(hindi) THE MAN WHO MISTOOK HIS WIFE FOR A HAT

(hindi) THE MAN WHO MISTOOK HIS WIFE FOR A HAT

इंट्रोडक्शन (Introduction)

क्या कभी आपको ये सोचकर हैरानी हुई कि हम इंसानों का दिमाग एक अनसुलझी पहेली है ? हमारे इस छोटे से ब्रेन में इतनी नॉलेज भला स्टोर कैसे हो जाती है? हमारा माइंड इतना पॉवरफुल कैसे है? ह्यूमन ब्रेन इतना मिस्टीरियस है कि न्यूरोलोजी और साइकोलोजी जैसे डिफरेंट फील्ड्स के एक्सपर्ट्स कई सालो से इसे समझने की कोशिश करते आये है पर अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो समझ से परे है.

हम में से ज़्यादातर लोगो को ब्रेन ड़ेमेज के बारे में उतनी नॉलेज नहीं होती है. ब्रेन रिलेटेड कंडीशंस के बारे हमें तभी पता चलता है जब ऐसा कोई केस हमारे सामने आए. आपको शायद यकीन ना आए मगर कई सारे स्पेशल केसेस में पेशेंट्स को ब्रेन ट्यूमर या किसी हेड इंजरी की वजह से अजीबो-गरीब दिमागी बीमारियाँ हुई है. ये बीमारियाँ ऐसी है जिसमे दिमाग के कुछ पार्ट्स काम करना बंद कर देते है.

ये बुक भी ऐसे ही पेशेंट्स के बारे में है जिनकी एक्स्ट्राओर्डीनेरी कंडिशन को लेकर डॉक्टर ओलिवर सैक (Dr. Oliver Sacks )ने ये बुक लिखी है. वो इस बुक के ऑथर होने के साथ-साथ एक एक्सपर्ट न्यूरोलोजिस्ट भी है. इस बुक में उन्होंने ऐसे पेशेंट्स की स्टोरीज़ शेयर की है जिन्हें पढकर रीडर्स हैरान रह जाते है.
तो, आइए! इस बुक को पढते है और जानने की कोशिश करते है कि ह्यूमन ब्रेन कितना पॉवरफुल है.

द मेन व्हू मिस्टूक हिज़ वाइफ फॉर अ हैट
वो आदमी जिसने अपनी वाइफ को हैट समझ लिया था (The Man Who Mistook His Wife for A Hat)

क्या आपको कभी ख्याल आया है कि अगर आपको लोगो के चेहरे याद ही ना रहे तो क्या होगा? जैसे आपने किसी की शक्ल देखी, उसे देखकर आप मुस्कुराए और उससे बात करने लगे पर जैसे ही वो आदमी जाता है आप उसकी शक्ल भूल गए. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है? कितनी अजीब बात है ना? आप जिस इंसान से एक मिनट पहले बात कर रहे थे एक ही पल में वो आपके लिए अजनबी बन गया.

लेकिन अफ़सोस की बात तो ये है कि कुछ अनलकी लोग ऐसे भी है जो इस कंडीशंन के साथ रहने को मजबूर है क्योंकि उनकी विजुअल प्रोसेसिंग में कोई खराबी आ जाती है. ये तब होता जब सर पे गहरी चोट आए या इंसान किसी हादसे का शिकार हो. इन पेशेंट्स का ब्रेन लोगो के चेहरे प्रोसेस नही कर पाता इसलिए ये लोग कुछ स्पेशल फीचर्स के जरिये किसी को पहचानने की कोशिश करते है जैसे कि दोनों गालो पर डिंपल्स या फिर नाक पर तिल वगैरह.

मिस्टर पी. एक जाने-माने म्यूज़िशियन और टीचर थे. उनका कहना था कि वो अपने स्टूडेंट्स को उनके नाम से नहीं बल्कि उनकी आवाज़ से पहचानते है. उनकी ये बात लोगो को बड़ी अजीब और फनी लगती थी. कई बार तो मिस्टर पी नॉन लिविंग थिंग्स यानी बेजान चीजों को भी इंसानों की तरह ट्रीट करने लगते थे. जैसे कि कई बार वो दरवाजे के नॉब या फायर हाईड्रेन्ट से रियल इंसानों की तरह ही बात करते थे.

