(hindi) Never Eat Alone
इंट्रोडक्शन
क्या आपको लगता है कि आप जिंदगी में सिर्फ़ अपने बलबूते पर इतनी दूर तक आ सकते थे? क्या आप लोगों से जुड़ने के बजाय अकेला रहना पसंद करते हैं ताकि आप पर किसी का भार ना हो? हमारे सामने हर दिन दो आप्शन होते हैं. तो क्या आप सब कुछ अकेले करना चाहते हैं या दूसरों के साथ आगे चलना चाहते हैं? क्या आप दोस्तों के साथ खाना चाहते हैं या अकेले ख़ुद के साथ? क्या आप किसी प्रोजेक्ट को अकेले अपने दम पर पूरा करना चाहते हैं या एक टीम का साथ चाहते हैं? बेशक ये बहुत ख़ुशी की बात होगी अगर आप अपने दम पर खड़े हो सकते हैं तो लेकिन कुछ समय बाद आप ख़ुद देखेंगे कि अगर आप दूसरों से मदद नहीं लेते हैं तो आप जिंदगी में ज़्यादा दूर तक नहीं जा पाएँगे.
एक कहावत है “No Man’s an Island” यानी जैसे एक आइलैंड सबसे कटकर अलग होकर रहता है, इंसान वैसा नहीं कर सकता. इंसान अकेला नहीं रह सकता, उसे अपने आस-पास लोगों की और उनके साथ की ज़रुरत होती है. यहाँ तक कि अगर आपने अपनी जिंदगी के हर स्ट्रगल को अपने दम पर पार किया है तब भी उस रास्ते में कोई ना कोई शख्स ज़रूर होता है जिसने जाने अनजाने में आपकी मदद की होगी.
हो सकता है कि आपको जॉब इसलिए मिली क्योंकि आपने जी जान से हर vacancy के लिए अप्लाई किया, हालांकि ये आपकी मेहनत का नतीजा है लेकिन अगर आपके पड़ोसी ने आपके बच्चों का ध्यान नहीं रखा होता तो क्या आप जॉब ढूँढने के लिए बाहर जा पाते? या हो सकता है कि आपके बॉस ने आपको जल्दी छुट्टी दे दी ताकि आप कोई और जॉब ढूंढ सकें क्योंकि वो जानते थे कि कंपनी के बंद होने से आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
इस बात को गहराई से समझना बहुत ज़रूरी है कि रिश्तों को जोड़ना और उन्हें समझदारी से संजो कर रखना जिंदगी के हर मोड़ पर आपके लिए कितना कुछ कर सकता है आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते. आपको नेटवर्किंग को एक ऐसी चीज़ के रूप में देखना बंद करना होगा जो सिर्फ़ एक ही इंसान को फ़ायदा पहुंचाती हो. कनेक्शन बनाना दो तरफ़ा सड़क जैसी होती है. अगर आप सही नज़रिए के साथ इसे अपनाते हैं तो आपसे जुड़ने वाले हर आदमी को बदले में कुछ ना कुछ ज़रूर मिलेगा.
इस बुक में आप समझेंगे कि लोगों के साथ कनेक्शन बनाना कितना इम्पोर्टेन्ट होता है. आप दूसरों की मदद करने और उनसे मदद मांगने के महत्त्व को जानेंगे. अंत में, आप कीथ की कहानियों के ज़रिए ये भी जानेंगे कि कैसे अमीर और अमीर होते जाते हैं और आप उनके जैसे कैसे बन सकते हैं.
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अगर आप अपने शहर के सबसे स्मार्ट और टैलेंटेड इंसान हैं तब भी आप बिना कनेक्शन बनाए बहुत दूर तक नहीं जा सकते. यही बात हार्ड वर्क और पैसे पर भी लागू होती है. कीथ ने इस बात को तब महसूस किया था जब वो अपने बचपन के बारे में सोचा करते थे. स्कूल में किस तरह बाकी बच्चे उनका मज़ाक उड़ाते थे क्योंकि वो दिखने में ग़रीब लगते थे.
हालांकि, कीथ का परिवार अमीर नहीं था लेकिन उनके मेहनती माता पिता कीथ को एक प्राइवेट स्कूल में भेजना चाहते थे. स्कूल में जहां उनके साथ पढ़ने वाले बच्चों को चमकदार महँगी गाड़ियां लेने आती थी वहीँ कीथ एक पुरानी खटारा गाड़ी में घर जाया करते थे. इतना ही नहीं, बच्चे उनके polyster कपड़े और जूतों के लिए भी उन्हें चिढ़ाते थे. इससे कीथ को बहुत शर्मिंदगी महसूस होती थी लेकिन इसी बात ने उनकी इच्छाशक्ति को बढ़ावा दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, बड़े होकर उन्हें सक्सेसफुल बनना है.
