(Hindi) Ikigai: The Japanese Secret to a Long and Happy Life

(Hindi) Ikigai: The Japanese Secret to a Long and Happy Life

इंट्रोडक्शन(Introduction)

आज के शोर शराबे और भागती हुई दुनिया में हमें शांति और अपने मेंटल हेल्थ के बारे में सोचना बहुत ज़रूरी है. कई बार ऐसा समय भी आता है जब हम दुखी, निराश और ऐसे वक़्त का सामना कर रहे होते हैं जब हमें उम्मीद की कोई रौशनी नजर नहीं आती.आप खुद से सवाल करने लगते हैं कि हम कैसे इतनी जल्दी बूढ़े हो गए, अभी तक तो हमने कुछ अचीव भी नहीं किया है. ऐसा क्यों है कि आपके पास एक अच्छी जॉब है फ़िर भी आप ख़ुश नहीं हैं? हो सकता है कि आप अपनी लाइफ अपनी पसंद की जगह वैसे जी रहे हों जैसे दूसरे चाहते हैं.शायद आप अपने पसंद का करियर नहीं चुन पाए, आप जज किए जाने से डरते हैं और चेंज से घबराते हैं.

आपको हमेशा लगता रहा कि अपने चुने गए फील्ड में आप प्रोडक्टिव नहीं हैं और बस अपना टाइम वेस्ट कर रहे हैं.शायद आपको हमेशा ऐसा लगता रहा कि आपका लोगों पर कोई असर नहीं होता और आप इम्पोर्टेन्ट नहीं हैं. अगर ऐसे ख़याल आपके भी मन में आते रहे हैं तो चिंता मत कीजिये इस जर्नी में आप अकेले नहीं हैं.

जैसे जैसे हम आगे बढ़ेंगे, ये बुक आपको समझाएगी कि अपना इकिगाई (Ikigai) कैसे ढूंढना है. यह एक जापानी वर्ड है जिसका मतलब है  “हमारे होने का कारण”. यह दो शब्दों में बाटाँ जा सकता है  “इकी” मतलब“लाइफ” और“गाई” यानी“मीनिंग”  जो लाइफ में अपने पर्पस  को खोजने के बारे में है. यह लोगो थेरपी के फिलोसोफी से जुड़ा हैजो एक ट्रेडिशनल प्रिंसिप्ल है जिसे विक्टर फ्रैंकल ने बनाया था और जिसका मतलब होता है “अपने लाइफ का पर्पस”.

तो हम उम्मीद करते हैं कि आपअपना इकिगाई ढूंढ पाएँगे और ख़ुश रहेंगे.

चैप्टर 1
इकिगाई: द आर्ट ऑफ़ स्टेइंग यंग व्हाइल ग्रोविंग ओल्ड (Ikigai: The Art of staying young while growing old)

क्या आप जानते हैं कि आपका इकिगाई क्या है?
क्या आपने कभी ख़ुद से पूछा है कि आप किस डायरेक्शन की ओर बढ़ रहे हैं? हो सकता है कि आप पूछ रहे हों कि आपकी इकिगाई कहाँ है और आप इसे कैसे ढूंढ सकते हैं.

इसे ढूँढने के लिए पेशेंस की ज़रुरत होती है लेकिन यकीन मानिए ये एक बहुत कीमती खज़ाना है. इसके लिए आपको ख़ुद को थोड़ा और जानने की ज़रुरत है. अगर आपने इसे ख़ोज लिया है तो congratulation क्योंकि कई लोग तो इसे ढूँढने के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं लेकिन उन्हें अब तक नहीं मिली.

इकिगाई आपके पैशन, इस दुनिया में आपके मिशन, आपके काम और प्रोफेशन का सेंटर है. ये इन चार चीज़ों से बना है – आपको किस चीज़ से प्यार है (आपका पैशन), इस दुनिया को किस चीज़ की ज़रुरत है (आपका मिशन), आप किस चीज़ में बेस्ट हैं  (आपका काम) और आपको आपके काम के लिए क्या मिल सकता है (आपका प्रोफेशन). आपका पैशन आपके मिशन के बिलकुल साथ साथ चलना चाहिए.

आप वही करें जो आपको पसंद है लेकिन उसका एक पर्पस भी होना चाहिए. जैसे मान लीजिये कि आपको बुक लिखना पसंद है. ये आपका पैशन है और आपको लगता है कि बस एक यही चीज़ है जिसे आप अच्छे से कर सकते हैं. आप लिखना शुरू करते हैं क्योंकि आपका मिशन है लोगों को अपने शब्दों से इंस्पायर करना.

