(Hindi) The Laws of Human Nature

(Hindi) The Laws of Human Nature

इंट्रोडक्शन (Introduction)

द लॉज ऑफ़ ह्यूमन नैचर इंसान की ऐसी कमजोरियां है जो वो अवॉयड नहीं कर पाता है. हम लोग शोर्ट माइंडेड होते है, लालची होते है, हमे छोटी-छोटी बातो पे गुस्सा आ जाता है. हम इंसानों के अंदर फिकल माइंडेड और सेल्फ डीफिटिंग जैसी वीकनेसेस होती है. हम अगर अपनी कमजोरियों या लॉज को अच्छे से समझ जाए तो हम अपनी लाइफ काफी बैटर बना सकते है. फिर ना तो कोई हमारा फायदा उठा पायेगा और ना ही कोई अपने ट्रेप में हमे फंसा सकता है. लेकिन कई बार हमारी खुद की कमजोरी ही हमे मुसीबत में डाल देती है.

इस बुक में हम आपके साथ कुछ ऐसे ही फेमस लोगो की स्टोरीज़ शेयर करेंगे जो अपनी कमजोरियों और ह्यूमन नैचर से ऊपर उठकर सफलता की सीढियों पर चढ़े. देखा जाए तो हर इन्सान में कोई न कोई कमी होती है. क्योंकि इंसान कभी भी परफेक्ट नहीं होता. हमारे अंदर कई सारी कमियाँ होती है. लेकिन अगर हम अपनी इन कमियों को खुद पर हावी होने देंगे तो लाइफ बड़ी मुश्किल हो जायेगी. लेकीन अगर हम अपनी वीकनेसेस पर काबू पा ले तो हम खुद को एक बैटर इन्सान बनाकर एक बैटर लाइफ एन्जॉय कर सकते है.

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द लॉ ऑफ़ कावेट्सनेस (The Law of Covetousness)

गैब्रियल शनेल 11 साल की थी जब उसकी मदर की डेथ हो गयी. उसके फादर ने गैब्रियल और उसकी दो बहनों का फ्रांस के एक कोंवेंट में एडमिशन करवा दिया. और फिर कभी वापस उन्हें मिलने नहीं आये. एक दिन गैब्रियल को कॉन्वेंट में कुछ रोमांटिक नॉवेल्स मिले. शायद कोई बाहर से ये नॉवेल लेकर आया था. तब से गैब्रियल को सिंड्रेला टाइप की स्टोरीज अच्छी लगने लगी. वो इन स्टोरीज़ की प्रिंसेस के साथ खुद को कम्प्येर करती थी जो बचपन में गरीब होती है मगर बड़े होने पर किसी राजकुमार से शादी करती है और एक खुशहाल लाइफ जीती है.

18 साल की उम्र में गैब्रियल कान्वेंट छोडकर सीमट्रेस (seamstress ) की पढ़ाई करने के लिए बोर्डिंग स्कूल चली गयी. गैब्रियल पढ़ाई के साथ-साथ टाउन के अलग-अलग हिस्सों में घूमने जाती और इसी दौरान उसे थियटर का शौक भी लग गया था. थिएटर में जो एक्ट्रेस काम करती थी, गैब्रियल को उनके कलरफुल कपडे और मैक-अप बड़ा अच्छा लगता था. उसने डिसाइड कर लिया था कि वो भी एक फेमस ऐक्ट्रेस बनेगी. गैब्रियल ने एक थियटर ग्रुप ज्वाइन कर लिया और अपना स्टेज नेम रखा” कोको शनेल” (“Coco Chanel”.) थिएटर में काम करने से गैब्रियल को डांसिंग, सिंगिंग और एक्टिंग सीखने का मौका मिला.

