(hindi) Getting Things Done

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इंट्रोडक्शन

क्या आपके पास करने के लिए बहुत सारा काम है लेकिन उसे पूरा करने के लिए टाइम ही कम पड़ जाता है? क्या आप काम से ब्रेक लेना चाहते हैं लेकिन ज़िम्मेदारियों के कारण आप काम में एक भी दिन मिस नहीं कर सकते? क्या आप फंसा हुआ महसूस करते हैं और एक लंबा ब्रेक लेना चाहते हैं?

अगर हाँ, तो आपने इस प्रॉब्लम को सोल्व करने के लिए बिलकुल परफेक्ट बुक चुना है. इस बुक ने लाखों लोगों की जिंदगी को बदल दिया है. आज हम इतने ज़्यादा स्ट्रेस में जी रहे हैं कि हर कोई कम से कम समय में अपना काम पूरा करने के रास्ते खोजने में लगा हुआ है. इस बुक में ऐसा मेथड बताया गया है जो इन सभी problems को सोल्व करने की ताकत रखता है.

इस बुक में आप ये जानेंगे कि ध्यान भटकने से बचने के लिए आपको आर्गनाइज्ड होना कितना ज़रूरी है. आपको समझ आने लगेगा कि समय की कमी का असली कारण आपके मन में चलने वाले वो अनगिनत विचार हैं जो आपका ध्यान भटका देते हैं जिससे आपका समय पर काम पूरा नहीं कर पाते.

इन सब का कारण फोकस है और अपने काम पर फोकस करने में मदद करने के लिए आपको अपने एनवायरनमेंट यानी माहौल को बदलने की ज़रुरत है. इन चीज़ों के साथ-साथ आप ये भी सीखेंगे कि अपनी लाइफ को organize करने के लिए सही टाइम, जगह और टूल्स को कैसे चुनें. इसकी शुरुआत आपको अपने आस पास के फिजिकल माहौल से करनी होगी और उसके बाद हम अपने मेंटल स्टेट की ओर बढ़ेंगे.

जैसा कि आप जानते हैं कि हमारा ब्रेन हमेशा उन आइडियाज के बारे में सोचता रहता है जिन्हें आप आज़माना चाहते हैं. जब आपके पास लाइफ में हर आईडिया और काम के लिए एक फाइलिंग सिस्टम होगा तो आपका मन शांत भी रहेगा और फोकस करने के लिए तैयार भी होगा.

ये बुक आपको अपने काम और प्रोजेक्ट को अलग-अलग केटेगरी में डिवाइड करने का तरीका भी सिखाएगी जो आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ाएंगे. इसलिए अगर आप ज़िम्मेदारियों से भरे एक स्ट्रेस्फुल लाइफ से थक चुके हैं तो आइए हमारे साथ जुड़कर एक ऐसे सफ़र पर चलिए जो आपको सिखाएगी कि अपनी जिंदगी का चार्ज अपने हाथों में कैसे लेते हैं.

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A New Practice for a New Reality

क्या आपको लगता है कि काम की एक लंबी लिस्ट को कंट्रोल में रखते हुए भी दिन के अंत तक कोई आदमी रिलैक्स्ड फील कर सकता है? हाँ, ऐसा बिलकुल हो सकता है और ये बुक आपको दिखाएगी कैसे.

आज हमें एक ऐसे सिस्टम की ज़रुरत है जो हमें अपना काम भी करने दे और रिलैक्स्ड भी बनाए रखे. आज के इस भागते हुए दौर में जॉब शब्द को ठीक से समझा पाना मुश्किल हो गया है. आए दिन हमारी जॉब बदलती रहती है और हर रोज़ हम पर नई ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती ही जा रही हैं.

पुराने समय में, एक एम्प्लोई को उसके गोल और ज़िम्मेदारियों के बारे में ठीक से बता दिया जाता था. लेकिन आज हमें ख़ुद सोचना समझना पड़ता है कि दिन के ख़त्म होते-होते हमें काम कैसे पूरा करना है. इस वजह से हर आदमी पर प्रेशर बढ़ने लगा है.

इस बदलाव के लिए पहले आपको अपनी कुछ आदतों को बदलना होगा. सबसे पहले, आपको इस बारे में क्लियर होना होगा कि आप क्या करना चाहते हैं. अगर आपके पास कोई आईडिया है तो उसे क्लियर तरीके से लिखें और उसे शुरू करने के लिए एक डेट सेट करें. अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपका मन बेचैन रहेगा, भटकता रहेगा. आप हर वक़्त अपने हर काम के बारे में सोचते रहेंगे और जो काम आप अभी कर रहे हैं उस पर फोकस नहीं कर पाएँगे.