आपको अपनी बुद्धि और एबिलिटी के लिए पैसे भी मिलते हैं और ये आपका प्रोफेशन बन जाता है.अब आपके हर शब्द की एक कीमत है. ये तो बिलकुल वैसा हो गया कि एक तीर से दो शिकार : आपको जो करना सबसे ज़्यादा पसंद है उसके लिए आपको पैसे भी दिए जा रहे हैं. और इस वजह से आप जल्दी रिटायर नहीं होते. जिस चीज़ से आपको प्यार है उसे करते रहिये, यही एक कारण जो आपको यंग बनाए रखता है.
याद रखना..
आप काम करते हैं क्योंकि आपको उस काम से प्यार है सिर्फ़ इसलिए नहीं कि आपको उस काम के लिए पैसे मिलते हैं बल्कि उससे मिलने वाली ख़ुशी, satisfaction औरउसका दूसरों के लाइफ पर जो पॉजिटिव असर होता है वो भी इसमें शामिल होताहै.

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चैप्टर 2– एंटी-एजिंग सीक्रेट्स
(Anti-Aging Secrets)

आज कल टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो गई है जो हमें ये जानने में मदद करती है कि उम्र को आगे बढ़ने से कैसे रोका जाए. इसका ये मतलब नहीं है कि हम टेक्नोलॉजी पर डिपेंडेंट हो जाएँ लेकिन ये हमारा स्ट्रेस तो कम करता ही है. ये हमारे लाइफ को इजी और कम्फ़र्टेबल बना देता है.

टेक्नोलॉजी ने हमें जो आराम दिया है उसके कारण हमें मेंटल और फिजिकल एक्सरसाइज करने की ज़रुरत है और इन दोनों को साथ में किया जाना चाहिए. जब आपका माइंड healthy होगा तो आपकी एजिंग प्रोसेस स्लो हो जाती है. हमें चीज़ों को पॉजिटिव रूप से देखने के लिए पॉजिटिव attitude रखना होगा. इससे हमें अपने emotions को ठीक से हैंडल करने में मदद मिलती है. आप अपने आस पास की चीज़ों के प्रति नेगेटिव फीलिंग से ख़ुद को बचा कर रख पाएँगे.

कॉलिंस हेमिंगवे और शोलोमोब्रेज़नित्ज़ के अनुसार,  लोगों से बातचीत करके नई जानकारी और ज़्यादा नॉलेज हासिल करने से और ऐसा काम करने से जो आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते – आपको डिप्रेस होने से बचाता है.

यहाँ तक कि 20 की उम्र में भी ब्रेन में हमारे नयूरोंस की ऐज बढ़ने लग जाती है. इसलिए अपने माइंड को एक्टिव रखने के लिए मेंटल ट्रेनिंग बहुत ज़रूरी है. और अपनी जानने की इच्छा को कभी ख़त्म ना होने दें और हमेशा कुछ ना कुछ नया सीखने की इच्छा को जगाए रखें.

स्ट्रेस एक बहुत बड़ा कारण है जिसकी वजह से लोग बहुत जल्दी बूढ़े होने लगते हैं. ज़्यादातर हेल्थ प्रोब्लम्स स्ट्रेस की वजह से होते हैं. ये हमारे सेल्स के स्ट्रक्चर और healthy सेल्स को डैमेज करना शुरू कर देता है जिसकी वजह से हम समय से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं. साइकोलॉजी प्रोफेसर हॉवर्ड एस फ्राइडमैन के अनुसार, थोड़ा स्ट्रेस हमारे लिए अच्छा होता है. जो लोग स्ट्रेस का लेवल लो बनाए रखते हैं वो उन लोगों की तुलना में जो रिलैक्स्ड, unhealthy लाइफस्टाइल और जल्दी रिटायर होने वाले लोगों से काफ़ी ज़्यादा लंबे समय तक जीते हैं. फिजिकल एक्टिविटी ना करने से मस्कुलर और रेस्पिरेटरी फ़िटनेस कम हो जाती है.