मगर गैब्रियल को बड़ी जल्दी ही समझ आ गया था कि उसे अब तक सक्सेस नहीं मिली है जो वो डिज़र्व करती है. फिर उसे पता चला कि कई एक्ट्रेस को उनके अमीर लवर्स सपोर्ट करते है जो उनके महंगे शौक पूरे करते थे. ज्यादातर एक्ट्रेस लक्जूरियस लाइफ जीती थी. उन्हें एक्सपेंसिव जूलरी, कपडे और शूज़ का शौक था. असल में देखा जाए तो अमीरों के पैसो पे मज़े करने वाली ये खूबसूरत एक्स्ट्रेसेस किसी मिस्ट्रेस से कम नहीं थी. ये अपनी खूबसूरती का पूरा फायदा उठाते हुए किसी अमीर आदमी को अपने प्यार के जाल में फंसा के रखती थी. और कोको के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.

उसका एक अमीर चाहने वाला था, एटिएन्ने बालसन (Etienne Balsan). उसने कोको को अपने मेन्शन में रहने के लिए इनवाईट किया.बालसन मेंशन में कुछ और लेडी गेस्ट भी आई हुई थी जिनकी सेक्सी,कर्वी बॉडी के आगे कोको लड़का लग रही थी. कोको चाहती तो कोई भी आदमी उसका दीवाना हो सकता था मगर वो रेस्टलेस थी. वो अपनी लाइफ में सेटिसफाई नहीं थी. एक दिन कोको मिस्टर बालसन के बेडरूम में गयी. उसने उनका वार्डरॉब चेक किया तो उसे कुछ ड्रेसेस दिखी. उसने उनके से कुछ ड्रेसेस निकाली और उन्हें ट्राई किया. उसने बटन वाली शर्ट्स, कोट्-पेंट और हैट पहन के देखे. उसे एक एन्डरोजिनस स्टाइल का आईडिया (androgynous style) एक ऐसा स्टाइल जो आधा मेल और आधे फ़ीमेल स्टाइल के कपड़ो से बना हो.

कोको ने कोर्सेट्स और गाउन्स पहनने छोड़ दिए. मर्दों के कपड़े पहन कर उसे बड़ा फ्री और कम्फर्टबल फील होता था. बाकि दूसरो एक्ट्रेस उसके स्टाइल से जलती थी. क्योंकि कोको की बॉडी पर एन्डरोजिनस स्टाइल बड़ा सूट करता था.मिस्टर बालसन भी उसके इस नए लुक पर फ़िदा थे.   कोको शनेल समझ चुकी थी कि उसे लाइफ में क्या चाहिए. उसे वही फ्रीडम और पॉवर चाहिए थी जो सोसाइटी में मर्दों के पास है. फिर चाहे वो पॉवर उसे सेंस ऑफ़ फैंशन में ही क्यों ना मिले. कोको के डिजाईन किये हैट इतने पोपुलर हुए उसने हैट्स को फेमेनेन लुक देने के लिए उन पर फीदर्स और रिबन्स लगाये थे.

ये हैट्स बड़े स्टाइलिश और ईजी टू वियर थे. पूरे शहर में कोको के डिजाईनर हैट्स की धूम मच गयी थी. ये हैट्स थियटर इंडस्ट्री की एक्ट्रेस का नया स्टाइल क्रेज़ बन गया. और उन्हें देखके शहर की बाकि औरते भी स्टाइलिश हैट्स ट्राई करने के लिए क्यूरियस हो गयी. मिस्टर बालसन का पेरिस में एक फ़्लैट था जो उन्होंने कोको को अपना बिजनेस चलाने के लिए दे दिया. हैट्स के अलावा कोको अपने डिजाईन किये एन्डरोजिनस क्लोथ्स भी सेल करती थी. उस टाइम औरते फैशन के नाम पे सिर्फ कोर्सेट्स और गाउन्स पहनती थी. मगर कोको ने फैशन का ट्रेंड ही चेंज कर दिया था.

