(hindi) Brain Rules for Aging Well: 10 Principles for Staying Vital, Happy, and Sharp

(hindi) Brain Rules for Aging Well: 10 Principles for Staying Vital, Happy, and Sharp

इंट्रोडक्शन ( Introduction)

क्या आपने कभी खयालों में ख़ूबसूरती से ख़ुद को बुढ़ापे की ओर जाते हुए देखा है? क्या आपने कभी अपने माता-पिता या दादा-दादी को देखकर सोचा है कि क्यों उनके सोचने का और चीज़ों को करने का तरीका आपसे बिलकुल अलग है? क्या आपको लगता है कि आप बुढ़ापे के असर से बच जायेंगे?

बुढ़ापा को तो आना ही है. जवानी बहुत जल्दी बीत जाती है और आपको पता ही नहीं चलता है कि कब आपने अपने जोड़ो के दर्द कि शिकायत करना शुरू दी है या आप कब कुछ ज़रूरी चीज़े भूलना शुरू कर चुके है जैसे कि घर की चाबी या अपने बच्चो के बर्थडेज़ को भूल जाना . हालांकि बहुत सारे साइंटिस्ट के स्टडीज ने एक पॉइंट को prove किया है, वह ये है कि बूढ़े होने के प्रोसेस में जितने भी मुश्किलें आती है, आप उसे पार कर सकते हैं.

इस बुक में आप सीखेंगे कि अपने ब्रेन का ध्यान किस तरीके से रखे जिससे आप बुढ़ापे के बुरे असर को धीमा कर सकते हैं और उसे रोक भी सकते हैं . आप अपने माइंड को तेज़ और अपने बॉडी को फिट और एक्टिव रखने का तरीक़ा भी सीखेंगे.

इस बुक में active होकर भाग लीजिये क्योकि इसमें ज़िन्दगी को शानदार, खुशहाल और तेज़ी से जीने के लिए बेहतरीन explanation के साथ ऐसे टिप्स दिए गए है जिसे साइंस ने भी माना है. यह बुक आपको यह एहसास कराएगी कि ज़िन्दगी को पूरी तरीके से जीने के लिए, आपको अपने ब्रेन की देखभाल करनी चाहिए. आपको अपने सेहत की पहले से भी ज़्यादा कदर करनी चाहिए.

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आप दूसरों के दोस्त बनिए ,और खुद को भी दूसरों के दोस्त बनने दे
(Be a friend to others, and let others be a friend to you )

क्या आपको याद है कि आपने आखिरी बार अपने दोस्तों से कब मुलाकात की थी? लोगों से मिलना जुलना आपके दिमाग़ के लिए मल्टी विटामिन के जैसा है जिससे आपके cognitive abilities मज़बूत होते है. सोसाइटी में बहुत ज़्यादा मेलजोल रखने वाले बुज़ुर्ग और बिलकुल कम मेलजोल रखने वाले बुज़ुर्गों की मेमोरी में कमी के बीच फ़र्क की स्टडी की गई . इसमें ये पाया गया कि ज़्यादा मेलजोल रखने वालो की मेमोरी, कम मेलजोल रखने वालों के मुकाबले धीरे रेट पर कमजोर हो रही थी और scientific studies में पाया गया कि cognitive abilities और social interaction के बीच काफ़ी गहरा रिश्ता होता है.

सोसाइटी से अलग रहने वाले और हिल-डुल न सकने वाले बुज़ुर्गो के लिए दूसरे लोगों से बातचीत कर पाने का रास्ता इंटरनेट बनाता है. एक स्टडी के अनुसार, बुज़ुर्गो के दिमाग़ के काम करने के फंक्शन में और उनके लैंग्वेज स्किल्स में बहुत ज़्यादा इम्प्रूवमेंट देखने को मिली . ऐसा इसलिए हुआ क्योकि वे विडिओ चैट करते थे. ये इम्प्रूवमेंट उन बुज़ुर्गो में भी पाई गई जो सिर्फ़ फ़ोन पर बात करते थे. इसका मतलब ये हुआ कि जितना ज़्यादा लोगों से contact बढ़ता है, उतना ही ज़्यादा लोगों का experience अच्छा होता है.

