(hindi) THINGS MENTALLY STRONG PEOPLE DON’T DO

(hindi) THINGS MENTALLY STRONG PEOPLE DON’T DO

इंट्रोडक्शन Introduction

क्या आप एक मेंटली स्ट्रोंग पर्सन है? क्या आपको लगता है कि आपकी लाइफ में किसी भी तरह का कोई रिग्रेट या कड़वाहट है ? क्या आपको खुद पे तरस आता है या आपको खुद पे प्राउड है? मेंटली स्ट्रोंग होने का ये मतलब नहीं कि इंसान अपनी फीलिंग्स छुपाए. बल्कि जो लोग मेंटली स्ट्रोंग होते है वो अपनी फीलिंग्स कंट्रोल में रखते है. अगर आप अपने इमोशंस और थौट्स को बेलेंस करना सीख गए तो समझ लो कि आप लाइफ में हमेशा राईट डिसीजन लोगे और सुकून से जियोगे. ये बुक हमे अपने फीलिंग्स को समझने में और सही तरीके से मैनेज करने में हेल्प करती है. इसे पढकर आप खुद को और अपने फेमिली और फ्रेंड्स को और बैटर ढंग से समझ पाएंगे.

दे डोंट वेस्ट टाइम फीलिंग सॉरी फॉर देमसेल्व्स They Don’t Waste Time Feeling Sorry For Themselves

जैक एलीमेंट्री स्कूल का स्टूडेंट है. एक एक्सीडेंट में उसकी दोनों टाँगे टूट गयी है जब एक बस ने उसे टक्कर मार दी थी. डॉक्टर्स बोलते है कि जैक के टाँगे पूरी तरह ठीक हो जाएँगी लेकिन तब तक जैक को कुछ महीनों तक व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ेगा. इस बात से उसकी मदर काफी उदास रहती है. उसे हमेशा यही डर लगा रहता है कि शायद जैक अब फिर से चल-फिर नहीं पायेगा. डॉक्टर्स बोलते है कि जैक इस कंडिशन में भी स्कूल ज्वाइन कर सकता है जबकि जैक की माँ उसे अभी स्कूल भेजने के फेवर में नहीं है.

माँ को लगता है कि जैक को इस एक्सीडेंट से काफी डीप शॉक लगा है इसलिए उसे अभी स्कूल बस से दूर रहना चाहिए. उसकी माँ को लगता है कि अगर जैक व्हीलचेयर में बैठे हुए अपने फ्रेंड्स को खेलते हुए देखेगा तो और भी उदास हो जाएगा. इसलिए जैक अब घर से बाहर नहीं निकलता. वो मोर्निंग में थोड़ी सी स्टडी करता है फिर सारा दिन टीवी देखता है और वीडियो गेम्स खेलता है. कुछ हफ्ते इसी तरह गुजर गये. उसकी माँ ने नोटिस किया कि जैक कुछ चेंज हो गया है. वो अब पहले जैसा एक्टिव और खुश नहीं दिखता जैसा कि वो पहले था.

जैक की हालत देख के उसकी माँ को बड़ी टेंशन हो रही थी तो वो उसे थेरेपिस्ट के पास लेकर गयी.  उसने थेरेपिस्ट को बताया कि उस एक्सीडेंट की वजह से जैक बहुत ज्यादा इमोशनली डिस्टर्ब हुआ है. थेरेपिस्ट ने डिसाइड किया कि वो एक डिफरेंट अप्रोच के साथ जैक का ईलाज़ करेगी. वो जैक को एक नॉर्मल हेल्दी बच्चे की तरह ट्रीट कर रही थी. उसने जैक को एंकरेज किया कि वो एक बुक लिखे” हाउ टू बीट अ स्कूल बस”. जैक को आईडिया पसंद आया. उसने खुद को एक सुपरहीरो के कॉस्टयूम में ड्रा किया और एंड में लिखा कि वो एक स्ट्रोंग बच्चा है इसलिए वो इस एक्सीडेंट में बच गया.

थेरेपिस्ट ने जैक की माँ को बताया कि उसे जैक के लिए उदास होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वो सही सलामत और जिंदा है. बस उसकी कुछ हड्डियाँ टूटी है. इसलिए जैक को एक फिजिकली और मेंटली स्ट्रोंग बच्चे की तरह ट्रीट करना होगा जो कोई भी चेलेंज फेस कर सकता है. थेरपिस्ट ने ये भी बोला कि अगर जैक पूरी तरह ठीक नहीं हुआ तो भी वो काफी सारी चीज़े कर सकेगा. जैक को माँ को समझ आ गया कि उसे जैक पर तरस खाने की जरूरत नहीं है. वो एक नॉर्मल लाइफ जी सकता है.

