(Hindi) The Personal MBA: A World-Class Business Education in a Single Volume

(Hindi) The Personal MBA: A World-Class Business Education in a Single Volume

इंट्रोडक्शन(Introduction)

फेमस एक्टर जॉन वायने ने एक बार कहा था, “लाइफ टफ है लेकिन अगर आप स्टुपिड हैं तो ये और भी ज़्यादा टफ हो जाता है”. एक बिज़नेस चलाना इतना भी पेचीदा काम नहीं है. एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन बनने के लिए आपको MBA की डिग्री लेने की ज़रुरत भी नहीं है.
हो सकता है कि आप फेल होने से डरते हों या शायद आपको पता नहीं है कि शुरुआत कहाँ से करनी है. अगर आप भी इन सवालों में उलझे हैं तो ये बुक आपके लिए है. ये सबसे प्रैक्टिकल और समझने में आसान बिज़नेस बुक है.

इसमें आप कई इम्पोर्टेन्ट कॉन्सेप्ट्स के बारे में सीखेंगे. आप समझेंगे कि असल में बिज़नेस कैसे काम करता है, इसकी शुरुआत कैसे करनी चाहिए और अपने मौजूदा बिज़नेस को कैसे इम्प्रूव किया जा सकता है.

आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि बिज़नेस करना बहुत रिस्की होता है, आप इसमें बड़ा पैसा खो सकते हैं या आप बिज़नेस चलाने में एक्सपर्ट नहीं हैं. जितनी भी नेगेटिव बातें लोग आपको बताते हैं उन सब के बारे में भूल जाइए. आपको सक्सेसफुल होने के लिए सब कुछ जानने की ज़रुरत नहीं है और एक बड़े इन्वेस्टमेंट की जगह आप छोटी सी शुरुआत भी कर सकते हैं.

एक बिज़नेस शुरू करने के लिए आपको 5 चीज़ों को समझना होगा.तो आइये एक एक करके इन्हें गहराई से समझते हैं.

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वैल्यू क्रिएशन (Value creation)

बिज़नेस शुरू करने के लिए सबसे पहली चीज़ जो आपको सोचनी है वो है प्रोडक्ट. आप कौन सा प्रोडक्ट या सर्विस लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं. अपने प्रोडक्ट या सर्विस के ज़रिए आप लोगों को कितनी वैल्यू दे पाएँगे. आपकी असली वर्थ इस बात पर डिपेंड करती है कि आप लोगों को उनके पैसों के बदले कितनी वैल्यू दे सकते हैं. ऐसी कौन सी चीज़ है जिसकी लोगों को ज़रुरत है या मार्केट में जिसकी कमी है?

जो भी चीज़ कस्टमर की लाइफ को थोड़ा भी बेटर बना दे उसे वैल्यू कहा जाता है. वैल्यू एक ऐसा एक्सपीरियंस भी हो सकता है जिसे कस्टमर हमेशा याद रखे और दूसरे प्रोडक्ट उसे अपनी ओर अट्रैक्ट ना कर सकें, एक ऐसा एक्सपीरियंस जिसके सामने दूसरों की सर्विस फ़ीकी लगने लगती है. यानी अगर आप दूसरों के मुकाबले उसी दाम पर अपने प्रोडक्ट में ज़्यादा वैल्यू जोड़ कर देंगे तो आप लंबे समय तक सक्सेसफुल बने रहेंगे और ये संभव है ।इसी सोच से आप लॉयल कस्टमर्स बना सकते हैं.दुनिया के टॉप ब्रांड्स और बिज़नेस ने इसी बात पर फोकस किया है.

इसे और अच्छे से समझने के लिए आइये पहले बिज़नेस को डिटेल में समझते हैं.
बिज़नेस एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है जो–
1.    डिमांड को समझ कर प्रोडक्ट या सर्विस क्रिएट करके वैल्यू प्रोवाइड करता है
2.    जो कुछ लोगों की ज़रुरत को पूरा करता है
3.    प्रोडक्ट या सर्विस को ऐसे दाम पर बेचता है जिसे कस्टमर देने के लिए तैयार होता है
4.    ऐसा प्रोडक्ट बनाता है जो लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर सके ।
5.    इस तरह बिज़नेस इतना प्रॉफिट कमा सकता है जिससे बिज़नेस ज़ारी रखने के लिए बिजनेसमैन को सोचना ना पड़े.

ये 5 चीज़ें बिज़नेस के इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स हैं और एक दूसरे सेजुड़े हुए हैं. पहला है, वैल्यू क्रिएशन. इसमेंकस्टमर की ज़रुरत को समझ कर एक प्रोडक्ट या सर्विस बनाया जाता है. दूसरा है मार्केटिंग, इसका मकसद होता है लोगों का ध्यान अपने प्रोडक्ट की तरफ़ खींचना और अपने बनाए हुए प्रोडक्ट की डिमांड को क्रिएट करना.