औरतो को उसके कपडे इसलिए भी पसंद थे क्योंकि वो उन कपड़ो को पहन कर कहीं भी जा सकती थी. शनेल ब्रांड अपने स्टाइलिश, कॉंफिडेंट और डेरिंग क्लोथवेयर के लिए फेमस था. कोको शोर्ट हेयर रखती थी और अपने क्लाइंट्स को भी छोटे बाल रखने के लिए एंकरेज करती थी. श्नैल ब्रांड के कपडे अमीर औरतो के लिए स्टेट्स सिंबल बन गए थे. सारी अमीर औरते पार्टीज़ में श्नैल की ड्रेसेस और हेयरस्टाइल का शो ऑफ करती थी. 1920 तक कोको श्नैल वर्ल्ड की बेस्ट फैशन डिज़ाइनर बन चुकी थी. फैशन इंडस्ट्री में उसे एक ऑथरिटी माना जाता था. लेकिन कोको की जर्नी अभी पूरी नहीं हुई थी.

कोको खुद का परफ्यूम ब्रांड रीलीज़ करना चाहती थी. उससे पहले किसी और फैशन ब्रांड ने परफ्यूम के बारे में नहीं सोचा था. उन दिनों मार्किट में सिर्फ फ्लोरल सेंट वाले परफ्यूम आते थे. श्नैल ने डिसाइड किया कि उसका परफ्यूम सबसे अलग होगा. एक ऐसी महक वाला परफ्यूम जो किसी भी फ्लावर से ना मिले फिर भी काफी खुशबूदार हो, जो लेडीज़ एंड जेंट्स दोनों को अट्रेक्ट करे. उसने परफ्यूम के लिए एक यूनिक नाम सोचा.

मार्किट में जो परफ्यूम आते थे वो सब किसी ना किसी फ्लावर के नाम पर थे. लेकिन कोको ने एक मिस्टीरियस नाम रखा, श्नैल नंबर 5. इसके लिए उसने काफी मॉडर्न टाइप की पैकेजिंग भी चूज़ की और दो इंटरलॉकिंग “सी” वाला लोगो क्रिएट किया. कोको ने अपना न्यू परफ्यूम एकदम अलग तरीके से लांच किया. उसने अपनी पूरी शॉप में परफ्यूम स्प्रे कर दिया. हवा में एक खुशबू फ़ैल गयी. जो भी शॉप के पास से गुजरता वो इस खुशबू से अट्रेक्ट होकर शॉप में आता और परफ्यूम खरीद कर ले जाता. कोको ने अपने अमीर कस्टमर्स को फ्री सैंपल्स भी दिए. ये परफ्यूम सबको इतना पसंद आया कि सारे पेरिस के अमीर लोगो श्नैल नंबर 5 यूज़ करने लगे. इनफैक्ट ये परफ्यूम लोगो के सर चढ़कर बोला. श्नैल नंबर 5 हिस्ट्री का बेस्ट सेलिंग परफ्यूम बन गया.

इन्सान की फ़ितरत होती है कि वो हमेशा ही मिस्ट्री और टैबू की तरफ अट्रेक्ट होता है. और कोको श्नैल इस ह्यूमन नैचर को बखूबी समझती थी. यही वजह थी उसने अपने पास्ट को हमेशा सीक्रेट रखा. वो हर किसी को एक डिफरेंट स्टोरी बताती थी. अपने बारे में वो इतनी सीक्रेटिव थी कि किसी से भी अपना क्रिएटिव प्रोसेस शेयर नहीं करती थी और ना ही ज्यादा पब्लिक में जाती थी. कोको ने अपने चारो तरफ एक मिस्ट्री की दिवार बना रखी थी. कोको श्नैल ने अपने ब्रांड को थोडा सा रिबेलियस भी रखा था. उसने स्टीरियो टाइप को चेलेंज किया था.