Socialize करना आपके दिमाग़ के लिए एक खेल की तरह है, पर सारे सोशल मेलजोल का असर दिमाग़ के फंक्शन के लिए बेहतर साबित नहीं होते. स्ट्रेस को कम करने वाले और बेहतरीन क्वालिटी के रिश्ते जैसे कि एक कामयाब शादी-शुदा ज़िन्दगी, बढ़ती उम्र में काफ़ी मदद करते है. लेकिन जिनका सामना बुरे सोशल मेलजोल से होता है, उनके दिमाग़ पर बुरा असर भी हो सकता है.

उम्र के साथ-साथ अकेलापन भी बढ़ता है खासकर इसलिए क्योकि बुढ़ापे तक आते-आते काफ़ी दोस्त और रिश्तेदार गुज़र चुके होते है. बुढ़ापा शरीर और दिमाग़ को कमज़ोर कर देता है और इससे brain damage भी हो सकता है. इसलिए कहा जाता है कि बुजुर्गो को young generation के लोगों के साथ रिश्ते बनाने चाहिए. इससे स्ट्रेस, चिंता और डिप्रेशन जैसी  मानसिक बीमारियों को दूर रख सकते है.

इसके अलावा, डांस करना भी बुज़ुर्गों के लिए एक मज़ेदार एक्टिविटी है. ये सेहत को बेहतर करता है और सोशल एक्टिविटी बढ़ाता है. जो बुज़ुर्ग डांस करते है उनके cognitive abilities बेहतर होते है.

ब्रुक एस्टर, एक राज घराने की वारिस और कला को पसंद करने वाली लड़की थी . उनकी शादी एक ऐसे आदमी से हुई थी जिनके पिताजी की मौत टाइटैनिक के हादसे में हुई थी. ब्रुक ने अपने social टाइम टेबलवर इस तरह से रखा था जिसके लिए उन्हें एक दिन में चार बार अपने कपडे बदलने पड़ते थे.

सबसे पहले ब्रुक ने अपने शहर के एक कैफ़े में लंच किया, फिर बोर्ड मीटिंग के लिए उस मॉडर्न आर्ट म्यूजियम में गई जहाँ कि वो ट्रस्टी थी. उसके बाद, वह शाम को कार्नेगी में कॉन्सर्ट (concert) देखने गई. शो ख़त्म होने के बाद वहाँ डिनर का इंतज़ाम किया गया था. रात ख़त्म होने से पहले, ब्रुक अपने दोस्तों के साथ देर रात तक ड्रिंक्स लेती थी और जब तक वो घर पहुँचती तब तक कई फोटोग्राफर उसकी तसवीरें लेने उसके पीछे लगे रहते थे.

यहाँ तक कि उनके social activities से बीस साल की उनकी सेक्रेटरी भी थक जाती थी. सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि ब्रुक एस्टर 98 साल की है . क्या आप रोज़ के इतने सोशल मीटिंग हैंडल कर सकते हैं? Social interaction के द्वारा ब्रुक ने अपने माइंड को तेज़ बना लिया था और वो एक बढ़िया और लाजवाब वाइन की तरह बूढ़ी हो रही थी.

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सचेत होना सुकून देता है और मन को बेहतर बनाता है
(Mindfulness not only soothes but improves)

क्या स्ट्रेस किसी मकसद से होता है? पहला, स्ट्रेस को झेलते-झेलते आप जैसे बन जाते है उससे जीने में मदद मिलती है. ये आपको हर खतरे से बचाती है . पर आपको एक बात ध्यान में रखना  होगा, स्ट्रेस हमेशा के लिए नहीं रहता . अगर आप बहुत लम्बे समय के लिए स्ट्रेस में रहते है तो आपके दिमाग़ का सारा सिस्टम खराब हो सकता है.

