(hindi) Peaceful Parent, Happy Kids: How to Stop Yelling and Start Connecting

(hindi) Peaceful Parent, Happy Kids: How to Stop Yelling and Start Connecting

इंट्रोडक्शन(Introduction)

ज़्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चे पर चिल्लाते क्यों हैं? क्या बच्चे का व्यवहार बदलने के लिए उस पर चिल्लाने से, डराने से या ज़ोर ज़बरदस्ती करने से कोई असर होता है? आप कैसे अपने बच्चे को एक disciplined, इंडिपेंडेंट और सहयोग देने वाला इंसान बना सकते हैं? क्या बच्चों को पनिशमेंट देना सच में काम करता है? इस बुक में आपको इन सवालों का जवाब मिलेगा जो आपकी सोच हमेशा के लिए बदल देगा.

एक बार सिंथिया नाम की एक माँ ने डॉ. लॉरा से मदद मांगी. उसने कहा कि जब वो छोटी थी तो उसकी माँ उस पर बहुत चिल्लाती थी. उसकी दादी भी बिलकुल ऐसा ही करती थीं. उसके परिवार में ज़्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों पर चिल्लाते थे लेकिन अब वो इस cycle को तोड़ना चाहती थी.

हम सभी शांत और खुश मिजाज़ बच्चे चाहते हैं. हम सभी उनके नखरों और बुरे व्यवहार को ख़त्म करना चाहते हैं. सालों की स्टडी से पता चला है कि ऐसा करना पॉसिबल है. एक असरदार तरीका है जिससे आपके बच्चे ख़ुशहाल होंगे और आप पीसफुल पेरेंट्स.

आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि अपने बच्चों के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाने से पहले आपको अपने आप सेएक अच्छा और बैलेंस्ड रिश्ता बनाने की ज़रुरत है.पीसफुल पेरेंट्स बनने का पहला स्टेप है ख़ुद को कंट्रोल करना. इस बुक में आप सीखेंगे कि ख़ुद के बचपन का सामना कैसे करना है और अपने इमोशंस को कैसे कंट्रोल किया जाता है.

दूसरा स्टेप है कनेक्शन बनाने पर बढ़ावा देना. आप सीखेंगे कि आप कैसे अपने बच्चे के साथ प्रीस्कूल में, स्कूल में,उम्र के हर पड़ाव में उसके साथ एक स्ट्रोंग रिलेशनशिप बना सकते हैं. टीनऐज का पड़ाव बहुत नाज़ुक होता है, इसमें बच्चे अलग चीज़ें महसूस करते हैं और अक्सर पेरेंट्स से कनेक्ट नहीं कर पाते. लेकिन निश्चिंत रहे क्योंकि अपने टीनऐज बच्चे के साथ भी एक क्लोज़ बोंड बनाना बिलकुल पॉसिबल है और ये आपको इस बुक को पढ़ने के बाद समझ में आ जाएगा.

तीसरा स्टेप है, कोचिंग, कंट्रोलिंग नहीं. आप सीखेंगे कि अपने बच्चे की भावनाओं को कैसे पहचाना जाए. आप इमोशनल इंटेलिजेंस के बारे में जानेंगे और आप सीखेंगे कि उसे अचीव करने में आप अपने बच्चे की कैसे मदद कर सकते हैं. इमोशंस हमारी पर्सनालिटी का एक अहम हिस्सा होताहै. उन्हें समझ कर अपने बच्चे को समझाना, आपके बच्चे को लाइफ के हर challenge से लड़ने के लिए तैयार करेगा.

PART ONE: REGULATING YOURSELF
योर नंबर वन रिस्पांसिबिलिटी एज़ अ पैरेंट (Your Number One Responsibility as a Parent)

कई लोग कहते हैं कि एक पैरेंट होना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है. लेकिन वो ऐसा क्यों कहते हैं? इसके दो कारण हैं – पहला, क्योंकि ये बहुत ज़िम्मेदारी का काम होता है और दूसरा इसके लिए कहीं कोई क्लियर इंस्ट्रक्शन नहीं हैं कि इसे कैसे किया जाना चाहिए.