दूसरा, आप जो भी काम कर रहे हैं उस पर 100% फोकस करने की कोशिश करें. अपने काम को तेज़ी से पूरा करने के लिए आपका फोकस लेज़र की तरह शार्प होना चाहिए. जब आपके माइंड में एक क्लियर पिक्चर होता है और आप एक ऐसे माहौल में काम करते हैं जहां आपका ध्यान नहीं भटकता तो आप कंट्रोल में रहेंगे और स्ट्रेस महसूस नहीं करेंगे.

एग्ज़ाम्पल के लिए, मुझे आपसे एक सवाल पूछना है, पिछले कुछ मिनटों में इस ऑडियो को सुनते हुए क्या आपका ध्यान भटका? अगर हाँ, तो यकीनन कोई ऐसा काम बाकी है जिसे आप करना चाहते हैं लेकिन उसे अपने दिमाग से निकाल नहीं पाए.

जब आप कोई काम करने का फ़ैसला करते हैं तो आपका ब्रेन आपको तब तक उस काम की याद दिलाता रहता है जब तक आप उसे पूरा नहीं कर लेते. तो ज़रा सोचिए कि अगर 10 काम अधूरे पड़े हैं तो वो आपको कितना स्ट्रेस देता है? और इसमें कोई डाउट नहीं है कि ये टेंशन आपको किसी भी काम में concentrate नहीं करने देगा.

इसका एक ही उपाय है, आपके दिमाग में आने वाली हर थॉट को लिखकर एक लिस्ट बनाएं. अपने काम या टास्क के बारे में लिखें और उसके नीचे उसकी डिटेल लिखें. आपको इस टास्क के लिए एक क्लियर डेडलाइन भी सेट करनी होगी ताकि आपका ब्रेन उसके बारे में चिंता करना बंद कर सके.

इसका लॉजिक बहुत सिंपल सा है, अगर आप कोई काम करना चाहते हैं और उसके लिए कोई डेडलाइन सेट नहीं करते तो आपका ब्रेन यही सोचता रहेगा कि अभी तो वो काम अधूरा है. इसलिए जब आप किसी दूसरे काम में बिजी होते हैं तो आपका ब्रेन आपना ध्यान उस काम की ओर खींचने लगता है जो उसे लगता है कि ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट है.

एक लिस्ट बनाने से आपका ब्रेन शांत हो जाएगा. उसे एक मैसेज मिल जाता है कि उस काम को करने के लिए आपने एक डेट फ़िक्स कर दी है तो वो निश्चिंत होकर दूसरे काम पर फोकस करने लगता है. हर हफ़्ते के अंत में इस लिस्ट को चेक करें और अगर उसमें कुछ बदलने की ज़रुरत है तो बदलकर उसे अपडेट करें.

काम करने वाली इस लिस्ट को “टू-डू-लिस्ट” कहा जाता है. जब तक आप अपने काम की एक क्लियर लिस्ट नहीं बनाते तब तक आपको किसी भी काम पर फोकस करना बेहद मुश्किल लगेगा. याद रखें, स्ट्रेस के बिना, कम समय में तेज़ी से काम पूरा करने का एक ही सीक्रेट है, अपना पूरा फोकस काम पर बनाए रखना.

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Getting Projects Creatively Under Way: The Five Phases of Project Planning

कभी-कभी जब हम अपने “टू-डू-लिस्ट” को अपडेट नहीं करते, तो कई ऐसे आईडिया मिस कर देते हैं जो हमें बड़ी सक्सेस दिला सकते थे. इस प्रॉब्लम से बचने के लिए, हमें आगे का प्लान बनाने की ज़रुरत है.

प्लानिंग भी कई तरह की होती है. जहां आप हर टास्क के गोल और उस गोल को हासिल करने के लिए ज़रूरी स्टेप और एक्शन को क्लियर तरीके से सेट करते हैं, वहाँ आप हॉरिजॉन्टल (Horizontal) प्लानिंग को यूज़ कर सकते हैं. आमतौर पर इस तरह की प्लानिंग के लिए आपको ऐसे रिमाइंडर सेट करने होंगे जिन्हें आप आसानी से देख सकें ताकि आप उस टास्क को भूल ना जाएं और उसकी प्रोग्रेस को मॉनिटर कर सकें.

