(hindi) The Greatest Salesman In the World

(hindi) The Greatest Salesman In the World

इंट्रोडक्शन (Introduction)

क्या आपको कभी ऐसा ख्याल आया है कि आप कोई बड़ा काम करो ? कोई ऐसा काम जिसे दुनिया याद रखे. जैसे कि इस दुनिया का सबसे ग्रेट डॉक्टर बनना या सबसे ग्रेट मिमिक्री आर्टिस्ट बनना. चलो एक और सवाल पूछते है. क्या आपने कभी सोचा है कि आपके पास कोई ऐसा हुनर या ऐसी स्किल हो जिसके लिए लोग सदियों तक आपको याद रखे, स्कूल की टेक्स्टबुक्स में आपका नाम आये ?

हम सब लाइफ में एक मुकाम हासिल करना चाहते है. हम सब चाहते है कि हमारी एक पहचान बने, लोग हमे रिस्पेक्ट दे, देश-दुनिया में हमारा नाम हो. चाहे हिस्ट्री की टेक्स्ट बुक्स में आपका नाम आये ना आये पर लाइफ में आपकी जो भी अचीमेंट्स रही होंगी उससे आपको एक सक्सेसफुल इंसान होने का एहसास जरूर होगा. अपने आस-पड़ोस के लोगो से पूछकर देखो कि उनके लिए सक्सेस का मीनिंग क्या है तो आपको कई तरह के जवाब मिलेंगे.

हर एक के लिए सक्सेस का मीनिंग डिफरेंट हो सकता है, पर फेलर का मीनिंग सबके लिए सेम होता है: फेलर यानी लाइफ में अपने गोल्स अचीव ना कर पाना. इस बुक में आप एक ग्रेट सेल्समेन की लाइफ और स्ट्रगल के पढेंगे और जानेंगे कि उसने किस तरह अपनी लाइफ में एक ग्रेट सक्सेस अचीव की.

इस बुक में आप उन प्रिंसिपल्स के बारे में पढेंगे जो उसने अपनी रियल लाइफ में फोलो किये थे. उसका सपना था एक ग्रेट सेल्समेन बनने का, उसने ना सिर्फ अपना सपना पूरा किया बल्कि अपनी लाइफ में ढेर सारा प्यार, हैप्पीनेस और मन का सुकून भी हासिल किया. आप इस बुक में पढेंगे कि हमारे हीरो ने कैसे अपने गोल्स अचीव किए और एक सक्सेसफुल लाइफ जी.

चैप्टर I (Chapter I)

हाफीद एक बेहद अमीर बूढा था. उसके पास एक बड़ा सा मेंसन था. जो भी उसके महल जैसे घर में जाता अंदर की खूबसूरती देखकर हैरान रह जाता था. उसके महल की हर चीज़ में सोने या चांदी की कारीगरी थी और दीवारों पर हीरे-जवाहरात जड़े थे. उसकी शानो-शौकत देखकर कोई भी बोल सकता था कि हफीद दुनिया का सबसे अमीर आदमी और एक बेहद कामयाब सेल्समेन है.

एक ऐशो-आराम से भरपूर घर के अलावा उसके पास एक वेयरहाउस भी था जहाँ वो दुनिया के अलग-अलग देशो जैसे ग्रीस और ईजिप्ट से लाई हुई चीज़े स्टोर करके रखता था. फिर वो इन चीजों को ट्रेड एम्पोरियम में बेचता था जहाँ शोपिंग के लिए लोगो की भीड़ लगी रहती थी. हफीद के एम्पोरियम की चीज़े बड़ी फेमस थी. जो भी सामान वो बेचता था काफी बढ़िया क्वालिटी का होता था. असल में लोगो को हाफिद की लाई हुई विदेशी चीज़े काफी पसंद थी और इसी वजह से शहर भर के लोग उसके स्टोर से सामान खरीदते थे.

एक दिन हाफिद अपने ओल्ड फ्रेंड इरेस्मस से मिलने गया. इरेस्मस एक बुक कीपर था. लेकिन इरेस्मस उस वक्त हैरान रह गया जब हाफिद ने उसे कहा ” मै अपने वेयरहाउस का सारा सामान गोल्ड में बदलकर गरीबो में बाँटना चाहता हूँ और अपना बिजनेस किसी ऐसे इंसान को देना चाहता हूँ जो उसे ठीक से चला सके. मेरा जो महल है वो तुम रख लो और साथ में कुछ गोल्ड भी मै तुम्हे दे रहा हूँ”

इरेस्मस को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हाफिद ये क्यों कर रहा है पर उसने अपने फ्रेंड की इच्छा पूरी की और वही किया जो हाफिद ने बोला था.

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चैप्टर II (Chapter II)

और इरेस्मस ने हाफिद की गुजर-बसर के लिए थोडा सा गोल्ड रखके बाकि सब गरीबों में बाँट दिया. वेयरहाउस खाली जो चूका था. हाफिद अपने फ्रेंड को एक रूम में लेकर गया जो तब से बंद था जब से हाफिद की वाइफ मरी थी. उस रूम को लेकर लोगो में कई तरह की बाते, कई तरह की अफवाहे मशहूर थी पर हाफिद उन सब बातो को सुनकर हंस देता था. दोनों फ्रेंड्स रूम में गए. उस रूम के अंदर सिवाए एक बॉक्स के और कुछ भी नहीं था. उस बॉक्स के अंदर लेदर स्क्रोल्स थे.