लेकिन असल में क्या ये सच है? ऊपर बताया गया पहला कारण तो सौ फ़ीसदी सच है लेकिन दूसरे सवाल का जवाब आपको चौंका देगा.कई स्टडीज से ये बात बार-बार सामने आई है कि जो पेरेंट्स प्यार, शांति और एक कनेक्शन द्वारा अपने बच्चों को बड़ा करते हैं वो बच्चे आगे चलकर हंसमुख, ज़िम्मेदार और disciplined बनते हैं. एक्सपर्ट्स ने ये साबित किया है कि चिल्लाकर अपने बच्चों से बात मनवाना एक असरदार तरीका हो ही नहीं सकता. इसके बजाय ये परिवार के रिश्तों को ही बर्बाद कर देता है.

आप इसे अपने घर में होने से रोक सकते हैं, नज़रिया बदल कर तो देखिए. पहली चीज़ जो आपको सीखने की ज़रुरत है वो है माइंडफुलनेस यानी अपने इमोशंस को मैनेज करना. यानी जब आप परेशान होने के बावजूद उसका असर ख़ुद पर नहीं होने देते तब उसे माइंडफुलनेस की स्टेट कहा जाता है.

बच्चों का नेचर ही ऐसा है कि वो हर रोज़ कुछ ना कुछ करेंगे जो आपको पागल बना देगा. वो नहीं जानते सही और गलत क्या है. उन्हें अभी बहुत कुछ समझना बाकि है, अपने इमोशंस को कंट्रोल करना सीखना बाकि है और पैरेंट होने के नाते आपको उन्हें ये सब सिखाना होगा. लेकिन अगर आप ख़ुद अपने इमोशंस कंट्रोल नहीं कर सकते तो आप उन्हें कैसे सिखाएँगे.

एग्ज़ाम्पल के लिए, एक दिन आपकी बड़ी बेटी ने आपकी छोटी बेटी को मारा. तो आपको क्या लगता है, क्या आपको अपनी बड़ी बेटी को तुरंत सज़ा देनी चाहिए? बेशक, क्योंकि उसने जो किया वो गलत है. लेकिन पहले आपको ये समझना चाहिए कि वो गुस्सा कहाँ से आ रहा है, क्यों आ रहा है. शायद आपकी बड़ी बेटी अपनी बहन से जलती है और क्योंकि वो ख़ुद बच्ची है, वो अपने इमोशंस को कंट्रोल नहीं कर सकती.

अब अगर आप अपनी बड़ी बेटी पर चिल्लाएँगे या उसे मारेंगे तो ये दिखाता है कि आप ख़ुद अपने इमोशंस को कंट्रोल नहीं कर सकते. इसलिए एक पैरेंट के रूप में सबसे पहले आपको माइंडफुल और केयरफुल होने की ज़रुरत है.

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ब्रेकिंग द साईकल: हीलिंग योरओन वुंड्स (Breaking the Cycle: Healing Your Own Wounds)

कभी-कभी ऐसा भी वक़्त आएगा जब आप किसी सिचुएशन को सहन नहीं कर पाएँगे. इसके लिए आपको कुछ और भी समझने की ज़रुरत है. अपने बच्चों को बड़ा करना आपको अपने बचपन में वापस ले जाता है. अगर आपके बचपन की कोई ऐसी कड़वी याद या घाव है जो अब तक भरे नहीं हैं तो ऐसा हो सकता है कि आप अपने बच्चे को वही दर्द देंगे.

आपका बच्चा आपको उस समय की याद दिलाएगा जब आपके पापा हमेशा घर से दूर रहते थे और आपकी मम्मी आप पर गुस्सा किया करती थीं. आपके बच्चे का बचपन आपकी बुरी यादों को ट्रिगर करेगा. अब आपको ख़ुद से पूछना होगा, क्या आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भी उस दुःख और दर्द से गुज़रे जिससे आप गुज़रे थे? क्या आप चाहते हैं कि उसके मन में भी बचपन की बुरी यादें घर कर जाए जैसे आपके मन में कर गईं?

आप इस साईकल को ब्रेक कर सकते हैं. आप ख़ुद अपने बचपन के घाव को भर सकते हैं ताकि आपका बच्चा उसे एक्सपीरियंस ना करे. आपके बच्चे डाउट, अकेलापन और डर जैसे इमोशंस, जो आपके मन में थे, को दूर कर एक अच्छी जिंदगी जी सकते हैं.

