(hindi) THE INNOVATORS DILEMMA

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इंट्रोडक्शन

टेक्नोलॉजी के बारे में तो हम सब ने सुना है लेकिन ये disruptive टेक्नोलॉजी क्या होती है? क्यों कुछ कंपनियां disruptive टेक्नोलॉजी के सामने फेल हो जाती हैं तो वहीँ कुछ कंपनियां बराबरी की टक्कर देकर इस दौड़ में बनी रहती हैं? मार्केट में आने वाली नई नई disruptive टेक्नोलॉजी के बीच कंपनियां इस बात का कैसे ध्यान रख सकती हैं कि वो भी competitive बनी रहे?

वैसे इसका जवाब सिंपल नहीं है लेकिन कई कंपनियां जैसे IBM और हौंडा इसमें सक्सेसफुल रही हैं. तो इसके पीछे राज़ क्या है? ये सब स्ट्रेटेजी, प्लानिंग और एक ऐसे मार्केट की पहचान करने की एबिलिटी है जो अभी तक सामने नहीं आई है. ये बदलाव और नई opportunity के लिए अपनी सोच को बड़ा करने और अपने माइंड को खोलने के बारे में है.

इस बुक में आप सीखेंगे कि disruptive टेक्नोलॉजी क्या होती है और कई कंपनियां इसके कारण क्यों फेल हो जाती हैं. आप ये भी सीखेंगे कि किसी disruptive टेक्नोलॉजी के मार्केट में आ जाने से आप अपनी कंपनी को कैसे बचा सकते हैं. तो क्या आप अपनी कंपनी के लिए बेस्ट सर्वाइवल स्किल्स सीखने के लिए तैयार हैं? तो चलिए बिना देर किए शुरू करते हैं.

पहले समझते हैं कि टेक्नोलॉजी में दो तरह के इनोवेशन होते हैं – sustaining और disruprive. Sustaining का मतलब जहां कंपनी अपने मौजूदा प्रोडक्ट को फ़ीडबैक के बेसिस पर इम्प्रूव कर मार्केट की करंट डिमांड को पूरा करती है. इसका मार्केट पर ज़्यादा इम्पैक्ट नहीं होता है. इनका फोकस शोर्ट टर्म के लिए होता है. वहीँ disruptive इनोवेशन मार्केट को बड़े रूप में इम्पैक्ट करते हैं.

वो ऐसे प्रोडक्ट या सर्विस बनाते हैं जो एक पूरा नया मार्केट क्रिएट कर देता है. ये अलग वैल्यू और सर्विस ऑफर करते हैं जो पहले किसी ने ऑफर किया ही नहीं. ये मार्केट के फ्यूचर ज़रूरतों पर फोकस करता है यानी लॉन्ग टर्म पर. आमतौर पर इसकी शुरुआत में लो परफॉरमेंस और लो क्वालिटी प्रोडक्ट देखने को मिलते हैं लेकिन जब इसका मार्केट बढ़ने लगता है तो ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट को इम्प्रूव करने लगती हैं.

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डिस्क ड्राइव का main काम होता है डिस्क पर डेटा को लिखना और रीड करना. इस इंडस्ट्री में कदम रखने वाली पहली कंपनी IBM थी. पहली डिस्क ड्राइव को IBM में काम करने वाले researchers की एक टीम ने 1952 और 1956 के बीच बनाया था. जैसे-जैसे IBM डिमांड को पूरा करने के लिए ड्राइव बनाता जा रहा था, वैसे ही एक और कंपनी ने मार्केट में कदम रखा. 1960 में कुछ फर्म Plug Compatible Market (PCM) कांसेप्ट लेकर आए. इन कंपनियों ने IBM डिस्क ड्राइव का बेटर version IBM के क्लाइंट्स को कम दाम पर बेचना शुरू कर दिया. 1970 के आस पास, कई छोटी कंपनियों ने मार्केट में enter किया और डिस्क ड्राइव बनाने लगे.

1976 तक डिस्क ड्राइव इंडस्ट्री की वैल्यू 1 बिलियन डॉलर हो गई थी. यहाँ से ज़बरदस्त competition, तेज़ी से ग्रोथ और टेक्नोलॉजी में इम्प्रूवमेंट की शुरुआत हुई. 1980 तक PCM पुरानी और बेकार हो गई थी और अब कई कंपनियों ने Original Equipment Market (OEM) को बनाना शुरू किया. 1976 में, IBM को छोड़कर 17 बड़ी कंपनी को या तो किसी दूसरी कंपनी के ख़रीद लिया था या वो फेल हो गए थे. 1995 तक, 129 नई कंपनियों ने इस इंडस्ट्री में कदम रखा जिसमें से 109 फेल हो चुके थे.