हालांकि, स्ट्रेस कुछ हद तक फ़ायदेमंद है क्योंकि ये हमें किसी भी प्रॉब्लम से उभरने के लिए चैलेंज करता है लेकिन हमें किसी भी प्रॉब्लम की तरफ़ अपने रिएक्शन को ठीक से हैंडल करने की प्रैक्टिस करनी होगी. हमें दुनिया के इस शोर से ख़ुद को घबराया हुआ, कन्फ्यूज्ड,चिंतित और आसानी से स्ट्रेस का शिकार होने वाला इंसान बनने से बचाना होगा. याद रखना, आपके सामने जो सिचुएशन है उसके प्रति आपका जो attitude होता है स्ट्रेस उस वजह से आता है. जो लोग चीज़ों को पॉजिटिव नज़रिए से देखते हैं वो अपने emotions को ज़्यादा अच्छे से हैंडल कर पाते हैं.स्ट्रेस को कम करने के लिए हमें मैडिटेशन, breathing एक्सरसाइज, योगा और बॉडी स्कैन करना चाहिए.

चैप्टर 3
फ्रॉम लोगोथेरपी इंटू इनिगाई
(From Logotherapy into ikigai)

लोगोथेरपी या“अपने लाइफ का पर्पस” सिगमंडफ्रॉयड की साइकोएनालिसिस से थोड़ी अलग है. विक्टरफ्रैंकल की लोगोथेरपी पेशेंट को लाइफ में उनका पर्पस या मीनिंग खोजने के लिए मोटीवेट करती है.

कभी कभी हम अपने आप को लाइफ में जैसा देखना चाहते थे उससे अलग देख कर निराश हो जाते हैं. हमख़ुद क्या चाहते हैं उसके बजाय अक्सर वो चुनते हैं जो सोसाइटी हमसे चाहती है. तो ये जानना बहुत ज़रूरी है कि हम आखिर क्या बनना चाहते हैं और फ़िर उसे पाने के लिए लड़ना होगा और डट कर खड़े रहना होगा. हमें अपने पर्पस को ढूँढने के लिए जीना चाहिए ताकि हम कम्पलीट और satisfied फील कर सकें. ख़ुश रहना आपकी चॉइस है.

हिटलर द्वारा किए गए हमलों  के दौरान विक्टर ने अपने फैमिली के कुछ मेंबर्स को खो दिया था. ये उनके न्यूरोलॉजी और साइकाइट्री में अपनी प्रैक्टिस शुरू करने के एक साल बाद हुआ था. उनकी फैमिली को गिरफ़्तार कर लिया गया था. उनके पिता की डेथ भूख की वजह से हुई थी और उनकी माँ और भाई को मार दिया गया था. ऑशविट्ज़ में उनके लाइफ के दौरान उनके द्वारा  लिखी हुई बुक्स और कागज़ों को ज़ब्त कर के नष्ट कर दिया गया था.

लेकिन अपनी वाइफ और फैमिली से फ़िर मिलने की इच्छा के कारण उन्होंने उम्मीद के दामन को पकड़े रखा.यहाँ तक कि टाइफाइड बुख़ार भी उन्हें दोबारा उन बुक्स को लिखने से नहीं रोक पाया. विक्टर के पास जीने का अब बस यही एक कारण बचा था. यही कारण था कि वो कंसंट्रेशन कैंप जैसे नर्क में भी सर्वाइव करने में सक्सेसफुल रहे. विक्टर ने इसे हमेशा एक अलग नज़रिए से देखा. वो सिर्फ़ यूहीं जीना नहीं चाहते थे बल्कि उनके पास जीने का एक मकसद भी था.

एक बार एक नार्थ अमेरिकन पॉलिटिशियन थे जो अपनी जॉब से नफ़रत करते थे. वो अपने देश की इंटरनेशनल पॉलिसी से सहमत नहीं थे इसके बावजूद उन्हें उसे लागू करना पड़ा. उनके साइकोथेरपिस्ट ने कहा कि उन्हें अपने पिता के साथ झगड़ा भुला कर सुलह कर लेनी चाहिए क्योंकि उनकी ये frustration उनके बिगड़े हुए रिलेशन की वजह से था.

लेकिन विक्टर ने उन्हें इस प्रॉब्लम का एक अलग ही कारण बताया. विक्टर ने उन्हें समझाया कि उनकी निराशा इस कारण से थी कि वो अपने जॉब से प्यार नहीं करते थे. उन्हें एक ऐसा करियर चुनना चाहिए जो उनका पैशन भी हो और उनका पर्पस भी. आख़िर में यही सच निकला. सालों बाद, उस पॉलिटिशियन ने विक्टर को बताया कि उन्होंने पॉलिटिक्स छोड़ कर अपने पसंद का करियर चुन लिया था और उसमें वो बहुत ख़ुश और satisfied थे.