उनको डाएबीटीज़ थी इसलिए उन्हें डर था कि कहीं वो अंधे ना हो जाए. इसलिए वो एक ओप्थलमोलोजिस्ट के पास गए. एक्सपर्ट ने बताया कि उनकी आँखे एकदम ठीक है. उसने ये भी कहा कि मिस्टर पी को उनके पास आने के बजाए किसी न्यूरोलोजिस्ट को कंसल्ट करना चाहिए. और इस तरह डॉक्टर सैक और मिस्टर पी की मुलाकात हुई. शुरू में डॉक्टर सैक को उनके बारे में कुछ अजीब नहीं लगा पर जब दोनों की बातचीत बढती गयी तो डॉक्टर ने नोटिस किया कि मिस्टर पी उनके चेहरे को बड़े गौर से देख रहे थे. वो उनकी लेफ्ट आई फिर राईट आई, और फिर चिन को स्टडी कर रहे थे. लेकिन मिस्टर पी डॉक्टर सैक का पूरा चेहरा एक बार में नहीं देख पाए थे.

और यही चीज़ डॉक्टर सैक को कुछ अजीब लगी. उन्होंने मिस्टर पी के कुछ रूटीन एक्जामिनेशन किये जैसे मसल्स स्ट्रेंग्थ, को-ओर्डीनेशन और रेफ्लेक्सेस वगैरह. डॉक्टर ओलिवर ने मिस्टर पी को अपना लेफ्ट शू निकालने को बोला. फिर उन्होंने उसे दुबारा पहनने को बोला पर मिस्टर पी जूता नहीं पहन पाए. डॉक्टर सैक उन्हें शू पहनने में हेल्प करने लगे तो उन्होंने कहा” मैंने अपना जूता पहना हुआ है” तो डॉक्टर ने उनके पैर की तरफ पॉइंट करते हुए कहा” आपका जूता अभी भी फ्लोर पर है. इस पर मिस्टर पी ने डॉक्टर के पैर की तरफ इशारा करते हुए कहा” ओह! मै समझा कि ये मेरा पैर है “

बस कुछ इस टाइप की अजीब बातो के अलावा डॉक्टर ओलिवर को मिस्टर पी में और कोई प्रोब्लम नहीं लग रही थी. फिर डॉक्टर सैकने एक मैगजीन उठाकर उसमे से एक पिक्चर मिस्टर पी को दिखाई और उसे डिसक्राइब करने को बोला. मिस्टर पी उस पिक्चर का कलर, शेप या बाकि के स्माल फीचर तो बता रहे थे लेकिन पूरी पिक्चर क्या है ये उन्हें समझ नहीं आ रहा था.

फिर डॉक्टर सैकने उन्हें सहारा डेज़र्ट की पिक्चर डिसक्राइब करने को बोला तो मिस्टर पी ने कहा कि वहां पर एक नदी और एक छोटा सा गेस्ट हाउस है”. डॉक्टर सैक हैरान रह गए क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं था. और मिस्टर पी को लगा कि डॉक्टर साहब उनके जवाब से इम्प्रेस हो गए.

मिस्टर पी चेयर से उठे. वो देख रहे थे कि उन्होंने अपनी हैट कहाँ रख दी है. उनकी वाइफ चेयर में बैठी उनका वेट कर रही थी कि अचानक मिस्टर पी ने अपनी वाइफ का सर पकड़ा और उसे अपने सर पे रखने की कोशिश की. क्योंकि उन्हें लगा कि ये उनका हैट है. दरअसल मिस्टर पी ने अपनी वाइफ को ही अपना हैट समझ लिया था!

डॉक्टर सैक मिस्टर पी का एक्क्सामिनेशन करने उनके घर जाया करते थे. हालाँकि मिस्टर पी शेप्स और कार्टून केरेक्टर्स याद रह जाते थे लेकिन उन्हें उनके अपार्टमेंट में रहने वाले लोगो की पिक्चर दिखाई गयी तो वो उनके नाम भूल गये थे. उन्हें अपने को-वर्कर्स और स्टूडेंट्स के नाम याद नही थे.

अगर मिस्टर पी को किसी को जानते थे तो वो उसे उसके किसी खास फेशियल फीचर से याद रखते थे. वो चीजों को क्लयूज़ में या यूनीक फीचर्स से देखते थे क्योंकि उन्हें पूरी पिक्चर समझ नहीं आती थी.

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द मेन व्हू फेल आउट ऑफ़ बेड
वो आदमी जो बेड से गिर गया (The Man Who Fell Out of Bed )

हम अक्सर भूल जाते है कि हमारा ब्रेन कितना काम्प्लेक्स है. खोपड़ी के अंदर का ये छोटा सा हिस्सा हजारो-लाखों मेमोरीज़ स्टोर करता है, ना जाने कितने ही नाम याद रखता है, यानी दुनिया भर की इन्फोर्मेशन ब्रेन के अंदर स्टोर रहती है. हमे जैसी भी, जो भी जानकारी चाहिए हम अपने ब्रेन पर डिपेंड रहते है. हालाँकि आज के टाइम में ब्रेन से रिलेटेड कोई भी प्रोब्लम आसानी से पता चल जाती है जबकि 100 साल पहले ऐसा नहीं था. आज मेडिकल साइंस काफी एडवांस हो चूका है फिर भी ह्यूमन ब्रेन की बहुत सी मिस्ट्रीज़ अभी तक सोल्व नही हो पाई है.

