दिए जिसमें ये बताया गया कि किस तरह वैक्सीन ने लाखों लोगों को पोलियो और मीज़ल्स जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाया है.
दूसरी तरफ उनके दोस्त ली, वैक्सीन के खिलाफ थे. ली ने इंटरनेट में एक आर्टिकल पढ़ी थी जिसके बेसिस पर वे अपनी बात को सही मान रहे थे. उन्होंने कहा कि वो आर्टिकल साबित करता हैं कि वैक्सीन से काफी लोगों को नुक्सान पंहुचा हैं.
डॉक्टर एलेन इस सब्जेक्ट के एक्सपर्ट थे इसलिए वे ली के बिना ठोस सबूत वाले आर्टिकल के ऊपर हंस भी सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
उन्होंने गुस्सा करने और खुद को सही साबित करने के बजाय, बहस करना बंद कर दिया , थोड़ा स्लो हुए और थोड़ी देर सोचा. फिर, डॉक्टर एलेन ने ली से कहा कि उन्होंने उस आर्टिकल को नहीं पढ़ा हैं और उसे पढ़ने के बाद ही अपना फीडबैक देंगे.
काफी लोग ये सोचते हैं कि अगर वे अपनी गलती मानेंगे तो वे अपना सम्मान, पोजीशन और पावर खो देंगे. लेकिन, सच्चाई इसके ठीक उलटी हैं. पूरी दुनिया के सामने अपनी गलती को मानना, एक स्ट्रांग और मजबूत शख्स होने की निशानी हैं.
इसलिए अगर आपकी कोई बात या फिर कोई काम नहीं बन रहा तो उसे ख़त्म करके कुछ और नया शुरू करने में कोई गलत बात नहीं हैं. अपने ज़िद में अपने फ्यूचर के मौक़ों को मत खोइए. ऐसी सोच जो आपको रोके रखे, उसे छोड़ देनी चाहिए. यही सक्सेस पाने और आगे बढ़ने का रास्ता हैं.
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Where Do You Want To Land?
आपको कहाँ पहुंचना हैं?
आपको याद हैं, आपके स्कूल के मैथ्स टीचर को आप पसंद नहीं करते थे और उनकी ही वजह से आप मैथ्स में फ़ैल हो गए थे और शायद डिग्री भी नहीं ले पाए थे. बहुत सारे लोग ऐसी ही जाल में फंस जाते हैं क्योंकि हम बाहर के फैक्टर्स को हमारी प्रेजेंट सिचुएशन के नतीजों पर हावी होने देते हैं.
अपने फ़ैसलों के बारे में बात करें तो, हमें लगता हैं कि हमारे लाइफ का कंट्रोल हमारे हाथ में हैं, पर आप गलत हैं. अक्सर, किसी ट्रिगर पर जब आप बिना सोचे झट से रियेक्ट करते हैं, उसकी वजह से आप इन नतीजों पर पहुँचते हैं. एग्जाम्पल के लिए आपके मैथ्स टीचर, जिन्होंने आपको कम मार्क्स देने का डिसीज़न लिया.
आपको अपना फोकस बदलना होगा. लाइफ के ट्रिगर को हमारे नतीजों को कंट्रोल करने देने के बजाय आपको खुद ही अपने नतीजों को कंट्रोल करना होगा. आप ऐसा तभी कर पाएंगे जब आप ये सोच लेंगे कि आपको क्या नतीजा चाहिए. फिर, आपको स्लो हो जाना चाहिए और वैसा रिएक्शन ढूंढना चाहिए जो गारंटी देगी कि आपने जैसा सोचा हैं, वही नतीजा निकलेगा और आपको मनचाहा सक्सेस मिलेगा.
इस बुक के ऑथर पीटर एक कंसलटेंट भी हैं. उनके एक क्लाइंट का नाम हंटर था जिनकी कंपनी पर बहुत सारे केस चल रहे थे और उनका नाम प्रेस के सामने बहुत ही ख़राब था. पीटर, हंटर के प्रॉब्लम्स को सुलझाना चाहते थे.