ये वही स्क्रोल्स थे जिनकी वजह से हाफिद खुद को दुनिया का सबसे ग्रेट सेल्समेन मानता था. उन स्क्रोल्स ने उसे वो प्रिंसिपल्स सिखाये थे जिसकी वजह से उसने लाइफ में इतना पैसा, शोहरत, हैप्पीनेस, सक्सेस, प्यार और पीस ऑफ़ माइंड पाया था.

हाफिद ने इरेस्मस से पुछा” क्या तुम तब तक मेरे साथ रहना पसंद करोगे जब तक कि मै ये कीमती खजाना किसी ऐसे इंसान के हवाले ना कर दूँ जो इसके काबिल हो”. और इरेस्मस जो हाफिद का लॉयल फ्रेंड् था, उसकी बात मान गया और उसके साथ रहा.

चैप्टर III (Chapter III)

हाफिद पैदाईशी अमीर नही था. बचपन में वो एक अमीर और इंटेलिजेंट सेल्समेन के ऊंट चराया करता था. उस अमीर आदमी ने हाफिद को पाल-पोस के बढ़ा किया था. एक रात की बात है, अमीर सेल्समेन पाथ्रोस (Pathros) को बड़ी हैरानी हुई जब हाफिद ने उसे बोला कि वो उसके जैसा एक सक्सेसफुल सेल्समेन बनना चाहता है. पत्रोंस को समझ नहीं आ रहा था कि हाफिद के अंदर अचानक से एक ग्रेट सेल्समेन बनने का पैशन कैसे पैदा हो गया. तो हाफिद ने उसे बताया कि वो एक दुसरे सेल्समेन की बेटी को चाहता है जिसका नाम लिशा है और अगर उसके पास खूब सारा पैसा होगा तभी वो लिशा से शादी कर पायेगा.

पाथ्रोस (Pathros) उसकी बात समझ गया. उसने हाफिद को पूरा सपोर्ट किया लेकिन उसने हाफिद को ये भी एडवाइस दी कि हाफिद को सिर्फ सक्सेस और पैसे पर फोकस नहीं करना चाहिए बल्कि लाइफ में उसका टारगेट होना चाहिए प्यार, ख़ुशीयां और दिल का सुकून. पाथ्रोस ने कहा कि वो हाफिद को ट्रेन करेगा. पाथ्रोस ने उसे सेल्समेन की ट्रेनिंग का फर्स्ट टास्क दिया कि उसे बेथलहम जाना पड़ेगा. पाथ्रोस ने उसे बेशकीमती और बेहद फाइन क्वालिटी की एक शॉल देकर कहा” तुम्हे वहां जाकर ये शॉल बेचनी होगी”. प्रोब्लम ये थी कि किसी सेल्समेन ने आज तक बेथलहेम जाने की कोशिश नहीं की थी क्योंकि वहां के लोग बड़े गरीब थे. पर पथ्रोस ने हाफिद को बोला” जब तक ये शॉल ना बिक जाए, लौटना मत”.

चैप्टर IV

हाफिद चार दिन बेथलेहम में रहा. वो रोज़ शहर की गलियों में उस बेशकीमती शॉल को बेचने निकलता पर कोई भी उसकी बात नहीं सुन रहा था और अगर कोई सुनता भी तो उसके पास शॉल खरीदने लायक पैसे नहीं होते थे. हाफिद ने बहुत कोशिश की पर शॉल नहीं बिकी. हार कर उसने सोचा कि वो वापस लौट जाए, फिर उसे आपकी लाइफ का गोल याद आया तो उसकी हिम्मत लौट आई.

उसकी लाइफ का ड्रीम था उस खूबसूरत लड़की लिशा से शादी करना. हाफिद बेथलह्म की एक गुफा में रह रहा था. एक दिन जब वो गुफा में लौटा तो वहां एक कपल और उनके न्यू बोर्न बेबी को देखकर हैरान रह गया. कपल और उनका बेबी ठंड से काँप रहे थे , उनके बॉडी पर जो कपड़े थे काफी फटे-पुराने लग रहे थे.

हाफिद को उनकी इस हालत पर तरस आ रहा था. उसने अपने सामान में से वही बेशकीमती शॉल निकाला और उस कपल को बड़े प्यार से ओड़ा दिया. इतना महंगा और बढ़िया शॉल आज तक शायद ही बेथलह्म में किसी के पास था. हाफिद गुफा से बाहर निकला और वहां से चला आया, इस बात से बेखबर कि ऊपर आसमान में चमकते सितारे उसके साथ-साथ चल रहे थे.

चैप्टर V

हाफिद पाथ्रोस के पास लौट आया. वो अपना टास्क कम्प्लीट नहीं कर पाया था और इस बात से वो काफी हर्ट था. पाथ्रोस जल्दी से उसे अपने टेंट में लेकर गया. वो जानना चाहता था कि बेथलहेम में हाफिद का शॉल बेचने का एक्सपीरिएंस कैसा रहा. हाफिद ने रोते हुए उसे सारी बात बताई. उसने पाथ्रोस से टास्क में फेल होने के लिए माफ़ी मांगी. पाथ्रोस ने आसमान में चमकते सितारों की तरफ देखा जिनकी चमक से रात में भी दिन जैसी रौशनी हो गयी थी.

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