सोसाईटी में औरतो को बड़े फेमिनाइन और डेलिकेट यानी छुई-मुई वाली इमेज में देखा जाता था. लेकिन कोको ने औरतो के लिए जो कपड़े डिजाईन किये वो काफी डेयरिंग टाइप के थे, ट्रेडिशनल एकदम अलग. कोको का स्टाइल बोल्ड और ब्यूटीफुल था. जैसा कि हमने पहले भी मेंशन किया है, वो औरतो को शोर्ट हेयर रखने के लिए एंकरेज करती थी. स्विम सूट्स से लेकर लिटल ब्लैक ड्रेस और अपने एन्डरोजिनस स्टाइल क्लोथिंग से कोको ने सोसाईटी के नॉर्म्स बदल कर रख दिए थे. एक्चुअल में ये एक ट्रिक है कि परफ्यूम श्नैल नंबर 5 नाम से पता नहीं चलता कि सेंट बना किस चीज़ से है जबकि रियल में ये सेंट जास्मीन और बाकि फ्लावर्स का कॉम्बीनेशन है. इस तरह कोको श्नैल ने पॉवर ऑफ़ डिजायर, मिस्ट्री और बिजनेस टैबू का यूज़ किया और अनलिमिटेड सक्सेस अचीव की.

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द लॉ ऑफ़ सेल्फ सबोटेज (The Law of Self-sabotage )

अन्टोन चेखोव् रशिया के तागंरोग टाउन में पैदा हुए. उसके फादर ग्रोसरी शॉप चलाते थे और मदर एक हाउसवाइफ थी. चेखोव के 4 भाई और 1 बहन थी. चेखोव फेमिली काफी गरीब थी. चेखोव के फादर पावेल शराब पीकर बच्चो को पीटते थे चाहे उनकी कोई गलती हो या ना हो. फिर कुछ टाइम बाद चेखोव के बड़े भाई काफी बड़े हो गए. अब उन्हें और फादर की मार नहीं खानी थी इसलिए वो मास्को चले गए. निकोलाई को आर्टिस्ट बनना था और अल्केजेंडर यूनिवरसिटी में एडमिशन लेना चाहता था.

दोनों भाई अपने शराबी फादर से दूर एक नयी लाइफ स्टार्ट करना चाहते थे. और पावेल भी अब अपने बेटो को रोक नहीं पाया. उसके ग्रोसरी स्टोर में कुछ खास कमाई नही हो रही थी. दिन ब दिन उधार बढ़ता ही जा रहा था. पावेल ना तो अपना काम ही संभाल पाया और ना ही अपनी फेमिली. एक रात, वो घर छोडकर चुपचाप चला गया. जिन लोगो से उसने उधार लिया था, वो उनसे बचने के लिए अपने दोनों बेटो की तरह घर छोड़ दिया था. फिर बाकि चेखोव् फेमिली भी घर छोड़ने पर मजबूर हो गयी. वो लोग भी मास्को चले आए. बस एंटोन ही अपनी स्टडीज कम्प्लीट करने के लिए अकेला रह गया था. उस टाइम एंटोन सिर्फ 16 साल का था. बेचारे के पास ना तो पैसे था ना ही उसकी फेमिली उसके साथ थी. एंटोन किसी तरह अपना गुज़ारा कर रहा था.

उसे सबसे ज्यादा गुस्सा अपने फादर पर आता था. कुछ टाइम तक तो वो डिप्रेशन में चला गया मगर फिर उसने सोचा, चाहे जो भी हो, वो लाइफ की हर प्रोब्लम फेस करेगा. और वो फेमिली ट्यूटर बनकर पैसे कमाने लगा. एंटोन ने सोच रखा था कि बड़े होकर उसे डॉक्टर बनना है. इसके लिए वो काफी हार्ड वर्क भी कर रहा था. वो ज्यादा से ज्यादा बच्चो को ट्यूशन देने लगा. खुद वो टाउन लाइब्रेरी में जाकर अपनी पढ़ाई करता था. लाइब्रेरी में फिक्शन पढ़ते हुए वो सपनों की दुनिया में खो जाता था. फिर धीरे-धीरे एंटोन ने खुद स्टोरीज लिखना शुरू किया. वो एक सेल्फ मेड इन्सान था और इस बात पे उसे खुद बड़ा प्राउड भी था.