इसके कुछ टाइम बाद ही जैक ने फिर से स्कूल जाना शुरू कर दिया. अब उसकी लाइफ पहले जैसी नॉर्मल थी और जैक भी पहले की तरह खुश रहने लगा था. क्या आप भी उन लोगो में है जो खुद पे तरस खाते है ? क्या कभी आपके साथ ऐसा कुछ हुआ जिसने आपकी लाइफ को डिस्टर्ब किया हो? क्या आप उदास और दुखी रहते हो ? कई बार हमारे दुःख इतने बड़े नही होते जितना कि हम उस पर रिएक्ट करते है. अगर आप खुद को अनलकी सोचते हो, वर्थलेस समझते हो, तो यकीन मानो आप अपनी हालत और ज्यादा खराब कर रहे हो.

सेल्फ पिटी आपका टाइम और एनेर्जी वेस्ट कर करती है,इससे आप और ज्यादा नेगेटिव फील करोगे. और जब आप नेगेटिव सोचते हो तो आपके साथ नेगेटिव चीज़े होने लगती है. तो इसके लिए आपको क्या करना चाहिए? हम बताते है. एक्टिव रहो. चाहे आपका मन हो या ना हो, बिस्तर से उठो, शावर लो, अपना रूम क्लीन करो या वाक पे जाओ. खुद को बिज़ी रखने से माइंड बिज़ी रहेगा और नेगेटिव् सोचने का आपके पास टाइम नही होगा.

अगर आपके पास एक्स्ट्रा टाइम है तो कोई न्यू हॉबी ज्वाइन कर लो या कोई बुक पढ़ लो. आपने वो कहावत तो सुनी होगी” खाली दिमाग शैतान का घर” इसलिए खुद को हमेशा एक्टिव रखो. किसी भी चीज़ के दो साइड होते है, नेगेटिव और पोजिटिव. तो आप हमेशा पोजिटिव साइड देखने की कोशिश करो. शायद आप नेगेटिव साइड पर ज्यादा फोकस करते हो इसलिए आप कुछ अच्छी चीज़े मिस कर रहे हो. जो आपके पास है उसे एप्रिशिएट करो. ऊपरवाले का शुक्रिया अदा करो कि आप हेल्दी और सही सलामत हो, आपके सर पे एक छत है और आपको दो वक्त का खाना मिल रहा है.

आपके पास एक फेमिली है जो आपसे बहुत प्यार करती है. तो कुल मिलाकर सिचुएशन इतनी भी बुरी नहीं है जितना आप सोचते हो. अपना नजरिया बदल के देखो, ये दुनिया बदली नजर आएगी. सोचो, अगर आपकी फेमिली या फ्रेंड भी वही सोचते है जो आप सोच रहे हो, तो क्या होगा? तब आप उन्हें क्या एडवाइस दोगे ? क्या आप उन्हें खुद पे तरस खाता हुआ देखना पसंद करोगे? और ज़रा उन मुश्किलों को याद करो जो आपने लाइफ में फेस की थी. जब उन प्रोब्लम्स को आपने सोल्व कर लिया था तो अब क्यों नहीं ?

अगर आप पहले भी सर्वाइव कर चुके है तो अब भी जरूर कर सकते हो. साथ ही दूसरो की हेल्प करना कभी मत भूलो. आपकी एक छोटी सी हेल्प किसी के लिए एक बड़ा सहारा बन सकती है. दूसरो की हेल्प करना एक मीनिंगफुल एक्ट है, इससे बढकर एहसास और क्या हो सकता है कि हम किसी के काम आए. यानी हमारी लाइफ एक टोटल वेस्ट नहीं है.

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दे डोंट फोकस ओं थिंग्स दे कांट कण्ट्रोल (They Don’t Focus On Things They Can’t Control)

जेम्स का डिवोर्स हो चूका था. तीन साल तक वो कौर्ट में अपनी 7 साल की बेटी की कस्टडी के लिए लड़ता रहा. पर जज ने फाइनल डिसीजन दिया कि बच्ची हमेशा के लिए अपनी माँ के पास रहेगी. और जेम्स को वीकेंड पे अपनी बेटी से मिलने का राइट मिल गया. हालाँकि उसे जज का डिसीजन अच्छा नहीं लगा था क्योंकि उसे लगता था कि वो अपनी वाइफ से अच्छा पेरेंट है .

जेम्स को लगता था कि उसकी एक्स वाइफ उसकी बेटी के साथ उसका रिश्ता तोड़ना चाहती है. एक बार जेम्स को अपनी बेटी को लेकर व्हेल वाचिंग के लिए जाना था. लेकिन उसकी एक्स वाइफ ने उससे ये मौका छीन लिया. वो उससे पहले ही अपनी बेटी के साथ व्हेल वाचिंग के लिए चली गयी. जेम्स को बहुत गुस्सा आया. उसे फील हुआ कि उसकी एक्स वाइफ उसकी बेटी को जेम्स से हर हाल में दूर करने की कोशिश कर रही है.