तीसरा है, सेल्स. इसमें आप अपना प्रोडक्ट कस्टमर तक पहुंचाते हैं जिसके लिए वो उचित कीमत चुकाते हैं. चौथा है, वैल्यू डिलीवरी. इस स्टेप में आपने जो वादा किया था वो वैल्यू और एक्सपीरियंस कस्टमर को देना और इस बात का ध्यान रखना होता है कि आप उनकी उम्मीदों पर खरे उतरें. पाँचवा है, फाइनेंस.

इसका मकसद ये देखना होता है कि आप इतना प्रॉफिट तो कमाएँ कि बिज़नेस को कंटिन्यू किया जा सके.
तो देखा आपने, एक बिज़नेस को चलाने के लिए सिर्फ़ इन 5 बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है. ज़रूरी तो नहीं कि बिज़नेस करना बहुत मुश्किल और पेचीदा हो.
चाहे आपने फाइनेंस के सब्जेक्ट को स्टडी किया हो या नहीं या आप अमीर हों या नहीं या आपके परिवार में कभी भी किसी ने बिज़नेस नहीं किया हो तब भी आप अपने दम पर बिज़नेस की शुरुआत कर सकते हैं.

अपने बिज़नेस के इन 5 पॉइंट्स को पेपर पर लिखें या आप एक सिंपल डायग्राम भी बना सकते हैं. अगर आपने इसे ठीक से कर लिया तो इसका मतलब है कि आप सही डायरेक्शन में बढ़ रहे हैं. इसका ये मतलब भी है कि आपके पास एक क्लियर बिज़नेस प्लान है और वो बिलकुल सक्सेसफुल हो सकता है.
आपको एक और बात जानने की ज़रुरत है. इसे “आयरन लॉ ऑफ़ द मार्केट” कहते हैं. इसे हम इस कहानी से समझ सकते हैं.

डीनकैमेन एक इन्वेंटर हैं. 2002 में उन्होंने Segway PT बनाई थी. ये एक सेल्फ-बैलेंसिंग टू व्हीलर स्कूटर है जिसे उन्होंने 5,000 $ में बेचा था. डीन का कहना था कि उनका प्रोडक्ट ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री में एक रेवोल्यूशन लाने की ताकत रखता था, ठीक वैसे ही जैसे कार के इन्वेंशन ने घोड़ों और बग्घियों(कार्ट) की जगह ले ली थी.उन्होंने उम्मीद की थी कि वो एक साल में 50,000 स्कूटर बेचेंगे.

लेकिन पाँच साल बाद भी वो सिर्फ़ 23,000 स्कूटर ही बेच पाए थे. ये उनके गोल का 10% भी नहीं था. स्कूटर का डिजाईन उसका प्रॉब्लम नहीं था. वो काफ़ी सिंपल और आरामदायक था और तो और वो इको-फ्रेंडली भी था. प्रॉब्लम थी उसकी कॉस्ट. लोग एक स्कूटर पर 5,000 $ खर्च नहीं करना चाहते थे. इसके बजाय पैदल चलना या बाइक पर जाना ज़्यादा सस्ता था. इस प्रोडक्ट की मार्केट में कोई डिमांड ही नहीं थी.

जो बिजनेसमैन बनना चाहते हैं वो अक्सर यही गलती दोहराते हैं. प्रॉफिट कमाने के लिए मार्केट में आपके प्रोडक्ट की रियल डिमांड होनी चाहिए, अगर ये सिर्फ़ आपकी इमेजिनेशन में होगा तो काम नहीं करेगा. इसे “आयरन लॉ ऑफ़ द मार्केट” कहते हैं. अगर आपके प्रोडक्ट की डिमांड नहीं होगी तो इसे ख़रीदेगा कौन.इसलिए अपने बिज़नेस प्लान को बनाने के बाद उसे दोबारा ठीक से देखें. थोड़ा मार्केट रिसर्च करना बहुत फायदेमंद होगा.

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मार्केटिंग (Marketing)

अब आप अपने प्रोडक्ट की डिमांड कैसे क्रिएट करेंगे? ये सिर्फ़ मार्केटिंग द्वारा किया जा सकता है. सिर्फ़ प्रोडक्ट बनाना काफ़ी नहीं है. आप क्या ऑफर कर रहे हैं लोगों को इसके बारे में पता होना चाहिए.

मार्केटिंग का मकसद होता हैसही लोगों का ध्यान अपनी ओर अट्रैक्ट करना और आपका प्रोडक्ट खरीदने के लिए उनमें दिलचस्पी जगाना. ये आपके टारगेट कस्टमर होते हैं.

मार्केटिंग उन कस्टमर्स को ढूँढने का साइंस है जो आपका प्रोडक्ट ज़रूर खरीदेंगे.जो बिज़नेस सबसे तेज़ और कम पैसों को ख़र्च कर के अपने टारगेट कस्टमर को अट्रैक्ट कर लेता है उसे एक उम्दा और सक्सेसफुल बिज़नेस कहा जा सकता है. आप जितने ज़्यादा लोगों तक अपना प्रोडक्ट पहुंचा पाएँगे, आप उतने ज़्यादा सक्सेसफुल होंगे.