दूसरी तरह की प्लानिंग है वर्टीकल (Vertical) प्लानिंग. इसमें डिटेल पर फोकस करने की और हर स्टेप को पूरा करने के लिए solution ढूँढने की ज़रुरत होती है. इसका मतलब ये नहीं है कि इसके लिए आपको किसी स्पेशल सॉफ्टवेर को यूज़ करना होगा. आप इसे पेपर पर लिख कर भी रिकॉर्ड बना सकते हैं.

हालांकि, प्लानिंग का सबसे इफेक्टिव तरीका होता है नेचुरल प्लानिंग. आपका ब्रेन इस दुनिया का सबसे बेहतरीन planner है. आपका ब्रेन ऐसी –ऐसी चीज़ें कर सकता है जिसकी बराबरी दुनिया का कोई सॉफ्टवेयर या नोटबुक नहीं कर सकता.

नेचुरल प्लानिंग में पांच स्टेप होते हैं. सबसे पहले, आपको अपने गोल को अचीव करने के लिए एक प्लान बनाना होगा. दूसरा, आपको ठीक से पता होना चाहिए कि अंत में उसका रिजल्ट क्या हो सकता है. तीसरा, आपको बहुत दिमाग और क्रिएटिविटी लगाकर अलग-अलग आईडिया के बारे में सोचना होगा. चौथा, आपको अपने आईडिया को organize करना होगा. अंत में, आपको ये पहचानना होगा कि अगला एक्शन क्या होना चाहिए.

एग्ज़ाम्पल के लिए आइए आपका डिनर प्लान करते हैं. जब आप रोज़मर्रा के काम की प्लानिंग करते हैं, तो आप automatically नेचुरल प्लानिंग यूज़ करते हैं. पहले आप ये देखते हैं कि इस डिनर का मकसद क्या है यानी क्या आप दोस्तों के साथ बाहर पार्टी करने जा रहे हैं? या ये कोई स्पेशल डेट या बिज़नेस डिनर है? पर्पस के हिसाब से आपका ब्रेन उस डिनर के लिए हदें सेट करना शुरू कर देता है जैसे कितने पैसे ख़र्च करने हैं, कौन सा खाना सर्व होना चाहिए, आपके कपड़े कैसे होने चाहिए वगैरह वगैरह.

दूसरा, जब आपका पर्पस क्लियर हो जाता है तो आप उसके रिजल्ट के बारे में सोचने लगते हैं जैसे कौन सा कैफ़े या फ़ूड जॉइंट में जाना चाहिए, खाना किस तरह का होना चाहिए. आपके माइंड में उस जगह की इमेज बनने लगती है जहां आप जाने वाले हैं. आप ख़ुद को खिड़की के पास बैठा हुआ देखते हैं. यहाँ तक कि आप खाने की ख़ुशबू और उसके taste के बारे में भी सोचने लगते हैं.

तीसरे स्टेप में आपके ब्रेन में अपने आप कई तरह के थॉट आने लगते हैं. आप उस टाइम के बारे में सोचने लगते हैं जब आपको वहाँ पहुंचना चाहिए. आपके मन में कई सवाल भी आते हैं जैसे क्या वो जगह खुली होगी? मुझे किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए? क्या मुझे टाइम पर कैब मिल जाएगी?

इस स्टेप के पूरा होने के बाद आप सब कुछ organize करना शुरू करते हैं. आप डिसाइड करते हैं कि ठीक आठ बजे आपको घर से निकलना है. अपने सिलेक्ट किए हुए रेस्टोरेंट में समय से पहुंचकर अपनी बुक की हुई टेबल पर बैठना है. फ़िर आप सोचते हैं कि आप अपनी पसंदीदा ब्लैक ड्रेस पहने रेस्टोरेंट की टेबल पर बैठे होंगे. यानी कि आपके माइंड में उस डिनर से रिलेटेड एक पूरी फ़िल्म चलने लगती है.

अब सब प्लानिंग ख़त्म कर आप पहला एक्शन लेते हैं जो है अपने दोस्त को फ़ोन करना और फ़िर रेस्टोरेंट को कॉल कर अपनी सीट बुक करना.क्या आपने कभी सोचा था कि आपका ब्रेन पूरे दिन इस तरह की प्लानिंग में लगा रहता है? तो क्यों ना अपने काम को पूरा करने के लिए इस तरह की नेचुरल प्लानिंग को यूज़ किया जाए. ये किसी भी फ्लोचार्ट या सॉफ्टवेर को यूज़ करने से कम स्ट्रेसफुल होता है.

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