लेकिन ये सब हुआ क्यों? disruptive टेक्नोलॉजी के आने के कारण ये कंपनियां फेल हो गई थीं. IBM लगातार इनोवेशन करता रहा इसलिए वो अब भी मार्केट में टिका हुआ था और सक्सेसफुल भी था. डिस्क ड्राइव का साइज़ disruptive टेक्नोलॉजी का एक एग्ज़ाम्पल है. शुरुआत में डिस्क ड्राइव का diameter 14 इंच था, उसके बाद 8 इंच हुआ और अंत में उसका साइज़ 1.8 इंच हो गया. 8 इंच की ड्राइव मिनीकंप्यूटर के लिए परफेक्ट थी लेकिन 5.25 इंच की ड्राइव उनके लिए काम की नहीं थी इसके बजाय वो पर्सनल कंप्यूटर के लिए ज़्यादा परफेक्ट थी.

1980 और 1982 के बीच, मार्केट में पर्सनल डेस्कटॉप computer आने लगे. कई लोग और कंपनियां इन छोटे और हल्के डेस्कटॉप कंप्यूटर को लेने में दिलचस्पी दिखाने लगे. इसके कारण, 5.25 इंच ड्राइव की डिमांड बढ़ गई क्योंकि वो इन computers के लिए बिलकुल अच्छे से काम कर रहे थे. इसलिए, 8 इंच डिस्क ड्राइव की सेल गिरने लगी और जो कंपनियां पूरी तरह इस पर डिपेंड करती थी वो एक एक कर मार्केट से बाहर होने लगे.

ऐसा नहीं है कि disruptive टेक्नोलॉजी ने सिर्फ़ नुक्सान ही किया है, इसने कई कंपनियों को जन्म भी दिया है. इसका एक एग्ज़ाम्पल है शुगार्ट एसोसिएट्स (Shugart Associates). उन्होंने 1978 और 1980 के बीच इंडस्ट्री में कदम रखा था. वो 40 MB की कैपेसिटी के साथ 8 इंच की डिस्क ड्राइव बनाने में माहिर थे. इन ड्राइव्स को मेनफ्रेम manufacturers को नहीं बेचा जा सकता था. इसलिए शुगार्ट ने इसे मिनी कंप्यूटर बनाने वालों को बेचना शुरू किया. उनके कस्टमर, जिनमें DEC और HP शामिल हैं, शुरू में 14 इंच की ड्राइव इस्तेमाल कर रहे थे. जब शुगार्ट ने उन्हें 8 इंच की ड्राइव ऑफर की तो DEC और HP ने इसे अपने सिस्टम में शामिल कर लिया क्योंकि ये साइज़ में छोटे और ज़्यादा बेहतर थे. इस तरह, 8 इंच की ड्राइव मिनी कंप्यूटर manufacturers के बीच popular हुई.

1985 के बीच तक, 8 इंच की ड्राइव बनाने वाली कंपनियों ने मेनफ्रेम की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इसकी स्टोरेज कैपेसिटी को बढ़ाना शुरू कर दिया. इसके अलावा, 8 इंच की ड्राइव इसलिए भी बेहतर थी क्योंकि 14 इंच की ड्राइव की तुलना में इससे निकलने वाली वाइब्रेशन कम थी.

चार पांच सालों के अंदर ऐसा लगने लगा जैसे 8 इंच की ड्राइव ने मार्केट में धावा बोल दिया था और 14 इंच की ड्राइव को मार्केट से निकाल दिया था. 8 इंच ड्राइव की डिमांड इसलिए बढ़ी क्योंकि इसने कैपेसिटी और प्राइस दोनों जगह बेहतर परफॉर्म किया था. दूसरी ओर, 14 इंच बनाने वाले फेल इसलिए हुए क्योंकि उन्होंने उस समय 8 इंच की ड्राइव बनाने के बारे में बिलकुल सोचा ही नहीं. किसी भी कंपनी को ये पता होना चाहिए कि नए प्रोडक्ट मार्केट में आकर कभी भी डिमांड को पलट सकते हैं जिनके सामने उनकी टेक्नोलॉजी पुरानी और बेकार लगने लगेगी.

कुछ कंपनियां अपने करंट प्रोडक्ट की सक्सेस के कारण इसे देखने में फेल हो जाती हैं. उन्होंने disruptive टेक्नोलॉजी के पोटेंशियल को समझने में गलती की जिसके कारण वो मार्केट से बाहर हो गए.

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WHAT GOES UP CAN'T GO DOWN

कुछ कंपनियां ज़्यादा पैसे देने वाले क्लाइंट्स की खोज कर के ख़ुद को मार्केट में बनाए रखती हैं. लेकिन किसी भी कंपनी को मार्केट में जमे रहने के लिए, जो भी प्रोडक्ट मार्केट में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है उसका मुक़ाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए. आप स्टील इंडस्ट्री में इस ट्रेंड को देख सकते हैं.