एक दिन हंटर ने पीटर से कहा कि दिखने में वो उनके हेल्प के किए रेडी लगते हैं पर वे उनके कंपनी को इन प्रॉब्लम्स से उबार नहीं पाएंगे. हंटर ने पीटर से ये भी कहा कि उन्होंने पहले भी बहुत सारे कंसल्टेंट्स को हायर किया था और पीटर के फेल होने के बाद आगे भी कंसल्टेंट्स हायर करेंगे.
इस बात को सुनकर, पीटर को बुरा लगा और हंटर के ऑफिस से निकलने के बाद उन्होंने फ़ौरन अपने अंकल को कॉल किया और अंकल से कहा कि वे हंटर को पसंद नहीं करते इसलिए वे उसके कंपनी के लिए काम नहीं करेंगे.
अंकल इस बात को सुनकर हँसे और पीटर को एक इम्पोर्टेन्ट लेसन सिखाया. उन्होंने कहा कि ये ज़रूरी नहीं कि हम जिसके साथ बिज़नेस करते हैं, वो हमें पसंद आए. हमें तो बस अपने बिज़नेस या काम पर ध्यान देना चाहिए.
इसलिए पीटर ने डिसाइड किया कि वे हंटर के लिए काम करेंगे और वहाँ उन्होंने काफी सालों तक काम भी किया.
एक दिन पीटर हंटर के ऑफिस गए और वहाँ शेल्फ में अपनी लिखी हुई बुक देखी. पीटर ने पूछा कि क्या हंटर ने उस बुक को पढ़ा हैं? हंटर ने जवाब दिया, हाँ उसने वो बुक पढ़ी हैं और ये भी बताया कि बुक बहुत अच्छी हैं.उस एक बातचीत ने पीटर के मन में हंटर के लिए उनकी सारी
भावनाओं को बदल दिया. अब, वे हंटर को पसंद करने लगे थे.
अगर पीटर ने हंटर को नापसंद करने की वजह से उसके कंपनी में काम नहीं किया होता तो उन्हें वो जॉब नहीं मिलती जो उन्हें सालों तक पैसे देता रहा.
यही होता हैं जब हम अपने रिएक्शन को डिसाइड करने देते हैं कि हमें आगे क्या करना हैं. और, इन्हीं वजहों से हम बहुत सारे अच्छे मौक़े भी खो देते हैं.
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Choosing Your Next Move At The Intersection Of Four Elements
फोर एलिमेंट्स के इंटरसेक्शन पर अपना अगला कदम चुनिए
हम बहुत ही शोर-शराबे वाली दुनिया में रहते हैं और बहुत सारे चीज़ों को करना चाहते हैं. कभी-कभी हमें लगता हैं कि हम ये कर नहीं पाएंगे क्योंकि हमें पता ही नहीं होता कि क्या चूज़ करना हैं. फिर, आखिर में हम कुछ नहीं करने का फैसला लेते हैं.
आप अभी से इस पर काम करना शुरू नहीं करेंगे तो आगे जाकर लाइफ में इतने ज़्यादा मौके आएँगे कि आप distract हो सकते हैं . आपको चार एलिमेंट्स पर ही फोकस रखना हैं. फर्स्ट एलिमेंट, आपको अपनी ताकत के बारे में पता होना चाहिए और इसमें मास्टर बन जाने तक खुद को इम्प्रूव करना चाहिए. जब आप उस बात पर अपना फोकस रखते हैं जिसमें आप बेस्ट हैं तो आपके जीतने के ज़्यादा चान्स होते हैं.
सेकंड एलिमेंट, अपनी कमज़ोरियों से भागिए नहीं बल्कि उसे अपनाइये. इस कमज़ोरी से फायदा उठाने की कोशिश कीजिये. अगर लोगों को पता चलेगा कि आपको अपनी कमज़ोरियों से कोई तकलीफ नहीं हैं तो आपको कोई हरा नहीं पाएगा.