अगर ब्रेन में कोई ब्लड क्लोट आ जाए या किसी ब्रेन की ब्लड वेस्ल में कोई एयर बब्ल हो तो ये एक सिरियस प्रोब्लम बन सकती है. बेशक ब्रेन के छोटे से पार्ट में चोट लगी हो पर ये आपकी पूरी बॉडी को अफेक्ट कर सकती है क्योंकि बॉडी का हर पार्ट हमारे ब्रेन से कनेक्टेड है. हमें ये बात नही भूलनी चाहिए कि हमारा ब्रेन हमारी बॉडी का कण्ट्रोल सेंटर है.

एक बार डॉक्टर सैक एक पेशेंट के रूम में गए. वो एक जवान आदमी था और नॉर्मल लग रहा था. लेकिन ये उसके सोने से पहले की बात थी. उस आदमी ने बताया कि एक दुसरे डॉक्टर ने उसे एक्जामिन करके बताया है कि उसे “लेज़ी” लेफ्ट लेग की प्रोब्लम है. जब वो आदमी सोकर उठा तो वो जमीन पर लेटा था. उसने बेड पर जाने से मना कर दिया और बड़ी देर तक अपने लेफ्ट लेग को घूरता रहा.

डॉक्टर सैक ने उसे वापस बेड पर जाने को बोला तो वो बुरी तरह अपना सर हिलाकर मना करने लगा. उसने कहा कि बेड पर एक कटा हुआ इंसानी पैर पड़ा है. वो बुरी तरह डरा हुआ लग रहा था. इससे पहले की डॉक्टर सैक कुछ बोल पाते, वो आदमी डरते हुए बोलने लगा ” मेरे बेड पर ये अजीब सा ठंडा पैर क्यों पड़ा है?’ लगता है किसी नर्स ने मेरे साथ ये खतरनाक मजाक किया है”. असल में उस पेशेंट को लग रहा था कि न्यू इयर की शाम में नर्स ने शायद ज्यादा ही ड्रिंक कर ली है और उसके साथ कुछ प्रेंक किया है.

“मुझे लगता है शायद नर्स ने कोई कटी हुई टांग लाकर बेड पे रख दी होगी. ये कहते हुए उस पेशेंट के फेस पर बड़ी प्राउड वाली फीलिंग थी जैसे कि उसने कोई मिस्ट्री सोल्व कर ली हो. और अचानक उसने बेड पर रखे हुए उस पैर को जो सिर्फ उसे दिख रहा था, उठाकर बेड से फेंक दिया. उसके होंठ कापं रहे थे. वो बुरी तरह डरा हुआ था और बार-बार यही कह रहा था कि ये लेग उसका पीछा कर रहा है क्योंकि ये उसकी बॉडी से चिपक गया है. और वो उस पैर को जोकि उसका अपना ही था, अपनी बॉडी से अलग करने की कोशिश करने लगा.

वो आदमी डर के मारे चिल्लाए जा रहा था कि तभी डॉक्टर सैक बीच में आये और उसे समझाया कि ये उसका अपना पैर है. लेकिन वो डॉक्टर की बात मानने को तैयार नहीं था, उसे लगा डॉक्टर सैक उससे कोई मजाक कर रहे है. फिर बड़ी देर बाद आखिरकार उसे समझ आया कि ये उसका अपना ही पैर था जिसे वो किसी और का समझ रहा था.

उसने डॉक्टर को बताया कि उसे अपना पैर किसी और का लगता है. तो डॉक्टर ने पुछा” अगर ये किसी और का पैर है तो तुम्हारा पैर कहाँ है? इस सवाल पर उस आदमी की शक्ल देखने लायक थी, और वो धीरे से बोला” मेरा पैर गायब हो गया है और मिल नहीं रहा”

ओन द लेवल (On the Level)  जैसा कि सब जानते है, हमारी पांच सेन्स होती है. फिर भी एक और सेंस है जो अनकांशस और ऑटोमेटिक काम करती है. हम में से कुछ लोग इसे 6th सेन्स भी बोलते है. अब ये सेन्स आपको समझने में हेल्प करती है जैसे कि आपके हाथ आपके साइड में है, या आपके पैर बॉडी के नीचले हिस्से में है, या आपकी बॉडी प्रॉपर ढंग से शेप्ड है. ये 6th सेन्स प्रोप्रिऔसेप्शन कहलाती है.