1960 के आस पास स्टील बनाने वाली कंपनी मिनिमिल्स (mini-mills) को अपने प्रोडक्ट मार्केट में बेचने की परमिशन दे दी गई. मिनिमिल्स recyled metal  यानी स्क्रेप को यूज करके उन्हे बार, रोड या शीट की शेफ देती थी। ये बड़े इंटीग्रेटेड मिल्स से अलग होते हैं. इंटीग्रेटेड मिल्स बड़े मिल्स थे जो iron-ore से नया स्टील बनाते हैं. इसका अलावा, मिनिमिल्स और इंटीग्रेटेड मिल्स का प्रोडक्शन स्केल बहुत अलग होता है. नार्थ अमेरिका में दुनिया के सबसे efficient मिनिमिल्स हैं. 1990 में सबसे efficient इंटीग्रेटेड मिल को 2.3 labor hours की ज़रुरत होती थी जबकि मिनीमिल को per टन के लिए 0.6 labor hours की.

एक अच्छे मिनिमिल को बनाने के लिए लगभग 400 मिलियन डॉलर की ज़रुरत पड़ती थी जबकि एक इंटीग्रेटेड मिल की कॉस्ट 600 मिलियन डॉलर थी. इसलिए नार्थ अमेरिका में हर इंडस्ट्री स्टील को फ़िर से बनाने और उसे शेप देने के लिए मिनिमिल्स का इस्तेमाल करती थी. लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि इंटीग्रेटेड मिल्स ने कभी भी मिनिमिल्स में यूज़ की जाने वाली टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करने के बारे में नहीं सोचा. ऐसा करने में कितना बड़ा फ़ायदा था क्योंकि तब वो मार्केट से मिनिमिल्स को बाहर कर सकते थे.

असल में इंटीग्रेटेड मिल्स के मैनेजर रिस्क लेने से डरते थे. Bethlehem Steel Corp और U.S steel corp जैसी कंपनियां बंद हो गई क्योंकि वो बराबरी की टक्कर ही नहीं दे पाए.
दूसरी ओर, एक इंटीग्रेटेड मिल USX ने अपनी मशीनों की एफिशिएंसी को 9 से 3 labor घंटे per टन बढ़ा दिया था. इन सब के बावजूद भी हर कोई मिनिमिल्स के पास ही जा रहा था. तो आख़िर प्रॉब्लम थी क्या?

इसका जवाब ये है कि मिनिमिल्स disruptive टेक्नोलॉजी बन गए थे. 1960 में इसकी शुरुआत के दौरान, मिनिमिल्स के पास अच्छी क्वालिटी के प्रोडक्ट्स बनाने का पोटेंशियल था. जब वो मार्केट में कदम रख रहे थे उस वक़्त इंटीग्रेटेड मिल्स ज़्यादा popular और भरोसेमंद हुआ करते थे. वो हर तरह का cast और रिशेप बना सकते थे. वो बस एक चीज़ नहीं कर रहे थे, rebar नहीं बनाते थे. इसलिए मिनिमिल्स के पास बस यही सेगमेंट था. Rebar को कंस्ट्रक्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता था. Rebar ऐसी चीज़ नहीं थी जिसे ज़्यादा लोग ख़रीदते थे और इसमें प्रॉफिट भी नहीं था. इंटीग्रेटेड मिल्स इसे मिनिमिल्स के लिए छोड़ने के लिए तैयार थे. लेकिन मिनिमिल्स इससे निराश नहीं हुए और उन्होंने इस बिज़नेस में ख़ुद को जमाना शुरू कर दिया. उन्होंने हाई क्वालिटी और बड़े bars के प्रोडक्शन में इंवेस्ट करना शुरू किया.

1990 तक, मिनिमिल्स ने steel के साथ साथ rod, bar और angle iron भी बनाना शुरू कर दिया था. इस समय के दौरान, इन प्रोडक्ट्स से होने वाला प्रॉफिट काफ़ी कम था. इंटीग्रेटेड मिल्स इससे भी ख़ुश थे क्योंकि उन्हें कोई loss नहीं हो रहा था.

अब मिनिमिल्स ने ऐसी चीज़ बनाकर मार्केट पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया जो इंटीग्रेटेड मिल्स नहीं बना रहे थे. 1992 आने तक, इंटीग्रेटेड मिल्स मार्केट से बाहर होने लगे और मिनिमिल्स मार्केट को dominate करने लगे. यहाँ समझने वाली सबसे ज़रूरी बात ये है कि 1980 के समय में, इंटीग्रेटेड मिल्स ने ज़्यादा पैसे देने वाले क्लाइंट्स को टारगेट कर भारी प्रॉफिट कमाया था. एक तरफ़ जहां ये स्ट्रेटेजी अच्छी थी लेकिन दूसरी ओर उन्होंने कम कॉस्ट पर ज़्यादा हाई क्वालिटी प्रोडक्ट्स बनाने के लिए अपनी मशीनों को इम्प्रूव करने के बारे में सोचा ही नहीं  और यही उनकी सबसे बड़ी भूल थी. इस वजह से, इंटीग्रेटेड मिल्स जड़ से उखड़ने लगे और मिनिमिल्स जिन्हें वो बेकार समझते थे, उनसे आगे निकल गए.

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