(hindi) Better than Before
इंट्रोडक्शन (Introduction)
क्या आप जानना चाहते है कि गुड हैबिट्स कैसे डाली जाए ?
न्यू हैबिट्स कब और कहाँ से शुरू की जाए ?
दरअसल जो चीज़े हम डेली बेसिस पर करते है, वो हमारी हैबिट्स बन जाती है. शुरुवात में कोई भी नई हैबिट अपनाने में थोड़ी मुश्किल तो होती है लेकिन धीरे-धीरे कुछ टाइम बाद आप इसके आदी हो जाते है. ये बुक आपको अपनी डेली रूटीन में बेड हैबिट्स चेंज करके गुड हैबिट्स अपनाने में हेल्प करेगी.
आप शायद सोच रहे होंगे” क्या हैबिट्स इतनी इम्पोर्टेंट है ?’ तो जवाब है “जी हाँ, बिलकुल”. हैबिट्स आपकी लाइफ बना सकती है, आपकी पूरी लाइफ ऐसे चेंज कर सकती है कि आप सोच भी नहीं सकते. जैसे अगर आप कैल्रोरी काउंट की हैबिट नहीं डालोगे तो आपको पता ही नहीं चलेगा कि आप कितनी मिठाईयां खा चुके है. आपको कैसे पता चलेगा कि अब तक आपने कितनी बुक्स पढ़ ली है जब तक कि आप रिकार्ड्स रखने की हैबिट नही डालोगे.
जब हम हैबिट्स की बात करते है तो ये बुक आपको समझने में हेल्प करेगी कि आप किस टाइप के इंसान है. इस बुक से आप अपनी बेड हैबिट्स को गुड हैबिट्स में चेंज करना सीखोगे और इसमें जो स्ट्रेटेज़ी दी गयी है उनसे आपको अपने अंदर गुड हैबिट्स डेवलप करने हेल्प मिलेगी.
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द फेटफुल टेडेन्शीज़ वी ब्रिंग इनटू द वर्ल्ड ( The Fateful Tendencies We Bring into the World)
इस पूरी दुनिया में आप खुद में अकेले एक हो. और ये फैक्ट है. आपके पास जो एबिलिटीज़ है, जो पोटेंशियल्स है, वो किसी और के पास नहीं है. आप यूनीक हो. और इस बात पे आपको बिलीव होना चाहिए. अगर आप सोचते हो कि जो तरीका दूसरों के लिए काम करता है, वही आप पर फेल क्यों हो जाता है? तो हम आपसे कहेंगे कि खुद को इस बात के लिए कभी ब्लेम मत करो और ना ही कोई सेल्फ-डाउट रखो.
अब जैसे कि अक्सर लोग क्लास में अपने लैपटॉप से नोट्स लेते है क्योंकि इससे आसानी रहती है. लेकिन आपको लैपटॉप यूज़ करने में प्रोब्लम होती है क्योंकि आपको पेपर पर लिखना ज्यादा ईजी लगता है.
हैबिट्स हमारे रूटीन काम होते है जो हम डेली बेसिस पर करते है, जैसे कि कई बार हमे किसी हैबिट को अडॉप्ट करने में मुश्किल होती है क्योंकि जो टेक्नीक्स दुसरे यूज़ करते है वही आप को करने में मुश्किल होती है. लेकिन इसमें आपकी कोई गलती नहीं है. बात बस इतनी सी है कि हैबिट्स अडॉप्ट करने का सबका एक डिफरेंट पेस होता है. हो सकता है जो आपको मुश्किल लगे, वही दूसरे के लिए बेहद आसान हो.
कोई हैबिट प्रेक्टिस करने में ईजी है या डिफिकल्ट, इसका एक और रीजन है. और वो रीजनउस हैबिट से जुड़ी हुई लेवल ऑफ़ एक्स्पेक्टेशन. एक्सपेक्टेशन दो टाइप की होती है. फर्स्ट है आउटर एक्सपेक्टेशन जो दूसरों से आती है और सेकंड है इनर एक्सपेक्टेशन जो आपके अंदर से आती है. अगर किसी हैबिट के साथ हाई लेवल की एक्सपेक्टेशन हो तो आप उस हैबिट को पोजिटिव वे में रिस्पोंस दोगे.