और हम अक्सर इसका फायदा उठाते है क्योंकि हम इसे सिरियसली नहीं लेते.हालाँकि प्रोप्रियोसेप्शन के बिना आपको अपनी बॉडी अपनी बॉडी नहीं लगेगी.

प्रोप्रियोसेप्शन (Proprioception) अक्सर अनकांशस और टेकन फॉर ग्रांटेड सेन्स है क्योंकि इस पर ध्यान देने के कोई ख़ास वजह हमे नही लगती. हमारा इस पर तभी ध्यान जाता है जब ये मिसिंग होती है. जैसे कि अचानक हमे साँस की प्रोब्लम हो जाये तो हमे समझ आएगा कि ये कितनी इम्पोर्टेंट है.

डॉक्टर सैक एक रिटायरमेंट विलेज के न्यूरोलोजी क्लिनिक में मिस्टर मैकग्रेगर से मिले. मिस्टर मैकग्रेगर उनके पास ये प्रोब्लम लेकर आये थे कि लोग उन्हें बोलते है कि वो एक साइड को झुककर चलते है जबकि उन्हें लगता है कि वो एकदम सीधे चल रहे है.

तो इस बात का पता लगाने के लिए डॉक्टर सैक ने मिस्टर मैकग्रेगर से एक स्ट्रेट लाइन में चलने को बोला और बताया कि वो उनका वीडियो रेकोर्ड करेंगे. डॉक्टर सैक ने एक बात नोटिस की. मिस्टर मैकग्रेगर 93 की उम्र में भी काफी अलर्ट थे और उन्हें देखकर उनकी एज का पता नहीं चलता था.

मिस्टर मैकग्रेगर कॉंफिडेंट से खड़े हुए और चलने लगे. डॉक्टर सैक ने खुद अपनी आँखों से देखा कि वो स्ट्रेट नहीं चल रहे थे. वो एक साइड को झुके थे. लोगो ने जो बात बोली थी एकदम सच थी. मिस्टर मैकग्रेगर ने जब अपने चलने का वीडियो देखा तो हद से ज्यादा हैरान थे. उन्होंने बताया कि उन्हें ज़रा भी फील नहीं होता कि वो एक साइड झुक कर चल रहे है.

डॉक्टर सैक ने उस ओल्ड मेन को प्रोप्रियोसेप्शन के बारे में बताया. मिस्टर मैकग्रेगर ने एक छोटा सा एक्जाम्पल देकर ये बताने की कोशिश की कि उन्हें कांसेप्ट समझ आ गया है. ओल्ड मेन ने कहा “सबके दिमाग में एक छोटी सी आवाज़ रहती है जो उन्हें बताती है कि साइड में मत झुको! सीधे चलो! पर मेरे माइंड में ऐसी कोई वौइस् नही है” और डॉक्टर सैक समझ गए कि ओल्ड मेन क्या कहना चाहता है.

मिस्टर मैकग्रेगर ने ये भी कहा कि उनकी ये प्रोब्लम कुछ हद तक कारपेंटर के काम की वजह से भी है, जो वो पहले किया करते थे. वो एक टूल यूज़ किया करते थे जिसे स्पिरिट लेवल बोलते है, जिससे कारपेंटर्स को पता चलता है कि कोई सर्फेस लेवल अप है या नहीं. ये एक बार जैसा लगता है जिसमे मिडल में एक वाटर ट्यूब होती है. जब सर्फेस लेवल अप रहता है तो वाटर बबल ट्यूब के मिडल में रहता है पर अगर सर्फेस एक साइड को झुका होगा तो बबल कहीं और चला जाएगा.पार्किसन्स की डिजीज होने से मिस्टर मैकग्रेगर का नैचुरल बॉडी “स्पिरिट लेवल’ खराब हो चूका था.

अब डॉक्टर सैक और मिस्टर मैकग्रेगर दोनों मिलकर इस प्रोब्लम को दूर करने में जुट गए. मिस्टर मैकग्रेगर के आई ग्लासेस के दोनों साइड में एक एक्सटेंडेड होरिजोंटल लेवल फिक्स किया गया ताकि उन्हें पता चल सके कि वो एक साइड में झुक रहे है या नहीं.

शुरू में काफी मुश्किलें आई क्योंकि मिस्टर मैकग्रेगर को बार-बार लेवल चेक करना पड़ता था. लेकिन फिर जल्दी ही उन्हें इसकी हैबिट हो गयी. और फाइनली ओल्ड मेन मिस्टर मैकग्रेगर को एकदम सीधे होकर चलना आ गया था.

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