(hindi) HOW TO HAVE CONFIDENCE AND POWER IN DEALING WITH PEOPLE

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इंट्रोडक्शन (INTRODUCTION)

क्या आपको लोगो के साथ डील करने में प्रोब्लम होती है? जिन्हें आप पर्सनल लेवल पर नही जानते, क्या आप उनसे बात करते वक्त एक सोशल एन्जाईटी फील करते हो ? क्या आपको पता है कि दूसरों के साथ आपका बिहेवियर काफी कुछ इस बात पे डिपेंड करता है कि आप खुद के बारे में क्या सोचते हो.

किसी अजनबी से बात करने में डर लगता है? क्या आपको पता है कि इंसान अगर चाहे तो एक एक्सीलेंट कम्यूनिकेटर बन सकता है? और क्या आपको ये पता है कि आपके अंदर वो पॉवर है कि आप अपने लिए लोगो के एक्श्न्स और एटीट्यूड में चेंज ला सकते हो? हर प्रोब्लम की तरह इन सब सवालों का भी जवाब मौजूद है जो आपको इस बुक के अंदर मिलेगा.

हमारी इस दुनिया में सिर्फ दो ही चीज़े है जो लोगो को चाहिए- सक्सेस और हैप्पीनेस यानी सफलता और खुशियाँ. इस बुक में आपको पता चलेगा कि कैसे आप इस बुक में दिए गए टिप्स अपनी लाइफ में अप्लाई करके सक्सेस और हैप्पीनेस दोनों पा सकते हो. इस बुक से हम सीखेंगे कि दूसरो पर अपना अच्छा इम्प्रेशन कैसे डाल सकते है. और ये बुक आपको ये भी सिखाएगी कि हमारे वर्ड्स में एक पॉवर होती है और उस पॉवर का यूज़ हमे कैसे करना है. ये बुक हमे ह्यूमन रिलेशंस और हमारी लाइफ में इसकी इम्पोर्टेंस के बारे में भी बताती है.

इस बुक को पढ़ने के बाद आप लोगो से कुछ इस तरीके से डील करना सीख जाओगे कि जो आपको उनसे चाहिए वो आपको मिल सके. आपको ये भी पता चलेगा कि आप आज तक क्या गलती करते आ रहे थे और उन गलतियों को कैसे ठीक किया जाए ताकि आपके साथ—साथ दूसरों की लाइफ में भी एक चेंज आए. ये बुक आपको सिखाएगी कि कैसे चीजों को अपने फेवर में किया जाए और कैसे हर आर्ग्यूमेंट को जीता जाए.

ये बुक उन लोगो की आँखे खोल कर रख देगी जो शर्माते है, लोगो से बात करने में डरते है और बहुत ज्यादा सेल्फ कांशस है मगर वो ये नही जानते कि उनकी ये सारी प्रोब्लम्स सिर्फ इसलिए है क्योंकि उन्हें लोगो से डील करनी नहीं आती.

तो क्या आप रेडी है खुद में इम्प्रूवमेंट लाने के लिए? वो इंसान बनने के लिए जो आप कभी बनने का सोच भी नहीं सकते थे? ये बुक पढ़िये ! ये आपको लोगो से ना सिर्फ बैटर ढंग से डील करना सिखा देगी बल्कि आपके सक्सेस और हैप्पीनेस में एक स्टेपिंग स्टोन भी प्रूव होगी.

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कॉमन डेनोमीटर् टू आल सक्सेस एंड हैप्पीनेस इज़ अदर पीपल (The Common Denominator to all Success and Happiness is Other People

मेन आईडिया (MAIN IDEA)

अगर कोई पूछे कि सक्सेस और हैप्पीनेस क्या होती है तो इस बारे में लोगो के अलग-अलग जवाब मिलेंगे. क्योंकि हर किसी के लिए सक्सेस और हैप्पीनेस की डिफरेंट मीनिंग है. जैसे कि मेरा सक्सेस का आईडिया शायद आपसे अलग होगा. या मेरी ख़ुशी आपकी ख़ुशी से डिफरेंट हो सकती है. लेकिन एक चीज़ इन दोनों में सेम है और वो ये कि हम अपनी खुशियाँ और सक्सेस दूसरों की हेल्प के बिना अचीव कर ही नहीं सकते है.