हैबिट्स के हिसाब से रीस्पोंस करने वाले लोग चार टाइप के होते है. पहले आते है अपहोल्डर्स, फिर क्वेशचनर्स, फिर ओब्लिगेर्स और लास्ट में रेबेल्स. ये चार टाइप की टेन्डेसीज़ है जो हमारे नजरिये को इन्फ्लुएंश करती है कि आप चीजों को किस तरह देखते है और किस तरह से बिहेव करते है. और सबसे इम्पोर्टेंट ये कि इसी से डिसाइड होगा कि आप हैबिट्स कैसे फॉर्म करेंगे.
अपहोल्डर्स अपनी इनर और आउटर दोनों एक्सपेक्टेशन पर खरा उतरना चाहते है क्योंकि उन्हें अच्छा लगता है. अब चाहे ये सुनने में कितना ही पॉइंटलेस लगे. ये लोग जितना हो सके हर कीमत पर मिस्टेक अवॉयड करते है. इनकी एक्सपेक्टेशन काफी हाई लेवल की होती है. यही रीजन है कि अपहोल्डर्स कोई भी हैबिट्स जल्दी अडॉप्ट कर लेते है.
अपहोल्डर्स के पास डेली टू डू लिस्ट होती है जिसे वो जितना जल्दी हो सके पूरा करने की कोशिश करते है. इनकी कमिटमेंट इतनी स्ट्रोंग होती है कि कोई बीमारी या फिजिकल इंजरी भी इन्हें नही रोक सकती. हालाँकि ज्यादातर अपहोल्डर्स आउट से ज्यादा अपनी इनर एक्सपेक्टेशन पर फोकस करते है क्योंकि ये अपनी सेल्फ-प्रीजेर्ववेशन को वैल्यू देते है. सेल्फ प्रीज़र्वनेस उन्हें खुद की एक्सपेक्टेशंस पूरी करने के लिए मोटिवेट करती है. जैसे कि कोई अपहोल्डर जो एक्सरसाइज़ करने की सोच रहा है, वो अपने फ्रेंड बड़े आराम से ये बोल सकता है” सॉरी, मै तुम्हारे साथ बाहर लंच पे नहीं जा सकता.
अपहोल्डर्स में एक और खूबी होती है कि वो अपने रूल्स बड़े स्ट्रिक्टली फोलो करते है. अगर किसी दिन कोई मिस्टेक हो जाए तो बड़ा गिल्टी फील करते है. एक बार की बात है, ग्रेटचेन को एक बरिस्ता में काम करने वाली लडकी ने बताया कि उसे वहां पर अपना लैपटॉप यूज़ करना अलाउड नहीं है. पर इतने साल गुजरने के बाद भी वो इस बात को भूली नहीं. जब भी उसे कॉफ़ी शॉप में अपना लैपटॉप यूज़ करना होता है तो वो टेंशन में आ जाती है.
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अगला टाइप का क्वेशचनर्स का. क्वेशचनर्स को अपनी एक्सपेक्टेशन पर डाउट होता है. ये लोग एक्सपेक्टेशन पर तभी रीस्पोंड करते है जब उन्हें उसमे कोई लोजिक दिखता है. क्वेशचनर्स इस लोजिक के साथ जीते है कि हर एक्शन का कोई ना कोई पर्पज होना चाहिए. और तभी वो अपनी इनर एक्सपेक्टेशन रेडी करते है ताकि वो उन्हें फोलो कर सके.
फ्रेड एक स्टे एट होम डैड और एक क्वेशचनर है. जब उसके बेटे को प्रिंसिपल ने शर्ट पेंट के अंदर टक करने को बोला तो फ्रेड ने पुछा” इससे क्या होगा?” और फ्रेड को बड़ी हैरानी हुई जब प्रिंसिपल ने कहा” बच्चो को रूल्स फोलो करने सीखने चाहिए”.