हम सब का एक यूनिक रास्ता है जिस पर हम आगे बढ़ना चाहते हैं. हमें बस इसके लिए लड़ने की हिम्मत करने की ज़रुरत है. तो अपने माइंड को उस पर फोकस कर के अपने सपने को रियलिटी बनाएँ.

एक बार एक औरत थी जिसने अपने 11 साल के बेटे को खो दिया था. अब वो हमेशा ख़ुद की जान लेने के बारे में सोचने लगी थी. उसका एक और बेटा था जिसे जन्म से पैरालिसिस था. उसने अपनी हर उम्मीद खो दी थी और कई बार अपने बेटे और ख़ुद को ख़त्म करने की कोशिश की थी. उसने सोचा कि ऐसा करना आसान होगा और उनके लिए यही सबसे अच्छा होगा. लेकिन उसके बेटे को ये विश्वास था कि उसके लाइफ का कोई ना कोई पर्पस ज़रूर था और अगर वो दोनों मर गए तो उसका पर्पस अधूरा रह जाएगा.

विक्टर ने उस औरत को ख़ुद को आख़री समय में इमेजिन करने के लिए कहा और बोले कि सोचो तुम बहुत अमीर हो लेकिन बे औलाद हो. तब जा कर उस औरत को एहसास हुआ कि उसकी लाइफ का तो कोई मतलब ही नहीं होता. उसने अपनी पूरी ज़िन्दगी सब कुछ अपने बच्चों के लिए ही तो किया था.

अब उसे अपने लाइफ का मीनिंग मिल गया था जो था कि सब कुछ सैक्रिफाइस कर के भी अपने बेटे को एक अच्छी ज़िन्दगी देना. वो ख़ुद को अलग नज़रिए से देखने लगी. उसे पहली बार सुकून महसूस हो रहा था. उसे समझ में आ गया था कि वो फेलियर नहीं है. उसे अपनी लाइफ ख़त्म नहीं करना चाहिए क्योंकि उसका एक और बेटा है जिसके लिए वो जी सकती है.

कभी कभी हमें acceptance की या अपनाए जाने की ज़रुरत होती है. एक बार एक डॉक्टर थे जो बहुत depressed थे, वो विक्टर से मिलने गए. वो अपनी वाइफ की डेथ के दुःख से उभर ही नहीं पा रहे थे. विक्टर ने उसे इमेजिन करने के लिए कहा कि क्या होता अगर वो पहले मर जाते तो? क्या उन्हें लगता है कि उनकी वाइफ ये सदमा झेल पाती? तब जाकर डॉक्टर को एहसास हुआ कि उनकी वाइफ किस दर्द से गुज़र सकती थी, वो शायद ख़ुद को संभाल नहीं पाती. इस तरह, उसने इस सच को एक्सेप्ट करना सीख लिया. यूनिवर्स ने ऐसा इसलिए होने दिया क्योंकि डॉक्टर जितना सोचता था वो उससे कहीं ज़्यादा स्ट्रोंग था.

कभी कभी हम इसलिए उदास और नाख़ुश होते हैं क्योंकि हम चेंज को एक्सेप्ट नहीं कर पाते. उसे रोकने की कोशिश करते हैं. हम एक ऐसे कम्फर्ट ज़ोन में पहुँच जाते हैं कि हम वहाँ से बाहर निकलना ही नहीं चाहते, हम अगला कदम आगे रखना ही नहीं चाहते.

मोरिटा थेरपी का मतलब है “अपनी लाइफ को और बेटर बनाने के लिए नेगेटिव थॉट्स को छोड़ देना”. मान लीजिये, किसी ने आपका वॉलेट चुरा लिया. अब उस चोर के लिए बुरा सोचने के बजाय आप बगल के आइसक्रीम की दुकान पर अपनी पसंद का आइसक्रीम खाकर अपना गुस्सा और नाराज़गी को रिलीज़ कर सकते हैं.  हो सकता है कि उस चोर की कोई मजबूरी हो. हमें थोड़ा और समझदार बनने की और ज़्यादा समझने की ज़रुरत है.

नाइकन थेरपी ने हमें ये सिखाया कि आपकी प्रॉब्लम का कारण दूसरों की नहीं बल्कि आपकी और सिर्फ़ आपकी ज़िम्मेदारी है. इसका मतलब है कि अगर आपको एक अच्छी जॉब नहीं मिली तो अपने स्कूल को ब्लेम ना करें. हो सकता है कि आप में determination की कमी है या आप ख़ुद अभी इसके लिए तैयार नहीं हैं.

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