थर्ड एलिमेंट, अगर आपमें कुछ बात हैं जो सबसे यूनिक, सबसे अलग हैं तो उसे चेंज मत कीजिये. दुनिया से अलग और डिफरेंट होना बड़ी बात होती हैं. जब आप वही करते हैं जिसे पूरी दुनिया फॉलो कर रही हैं तो आप कम्पीटीशन में शायद ही जीत पाएँगे. इसलिए आपमें जो बात अलग हैं उसे एक एडवांटेज की तरह लीजिये और उसका फायदा उठाइये.
फोर्थ एलिमेंट हैं अपने लाइफ का पैशन ढूंढ़ना. जब आप आने वाले साल की प्लानिंग शुरू करेंगे तो आप फोकस अपनी इच्छा पर रखे, न की उन चीज़ों में जिससे आप पैसे बनाते हैं. आपका पैशन ही एक ऐसी चीज होनी चाहिए जिसे आप हमेशा कर सके और उसे करने के लिए कुछ सोचना न पड़े.
चलिए एक परफेक्ट एग्जाम्पल देखते हैं कि कैसे एक इंसान ने अपनी कमज़ोरी को अपनाकर उससे अपना काम बनाया.
जॉफ एक सक्सेसफुल आदमी हैं और बड़े दिलवाले होने के लिए बहुत फेमस हैं. चैरिटी फाउंडेशन को अपनी जायदाद का बड़ा हिस्सा देना उनका सबसे बड़ा अचीवमेंट था.
एक बार जॉफ अपने दोस्त के साथ लंच कर रहे थे , तभी वहाँ वेटर आर्डर लेने आया. जॉफ ने उससे श्रिम्प-सैलड मंगाया लेकिन कहा कि उन्हें अपना सैलड सैल्मन के साथ चाहिए, श्रिम्प के साथ नहीं.
वेटर ने हंसकर जॉफ से कहा कि वो इसका अरेंजमेंट कर लेगा और कहा कि इसके लिए उन्हें एक एक्स्ट्रा डॉलर देने पड़ेंगे क्योंकि सैल्मन श्रिम्प से ज़्यादा महंगा हैं.
कुछ पल सोचने के बाद जॉफ ने कहा कि अब वे श्रिम्प ही लेंगे, सैल्मन नहीं. हालांकि, जॉफ काफी अमीर हैं लेकिन फिर भी वे एक डॉलर की भी कीमत समझते हैं. कुछ लोग कह सकते हैं कि जॉफ बहुत कंजूस हैं या फिर अजीब हैं लेकिन उन्हें जॉफ की इस सोच के बारे में कुछ नहीं पता जिसने उन्हें सक्सेस्फुल बनाया हैं.
जॉफ अपने प्रिंसिपल्स को बहुत ही स्ट्रिक्टली फॉलो करते हैं. उनका मानना हैं कि अगर कोई चीज़ रिटर्न में डबल वैल्यू नहीं देती तो उसके लिए अपने पैसे लगाना बेकार हैं, फिर चाहे वो एक डॉलर ही क्यों न हो.
जॉफ एक ऐसे एग्जाम्पल हैं जिन्होंने अपनी कमज़ोरी को अपने खिलाफ नहीं बल्कि अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. इन्हीं प्रिंसिपल्स की वजह से उन्होंने अपना दौलत बनाया. जॉफ का पैसे के लिए जो ये अजीब नज़रिया हैं, उसे उन्होंने दिल से अपनाया हैं.
अगर आप एक ऐसी जिंदगी जीना चाहते हैं जो दूसरों से अलग हैं तो आपको खुद को पहचानना होगा. आपको अपनी ताकत और कमज़ोरी के बारे में भी पता होना चाहिए ताकि आप उन पर फोकस करके उन्हें अपने काम में लगा सके. दूसरों से अलग होने की वजह से आपको शर्मिंदा होने की ज़रूरत नहीं हैं. आपको सक्सेसफुल बनना हैं क्योंकि आप अलग हैं, यूनिक हैं.