क्वेशचनर को जब कोई हैबिट रीजनेबल लगती है तभी वो उसे अडॉप्ट करता है. लेकिन अगर उसे किसी हैबिट में या रुल में कोई लोजिक ना लगे तो उसके लिए उस हैबिट को अपनाना बड़ा मुश्किल होता है.
अगले आते है ओब्लिगर्स जो हमेशा दूसरों की ख़ुशी चाहते है. इन लोगो को अपनी इनर एक्सपेक्टेशंस पूरी करना मुश्किल काम लगता है जैसे कि हेल्दी डाईट लेना. ओब्लिगर्स का माइंडसेट कुछ ऐसा होता है कि ये लोग अपने लिए प्रोमिस तोड़ सकते है पर दूसरो के लिए नहीं.
और यही रीजन है कि ओब्लिगर्स अपने लिए न्यू हैबिट्स फॉर्म करने के लिए दूसरो पर डिपेंड रहते है. हमेशा क्योंकि उन्हें मोटिवेशन के लिए कोई आउटर सोर्स चाहिए होता है. अब जैसे ग्रेस को ही ले लो. वो एक यंग प्रोफेशनल है जो रीडिंग की हैबिट डालना चाहती है. हालंकि ये एक इनर एक्सपेक्टेशन है पर ग्रेस रीडिंग के लिए माइंड नहीं बना पाती है, इसलिए वो कोई बुक क्लब ज्वाइन करना चाहती है जहाँ पर उसे ऐसे लोग मिले जिन्हें देखकर वो इंस्पायर हो सके.
चक एक यंग बॉय है जो अभी-अभी ग्रेजुएट होकर एक नए शहर में शिफ्ट हुआ है. उसे अपनी कपड़ो की अलमारी ठीक से अरेंज करनी है. तो चक ने एक चैरिटी ग्रुप को कांटेक्ट करके उन्हें अपने एक्स्ट्रा कपडे डोनेट कर दिए ताकि वो कपड़े किसी के काम आ सके.
अब क्योंकि ओब्लिगर्स दूसरो पर डिपेंड रहते है इसलिए ये लोग अक्सर काफी प्रेशर में रहते है. ये दूसरों को कभी ना नहीं बोल सकते. माइक एक मार्केटिंग प्रोफेशनल है. एक बार उसके कलीग ने उससे एक रीपोर्ट फिनिश करने में हेल्प मांगी तो माइक मना नहीं कर पाया. और नतीजा ये हुआ कि उसका अपना प्रोजेक्ट ही पूरा नही हो पाया.
लास्ट में रेबेल्स आते है जो आउटर और इनर दोनों एक्सपेक्टेशन को अवॉयड कर सकते है. इनके लिए इनकी फ्रीडम सबसे इम्पोर्टेंट है चाहे कैसा भी काम हो. ये लोग अपनी शर्तो में काम करना पसंद करते है. इन्हें किसी काम के लिए फ़ोर्स नहीं किया जा सकता, अगर कोई करे तो ये एकदम अपोजिट करेंगे.
अब जैसे टेड को ही ले लो जो एक रेबेल है. वो अपने दो फ्रेंड्स के साथ एक अपार्टमेन्ट शेयर करता है. एक दिन उसके फ्रेंड्स ने पुछा” क्या तुम बर्तन धो लोगे ?’ लेकिन टेड को बर्तन धोने का ज़रा भी मूड नहीं था. वो उन लोगो में से है जो दूसरो के ऑर्डर पर काम करना पसंद नहीं करते.
रेबेल्स से डील करना मुश्किल लगता है पर उनसे ट्रिक से काम निकलवाया जा सकता है. जैसे अगर पेरेंट्स अपने रेबेल बच्चो से कुछ करवाना चाहते है तो उन्हें ऑप्शन रखने होंगे ताकि उन्हें चॉइस मिल सके. रेबेल्स को कण्ट्रोल करने का यही एक तरीका है जो आपकी प्रोब्लम सोल्व कर सकता है.