क्योंकि वो हमेशा उसे महंगे गिफ्ट्स देती थी, उसके लिए लेविश पार्टीज़ रखती थी और उसे लक्ज़री वेकेशन पे लेके जाती थी. पर जेम्स के पास इतना पैसा नहीं था. उसे ये भी लगता था कि उसकी एक्स वाइफ उनकी बेटी को बिगाड़ रही है. और जेम्स को ये भी शक था कि उसकी एक्स वाइफ शायद किसी को डेट कर रही है. जेम्स को डर था कि कहीं उसकी एक्स वाइफ का लवर जेम्स की बेटी को एब्यूज ना कर दे या उसके साथ गलत बिहेव ना करे.

तो जेम्स ने ऑथर एमी मोरिन की हेल्प ली, वो उनके पास थेरेपी के लिए नहीं बल्कि लीगल सपोर्ट मांगने गया. जेम्स ने एमी को कहा कि वो उसकी बेटी की फुल कस्टडी लेने में उसकी हेल्प करे. हालाँकि एमी ये नही कर सकती थी. जज अपना फैसला दे चूका था. कस्टडी ऑर्डर को लेकर अब जेम्स कुछ भी नहीं कर सकता था. इसके अलावा उसकी एक्स वाइफ ने क्लियर कर दिया था कि वो इस बारे में अब जेम्स के साथ और नेगोशिएट नहीं करना चाहती. एमी ने जेम्स को समझाने की कोशिश की कि उसकी सारी कोशिशे बेकार है और ऐसा करना उसकी बेटी के लिए सही नहीं होगा.

अगर वो इसी तरह अपनी एक्स वाइफ से लड़ता रहा तो बच्ची पर इसका नेगेटिव इफ्केट पड़ेगा. इसके बजाए जेम्स को चाहिए कि वो अपनी बेटी के साथ एक स्ट्रोंग और लविंग रिलेशनशिप बिल्ड करने की कोशिश करे. अपनी बेटी के साथ वो कुछ मेमोरेबल टाइम स्पेंड करे जो उन्हें हमेशा याद रहे. अगर जेम्स खुद को इम्प्रूव करेगा तो उसकी बेटी पर भी इसका पोजिटिव इन्फ्लुएंस पड़ेगा.

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपने सिचुएशन को कण्ट्रोल में करने के लिए बहुत हाथ-पैर मारे लेकिन फिर भी आप कण्ट्रोल नहीं कर पाए. आपका टाइम और एनेर्जी दोनों वेस्ट गयी जिससे आपको और भी ज्यादा गुस्सा आया और आप बहुत ज्यादा फ्रस्ट्रेटेड हो गए. तो ऐसी हालत में हमे क्या करना चाहिए. जो आपके हाथ में नहीं है उन चीजों को एक्सेप्ट कर लो, और जो आप चेंज कर सकते हो, उस पर फोकस करो.

यकीन मानो कोई रियल में आपका दुश्मन नहीं है. आपके सिवा कोई आपकी लाइफ मिज़रेबल नहीं बना सकता. अगर आप अपना बेहिवियर चेंज कर दोगे तो आपके हालात भी खुद बदल जायेंगे. एक एक्जाम्पल लेते है, टेरी फॉक्स का (Terry Fox) उसे एक रियर टाइप का बॉन कैंसर था इसलिए उसका एक पैर काटना पड़ा. पूरे 16 मंथ्स के लिए उसे कीमोथेरेपी लेनी पड़ी थी. फिर एक दिन टेरी ने एक आदमी के बारे में पढ़ा जिसने नकली पैर के साथ मैराथन ज्वाइन किया था. टेरी ने डिसाइड किया कि वो भी मैराथन में पार्ट लेगा.

हालाँकि टेरी रेस में लास्ट आया, लेकिन फिर भी लोग उसके लिए चीयर कर रहे थे. उसके बाद उसने एक फंडरेज़र स्टार्ट करने की सोची. टेरी एक दिन में एक मैराथन दौड़ता था और पूरे कैनेडा को क्रोस कर लेता था. उसे उम्मीद थी कि वो अपने जैसे बाकि कैंसर पेशेंट्स के लिए $24 मिलियन फंड जमा कर लेगा. टेरी की स्टोरी लोगो तक पहुंची और उन्होंने उसे सपोर्ट किया. लोग वेट करते थे कि टेरी कब उनके टाउन में पहुंचेगा. टेरी पूरे 143 दिनों तक दौड़ता रहा.

इसी बीच उसे हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा क्योंकि कैंसर उसके लंग्स तक फ़ैल चूका था. टेरी टीवी पर भी आया. वो पोपुलर हो चूका था. लोग उसके कॉज के लिए ज्यादा से ज्यादा डोनेट कर रहे थे. हैरानी की बात तो ये थी होस्पिटल में एडमिट होने के बावजूद जितना उसने सोचा था उतना अमाउंट उसके फंड में आ चूका था. इस स्टोरी का सेड पार्ट ये है कि इसके कुछ दिनों बाद ही टेरी की डेथ हो गयी. मगर टेरी फॉक्स रन आज भी कन्टिन्यू चल रहा है. ये एक एनुअल फंड रेजिंग मैराथन इवेंट है जिसकी वजह से दुनिया भर में कई सारे कैंसर पेशेंट्स को हेल्प मिली है.

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