जरूरी नहीं कि हम उनकी हर बात से एग्री करे या उनसे कनेक्ट करे और उनके साथ हार्मोनी में रहे. अपने आस-पास देखो और ओब्ज़ेर्व करो. कभी गौर किया है कि मोस्ट सक्सेसफुल लोग दूसरों के साथ किस तरह से कम्यूनिकेट करते है ? जैसे कि आपने डॉक्टर्स, लॉयर्स, पब्लिक सर्वेन्ट्स, पोलीटीशियंस, टीचर्स, साइंटिस्ट और कई और लोगो को देखा होगा. इनमे से हर किसी की सक्सेस दूसरों पर डिपेंड है और सेम यही चीज़ आपके साथ भी है. आप चाहे कितने भी स्मार्ट, सुंदर या अमीर क्यों ना हो जब तक लोग आपका साथ नहीं देंगे या आपके साथ उनके रिलेशंस अच्छे नहीं होंगे, आप सक्सेसफुल हो ही नहीं सकते.

स्टोरी :

एक कहावत है” नो मेन इज़ एन आईलैंड” यानी कोई इंसान खुद में पूरी दुनिया नही होता. हम कभी भी अकेले रहकर सर्वाइव नही कर सकते क्योंकि हमे किसी न किसी की जरूरत हमेशा पड़ेगी. आज के मॉडर्न टाइम में हम तक तक सक्सेसफुल तभी होंगे जब हमे दूसरों के बारे में भी सोचेंगे.
डॉक्टर्स और लॉयर्स दो ऐसे प्रोफेशन है जहाँ लोग लोग ट्रस्ट नही करेंगे तो उनकी प्रोब्लम सोल्व नही हो पाएगी. अगर लोगो के साथ इनका भरोसेमंद रिश्ता नही है तो इन्हें ना तो पेशेंट्स मिलेंगे और ना ही क्लाइंट्स. असल में डॉक्टर्स और लायर्स अपने क्लाइंट्स की वजह से ही सक्सेसफुल और फेमस होते है.

एक सेल्सगर्ल जो किसी स्टोर को मैनेज करती है, जिसे प्रोडक्ट्स बेचने में एक ख़ुशी मिलती है, उसका स्मार्ट या सुंदर होना उतना जरूरी नहीं जितना कि लोगो के साथ कनेक्ट होना. अगर उसे कस्टमर्स के साथ डील करनी आती है तो लोग उससे प्रोडक्ट खरीदना पसंद करेंगे और उसकी सेल्स ऑटोमेटिकली बढती जायेगी.

हम सब अपनी लाइफ में सक्सेस और हैप्पीनेस चाहते है और हमारी ये चाहत काफी कुछ इस बात पे डिपेंड करती है कि हम लोगो से किस तरह डील करते है.

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बीइंग इन गुड टर्म्स विद योरसेल्फ मीन्स बीइंग इन गुड टर्म्स विद अदर्स (Being in Good Terms with Yourself Means Being In Good Terms with Others.

मेन आईडिया : MAIN IDEA:

क्या आपने कभी नोट किया है कि जब आप अंदर से खुश नही होते तो दूसरों के साथ आपका बिहेवियर भी चेंज हो जाता है ? लेकिन वहीँ जब हम सेटिसफाईड और खुश रहते है तो दूसरों के साथ और ज्यादा अच्छे से पेश आते है, हम और ज्यादा काइंड और दिलदार हो जाते है. ये एक बेसिक ह्यूमन इंस्टिक्ट है.

क्योंकि इन्सान की फितरत है कि वो दूसरों से पहले खुद को देखता है. ह्यूमन बीइंग का नैचर है कि वो पहले अपनी नीड्स पूरी करता है फिर दूसरों की. और कई बार यही चीज़ ईगो की बात भी बन जाती है . हमारा ईगो ही हमे ड्राइव करता है हमारा बिहेव भी डिसाइड करता है जो हम दूसरों से करते है. ईगो हम सबके अंदर है, इंसान नैचर से ही अटेंशन सीकर होता है. हम हमेशा दूसरो से अटेंशन, अप्रूवल और रीस्पेक्ट की उम्मीद रखते है. और जब हमारी ये नीड पूरी हो जाती है तब हम दूसरों पर ध्यान दे पाते है. तो अगर हम खुश है तभी लोगो से ख़ुश होकर मिल पायेंगे और अगर हम खुद ही दुखी होंगे तो लोगो को ख़ुशीयाँ कैसे दे सकते है.