जब आप स्ट्रेस में होते हो तो आपका शरीर खून में हॉर्मोन्स (hormones) को छोड़ता है. ये हॉर्मोन्स है- epinephrine और norepinephrine . ये दोनों मिलकर आपके बॉडी को किसी भी खतरे के लिए तैयार करते हैं. जैसे कि मान लीजिए कि एक भालू आपकी तरफ़ बढ़ रहा है, तब ये हॉर्मोन्स अपना काम करते है. इन सब में काफ़ी एनर्जी लग जाती है इसलिए एक दूसरा हार्मोन कोर्टिसोल (cortisol) इस पर काम करता है. इन हॉर्मोन्स के बॉडी में रहने का मतलब है कि ये एक सिग्नल है जो आपसे “फाइट या फ्लाइट” (fight or flight) में से चुनने के लिए कहता है.

दिमाग के एक ऐसा हिस्सा जो सी-हॉर्स के आकार जैसा है, जिसे हिप्पोकैम्पस (hippocampus) कहते है, वह आपके हॉर्मोन्स के लिए मॉडरेटर का काम करते है. इसे पता चल जाता है कि कब इसको आपके ” फाइट या फ्लाइट वाले instinct से छुटकारा पाना है. पर कभी-कभी कोर्टिसोल आपके दिमाग़ में ज़्यादा ही देर तक रह जाते है और हिप्पोकैम्पस इन हॉर्मोन्स को ख़त्म नहीं कर सकते. आप जैसे-जैसे बूढ़े होते है आपका हिप्पोकैम्पस कोर्टिसोल को बंद करने की क्षमता  खो देती है.

लम्बे समय तक स्ट्रेस रहने के कारण आपके दिमाग़ में असर पड़ सकता है. सबसे पहले ये आपके हिप्पोकैम्पस पर असर करता है जहाँ आपकी memory होती है. दूसरा, ये आपके प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स (prefrontal cortex) पर असर कर सकते है . ये दिमाग़ का वह हिस्सा है जो planning, working memory और personality development को संभालते है. तीसरा, ये अमिग्डाला (amygdala) पर भी असर करते है जो आपके भावनाओ को कंट्रोल करने की जगह है.

जैसा कि बताया गया है, दिमाग़ के बिगड़ते हुए हालत के लिए उम्र एक बड़ा factor है. इसलिए उम्र को लेकर पॉजिटिव रहना बहुत ही ज़रूरी है. अगर आप ख़ुद की उम्र से कम उम्र का महसूस करेंगे तो आपके cognitive abilities बेहतर काम करते है. सचेत या माइंडफुल  रहने की प्रैक्टिस करते रहने से स्ट्रेस भी दूर होता है. बुद्धिस्ट (Buddhist) धर्म के जड़ो से जुडी,  माइंडफुल रहना ध्यान के एक्ससरसाइस की ही सीरीज है. इस की मदद से आप अपने अतीत के बजाय अपने आज पर ध्यान दे सकते है. ये बुज़ुर्गो के लिए स्ट्रेस को दूर करने की थेरपी  है जिससे उनको बहुत फायदा होता है.

बहुत बढ़िया sense of humor होना स्ट्रेस और बुढ़ापे के असर से लड़ने के लिए एक दूसरा तरीक़ा है. रे जेस्सेल (Ray Jessel,) 84 साल के एक singer-song writer है जो America' s got talent में भाग लेने गए थे. उन्होंने एक सूट पहना था और उनके आइंस्टाइन (Einstein) की तरह सफ़ेद बाल थे.

पहले सभी जजों को लगा कि उनका एक्ट बहुत ही boring होगा. लेकिन जब रे ने अपना पियानो बजाया और ख़ुद का गाना गाया तो सब हैरान रह गए और हंस पड़े. उस बुज़ुर्ग ने  बहुत ही शरारती लव सॉन्ग लिखा था. इस गाने की धुन बहुत catchy थी और lyrics बहुत मजेदार और witty थे. आप YouTube पर उनका वीडियो भी देख सकते हैं जिससे आपको हंसी आएगी.

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