ऐसा नहीं था कि ये वाक्या कीथ के साथ एक बार हुआ था जब उन्होंने ख़ुद को भीड़ से अलग और भीड़ में अकेला महसूस किया था. हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल में भी जब उन्होंने आस पास देखा तो ख़ुद को उन्हीं जैसे लोगों से घिरा हुआ पाया जो कोई मेहनत किए बिना एशो आराम की जिंदगी गुज़ार रहे थे. लेकिन उन्होंने इस बात को ख़ुद को डराने नहीं दिया क्योंकि उन्होंने मेहनत से अपनी जिंदगी बदलने की ठान ली थी. कीथ को इस बात से दिलासा मिलता कि अमीर ना होने के बावजूद वो इन लोगों से एक क़दम आगे थे क्योंकि उनमें चीज़ों को गहराई से समझने की समझ थी.
सच पूछें तो अमीर लोगों को गौर से देखने के बाद ही कीथ को रिश्तों की अहमियत का एहसास हुआ था. जब वो छोटे थे तो एक लोकल क्लब में लोगों का बैग उठाने का काम किया करते थे. उस क्लब में सिर्फ़ अमीर लोग ही आते थे. जब कीथ उनका बैग उठाकर चलते तो अक्सर उनकी बातों को गौर से सुनते जैसे जेम्स ने कैसे रिचर्ड को जॉब दिलाने में मदद की, रोज़ ने पौली के स्टार्ट अप कंपनी में इंवेस्ट किया और कैसे उनके बच्चों को सबसे बेस्ट स्कूल में एडमिशन मिला क्योंकि वो प्रिंसिपल को जानते थे.
कीथ समझ गए कि अगर आप अच्छे कनेक्शन बनाते हैं तो अंत में आप भी सक्सेसफुल हो जाते हैं. इस नेटवर्क के ज़रिए ही अमीर और भी ज़्यादा अमीर होते जाते हैं. जब आप लोगों से कनेक्शन बनाने का ट्रिक समझ जाते हैं तब आप भी सक्सेसफुल हो जाते हैं और उस अमीर क्लब का हिस्सा बन जाते हैं.
इस बात को समझने के बाद कीथ कड़ी मेहनत करते रहे ताकि उन्हें पता चले कि बाद में इसे कैसे यूज़ करना है. Mrs पोलैंड कीथ से बहुत बातें करती थी, उन्हें सलाह मशवरा भी देती थीं जिससे कीथ की समझ और भी बढ़ने लगी. Mrs पोलैंड अमीर घराने से थीं और कीथ उनका बैग उठाया करते थे. वो अक्सर लोगों के सामने कीथ की तारीफ़ करती, इस वजह से और लोग भी कीथ को अपना बैग उठाने का काम देने लगे.
अपने काम के दौरान ही कीथ ने सीखा कि सक्सेस खून पसीना, पैसे और टैलेंट से हासिल तो की जा सकती लेकिन ये आपको बहुत दूर तक नहीं ले जा सकती. Mrs. पोलैंड ने कीथ को दान और मदद की ताकत के बारे में सिखाया कि जब आप दूसरों की मदद करते हैं तो वो भी आपकी मदद करने के लिए आगे आते हैं. आम भाषा में आप इसे “लेन-देन” कह सकते हैं लेकिन कीथ के लिए इसका मतलब था परवाह और देखभाल. जब आप एक दूसरे की परवाह करते हैं तो आप उनके लिए काम करने के भी तैयार हो जाते हैं.
कीथ रिश्ते बनाने और उसकी अहमियत को समझते थे और यही वो ख़ासियत थी जो उन्हें अपने स्कूल के बच्चों से अलग बनाती थी. जब आप लोगों की मदद कर उनकी जिंदगी को बेहतर बनाते हैं तो सही मायनों में कहीं ना कहीं वो आपकी जिंदगी को भी बेहतर बनाकर उसे एक ऊँचे लेवल पर ले जाता है. जब आप अपनी नॉलेज, समय और एनर्जी को लोगों के साथ शेयर कर उनसे जुड़ते हैं तो आपको भी बदले में वही मिलता है जो आपकी ख़ुद की ग्रोथ में मदद करता है.
कनेक्शन बनाना उन लोगों के साथ लेन-देन करने के बारे में नहीं है जिनसे आप कुछ हासिल कर सकते हैं. ये उनके साथ अपने रिश्ते को इंसानी तौर पर मज़बूत बनाने के बारे में है. हर जगह फायदा-नुक्सान ना देखें, कुछ चीज़ें दिल से भी की जानी चाहिए.