यहाँ तीन तरीके हैं जिनसे आप अपने बचपन के घावों को भर सकते हैं और अपने बच्चों के लिए एक बेहतर बचपन बना सकते हैं.पहला है, “Use your inner pause button”. अगर आपके बच्चे ने कुछ ऐसा किया है जो जिससे आपको गुस्सा आ जाए तो गहरी सांस लें और अपने अंदर के पॉज़ बटन को दबाएँ. यहाँ पॉज़ का मतलब है ठहराव. रुक कर सोचें कि आप किस तरह रियेक्ट करने जा रहे थे. क्या आप अपने बच्चे को मारने वाले थे? क्या आप उसकी insult करने वाले थे?
अपने पॉज़ बटन को दबाएँ.

अगर आपने चिल्लाना शुरू कर दिया है तो भी रुक जाएं और रूम से बाहर चले जाएं. अगर आपने उसे मारने के लिए हाथ उठा दिया है तो बीच में अपना हाथ रोक लेना, इसमें कोई शर्मिंदगी की बात नहीं है. शर्मींदगी की बात तब होगी जब आप अपने बच्चे को दिखाते हैं कि आप ख़ुद को कंट्रोल नहीं कर सकते. आपको शर्मिंदा तब होना चाहिए जब आप अपने इमोशंस में बहक कर बेकाबू हो जाते हैं.

दूसरा तरीका है, “Reset your own story.” एग्ज़ाम्पल के लिए, जब आप छोटे थे तब आपके पापा घर छोड़ कर चले गए. उस वजह से आपको लगने लगा कि आपमें ही कोई कमी है, आप इतने बेकार हैं कि आप अपने पापा के रुकने का कारण भी ना बन सके. लेकिन अब आपको अपने सोचने का नज़रिया बदलना होगा.
अब आप बड़े हो चुके हैं और आपको ये एहसास होना चाहिए कि आप एक यूनिक इंसान हैं. आपके पापा के अपने कारण थे जिस वजह से उन्होंने घर छोड़ा. इससे आपका कोई लेना देना नहीं है.

एक और एग्ज़ाम्पल है, बचपन में गलती करने पर आपकी मम्मी अक्सर आपको थप्पड़ मारा करती थीं. उस वजह से आपने मन में ये बात बैठा ली कि आप एक बुरे बच्चे हैं और आप प्यार पाने के हकदार नहीं हैं. अब यहाँ फ़िर आपको अपने माइंड को रिसेट करने की ज़रुरत है.आपको ये समझना होगा कि आपकी मम्मी के अपने प्रोब्लम्स थे.

हर बच्चा प्यार और अटेंशन के लिए तरसता है. जिस चीज़ से उसे अटेंशन मिलती है वो उसे ही दोहराने लगता है. उसे इस बात की समझ नहीं होती कि सही क्या है और गलत क्या है. अगर आपको भी कोई गलती करने पर ही अटेंशन मिलती थी, तो आप अपने बच्चे के साथ ऐसा ना करें.

तीसरा तरीका है,“Relieve your stress.” आप अपने बच्चे पर इतना गुस्सा क्यों करते हैं? शायद इसका कारण है कि आप बहुत थके हुए हैं या शायद आपकी नींद पूरी नहीं होती. या हो सकता है कि आपका अपने पार्टनर या बॉस के साथ बहस हुआ हो. लेकिन इसका गुस्सा अपने बच्चे पर निकालना तो सही नहीं है.

स्ट्रेस तो हम सब की लाइफ का हिस्सा बन गया है तो क्या आप ख़ुशी से जीना छोड़ देंगे? अपने स्ट्रेस को कम करने की कोशिश करें. ये आप कैसे भी कर सकते हैं जैसे हॉट बाथ लेकर, मैडिटेशन, योगा, एक्सरसाइजया अपना favourite चीज़ बर्गर खाकर. आप म्यूजिक सुनकर या टीवी देखकर भी अपना मूड चेंज कर सकते हैं. जब आप शांत और ठंडे दिमाग से सोचेंगे सिर्फ़ तब आप एक अच्छे पैरेंट बन सकते हैं. ऐसा पैरेंट नाबनें जिन्हें देखकर बच्चे डर कररूम से भाग जाएं बल्कि ऐसे पैरेंट बनें जिन्हेंदेखते ही वो दौड़कर गले लगा लें.

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