अगर आपने ये सीख लिया कि दूसरों के साथ एक्ट कैसे करना है और उनके ईगो का ध्यान कैसे रखना है तो आप देखोगे कि वो लोग भी आपके लिए काफी पोजिटिव सोचना शुरू कर देंगे. इसका रिजल्ट ये होगा कि आप उनसे मनपसंद एडवांटेज ले सकते हो.

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स्टोरी (STORY)

एक आदमी की स्टोरी न्यूज़पेपर में छपी थी. उसने अपनी वाइफ को सिर्फ इसलिए गला दबाकर मार डाला था क्योंकि वो उसकी बाते सुनते-सुनते सो गयी थी. आपको ये बात थोड़ी आउट ऑफ़ टॉपिक लग सकती है, क्योंकि जो उस आदमी ने किया वो किसी भी तरह सही नहीं है. लेकिन इस स्टोरी की गहराई में जाकर देखे तो रियेलाइज़ होगा कि उसे अपनी वाइफ से जो अटेंशन और इम्पोर्टेंस चाहिए थी उसे लगा वो उसे नहीं दे रही है. बेशक उसने एक डेंजरस क्राइम किया था जिसकी सजा भी उसे मिली पर असल में उसके इस क्राइम के पीछे उसका ईगो था जो बुरी तरह हर्ट हुआ था. जब हम किसी से बात करते है तो चाहते है कि उसकी पूरा ध्यान हमारी बात पर हो और जब ऐसा नही होता तो हमे बुरा लगता है.

अगर कोई एक फैक्ट जो हम सबको जानना चाहिए तो ये है कि बात अगर ईगो की हो तो इन्सान एक्सट्रीम लेवल तक जा सकता है. हर इन्सान को रिस्पेक्ट और इम्पोर्टेंस चाहिए. और अगर यही चीज़े उसे ना मिले तो इन्सान का फर्स्ट इंस्टिंक्ट अपने सेल्फ वर्थ को डिफेंड करना होता है.

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एकनॉलेजमेंट, एप्रीशिएशन एंड ग्रेटीट्यूड इज़ फ्री (Acknowledgment, Appreciation, and Gratitude is Free)
मेन आईडिया (MAIN IDEA)

ह्यूमन रिलेशंस पर मास्टरी पाने का सबसे फ़ास्ट तरीका है हम उन लोगो को थैंक्स बोले और उन्हें एप्रीशिएट करे जो हमारी हेल्प करते है. हर कोई प्यार और ईज्जत का भूखा होता है और हर कोई दूसर्रो की नजरो में अपनी वैल्यू चाहता है. तो क्यों ना हम दूसरो की तारीफ करे और उन्हें ईज्जत दे, वैसे भी तारीफ और ईज्जत की कीमत नही लगती और इससे दुसरों के साथ-साथ हमे भी अच्छा लगता है.

जो आपके लिए कुछ करते है, उन्हें अटेंशन जरूर दो क्योंकि ऐसा करके आप उन्हें ना सिर्फ इम्पोटेंट फील कराओगे बल्कि उनकी पर्सनल वर्थ भी इनक्रीज करोगे.

कुछ और भी तरीके है जिससे आप लोगो को इम्पोर्टेंट फील करा सकते हो. उन्हें नोटिस करो, उनकी तारीफ करो, उन्के सामने खुद को इम्पोर्टेंट शो मत करो बल्कि उन्हें बताओ कि उनके अंदर क्या खूबियाँ है.

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स्टोरी (STORY)

एक बिजनेसमेन एक लॉयर के पास पार्टनरशिप की डील डिस्कस करने आया. उन्होंने 3 बजे की मीटिंग रखी थी लेकिन लॉयर लेट हो गया. करीब 10 मिनट वेट करने के बाद बिजनेसमेन लॉयर के ऑफिस से चला गया. हालाँकि उसे मीटिंग के बाद कोई इम्पोर्टेंट काम नही था पर उसे बड़ी इन्सल्ट फील हुई थी, उसे लगा कि लॉयर उसे इम्पोर्टेंट आदमी नहीं समझता इसलिए उसे इतनी देर वेट कराया. हालाँकि लॉयर के पास लेट आने के अपने रीजन्स थे पर उसके इस एक्ट की वजह से उनकी पार्टनरशिप डील खतरे में पड़ गयी.

बेशक 10 मिनट काफी छोटा टाइम होता है पर एक छोटी सी चीज़ भी किसी का ईगो हर्ट कर सकती है और दो लोगो के रिलेशनशिप में हमेशा के लिए दरार डाल सकती है.

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