मार्केटिंग को अक्सर सेल्स समझने की गलती की जाती है. हम सब ने डायरेक्ट मार्केटिंग के बारे में सुना है. इसमें सेल्समेन स्पॉट पर कस्टमर को अपना प्रोडक्ट दिखा कर उसे खरीदने के लिए कन्विंस करता है.

लेकिन आमतौर पर, मार्केटिंग राईट कस्टमर का ध्यान अपनी ओर खींचने के बारे में है. तो वहीँ, सेल उसे कहा जाता है जब कस्टमर आपका प्रोडक्ट खरीद कर बदले में आपको पैसे देता है.

लोगों का ध्यान खींचना बहुत मेहनत का काम है. लोग अपने डेली लाइफ में इतने बिजी हैं कि हो सकता है कि उनका ध्यान आपके प्रोडक्ट पर ना जाए. इसलिए आपकी मार्केटिंग बहुत ज़बरदस्त और असरदार होनी चाहिए ताकि कस्टमर उसे नोटिस करने पर मजबूर हो जाए.

अब सवाल ये है कि इसे किस तरह किया जा सकता है. पहला, मार्केटिंग राईट कस्टमर को अट्रैक्ट करने के लिए किया जाना चाहिए. मान लीजिये कि आप घर पर बना वेजीटेरियन खाना बेचना चाहते हैं तो सोशल मीडिया पर वेजीटेरियन ऑडियंस को सर्च करें. आप वहाँ एक ब्लॉग पोस्ट कर सकते हैं या अपनी वेबसाइट का लिंक शेयर कर सकते हैं.अगर आप नॉन-वेजीटेरियन ऑडियंस को अपने add के बारे में बताएँगे तो ये आपकी बेवकूफ़ी होगी.

दूसरा, आपकी मार्केटिंग कुछ हट कर होनी चाहिए. कुछ ऐसा जिसे देख कर उससे नज़रें हटाना मुश्किल हो. जो कस्टमर में उस प्रोडक्ट के बारे में और जानने की इच्छा को पैदा करे. जैसे की इस एक्जाम्पल में.

जौश कॉफ़मैन जब भी जॉगिंग पर जाते तो अपना Vibram Five Fingers shoes पहनते थे. वो जूते काफ़ी यूनिक थे और आसानी से किसी का भी ध्यान अपनी ओर खींच लेते थे.रास्ते में लोग अक्सर जौश को रोक कर उनके जूतों के बारे में पूछा करते थे.

जूतों का शेप इतना हट कर था कि लगता था मानो उसे ग्लव्स और जूतों की डिजाईन को मिक्स कर के बनाया गया था. अंगूठे की जगह एक पॉकेट जैसा शेप था. उनके सोल पतली रबर के थे जो रास्ते पर पड़े पत्थर और काँच से पैरों को सुरक्षित रखने का काम करते थे. इसे पहनने वाले के पैर बिलकुल एक मेंडक के पैर जैसे लगते थे.

उसकी डिजाईन इतनी अलग थी कि सबकी नज़र उस पर पड़ ही जाती. यहाँ तक कि एक खडूस और स्ट्रिक्ट दिखने वाला आदमी भी जौश को रोक कर पूछ लेता कि उन्होंने जूते कहाँ से खरीदे.

Vibram को अब advertise करने की ज़रुरत नहीं थी. उनका ये यूनिक प्रोडक्ट अपने आप बिक जाता था.ये प्रोडक्ट बहुत ज़्यादा सक्सेसफुल रहा. 2006 में जब इसे पहली बार मार्केट में डिस्प्ले किया गया तब से लेकर हर साल इसकी सेल तीन गुना बढ़ती रही. ये एक फैशन ट्रेंड और क्रेज़ बन गया था. 2009 तक इसकी टोटल सेल 10 मिलियन$ पहुँच गई थी.उन्हें टीवी कमर्शियल और बड़े बड़े बिलबोर्ड के ज़रिए advertisement करने की ज़रुरत नहीं थी.

ऑथर सेथ गोडिन का कहना है कि मार्केटिंग एकदम यूनिक और दिलचस्प होनी चाहिए बिलकुल एक पर्पल cow की तरह. जितने भी मार्केटिंग techiques और आइडियाज हैं वो सबब्राउन cow जैसे हैं, बिलकुल एक जैसे, बोरिंग और आर्डिनरी. अब एक फील्ड में बहुत सारे ब्राउन cows के बीच एक पर्पल cow को इमेजिन करें. आपकी नज़र उस पर पड़ेगी ही पड़ेगी. आप चाह कर भी उससे नज़रें नहीं हटा पाएँगे.

आपको exactly यही अपने कस्टमर के साथ करना है. आपकी मार्केटिंग इतनी ज़बरदस्त होनी चाहिए कि लोग आपका प्रोडक्ट खरीदे बिना ना रह सकें.

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