उसका टाउन तागंरोग पहले जैसा ही था पर एंटोन बदल गया था. वो और ज्यादा नॉलेज हासिल करना चाहता था. इसी बीच मास्को से बड़े भाई ने लैटर भेजा कि फादर ने सबको फिर से तंग करना शुरू कर दिया है. एंटोन ने अलेक्जेंडर को वापस लिखा” फादर की टेंशन छोड़ो और खुद को इम्प्रूव करने पर ध्यान दो” उसने मिखाइल से बोला” ये कभी मत सोचो कि तुम वर्थलेस हो, तुम्हे औरो से ज्यादा अपना सेल्फ वर्थ प्रूव करना है” एंटोन ने अपने फादर को उनकी हरकतों के लिए माफ़ कर दिया था. उन्हें लगा शायद बचपन में उनके फादर की भी खूब पिटाई होती होगी.

एंटोन के फादर पावेल के अंदर जो नेगेटिविटी थी उसकी वजह ये थी कि उनके फादर ने उन्हें आर्टिस्ट नहीं बनने दिया और एक मर्चेंट बनने पर मजबूर कर दिया था. एंटोन और उसके भाई बहनों को बिटरनेस और गुस्सा विरासत में मिल रहा था. लेकिन एंटोन गुस्से और नफरत भरी लाइफ नहीं जीना चाहते थे. वो चाहते थे कि उनकी और उनके सिब्लिंग्स की लाइफ भी औरो की तरह नोर्मल और खुशहाल हो. उन्हें लाइफ में किसी से भी रहम की भीख नहीं चाहिए थी. नो सेल्फ पिटी एंड नो नेगेटिव आउटलुक.

“वर्क एंड लव, लव एंड वर्क”  ये एंटोन की लाइफ का न्यू मोटो था. और यही चीज़ वो अपने सिब्लिंग्स और बाकि लोगो के साथ भी शेयर करना चाहता था जिससे हर कोई लाइफ में खुश रह सके. अपनों शोर्ट स्टोरीज और प्लेज़ के जरिये एंटोन ने “वर्क एंड लव” का मैसेज दिया. 1879 में एंटोन मेडीसिन की पढ़ाई करने के लिए मास्को चले गए और अपनी फेमिली के साथ रहने लगे. उनके परिवार की हालत बड़ी खराब थी. एंटोन को देख कर बड़ा दुःख हुआ. उनकी फेमिली रेड लाईट डिस्ट्रिक्ट के एक टूटे-फूटे बेसमेंट में रहती थी जहाँ ना तो कोई विंडो थी और ना कहीं से लाईट आती थी. ऊपर से फेमिली का माहौल भी खराब था. उनके फादर छोटी-मोटी जॉब्स करते थे और माँ दिन-रात घर के कामो में उलझी रहती थी.

फादर को शराब की लत के साथ बाजारू औरतो का भी चस्का था. एंटोन के छोटे भाई बहनों ने स्कूल जाना छोड़ दिया था. अलेक्जेंडर और निकोलाई आर्टिस्ट और राइटर थे लेकिन उन्हें भी शराब की लत पड़ चुकी थी. एंटोन ने सोच लिया था कि वो अपनी फेमिली को चेंज करके ही रहेंगे. शुरुवात उन्होंने घर की साफ़-सफाई और बर्तन धोने से की. ये देखकर उन्हें भाइयों को शर्म आई और वो भी उनकी हेल्प करने लगे. एंटोन को जो मेडीकल स्कोलरशिप मिलती थी, उसे वो सेव करते थे. अपने छोटे भाई बहनों को दुबारा स्कूल भेजने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की. अपने फादर के लिए उन्होंने एक अच्छी जॉब ढूंढी और फेमिली के रहने के लिए एक अपार्टमेंट भी जो पहली वाली जगह से काफी बैटर था.

फाइनली एंटोन का परिवार अब पहले से बैटर सिचुएशन में था. एंटोन चेखोव ने एक बार बोला था”मेडीसिन मेरी वाइफ है और लिटरेचर मेरी मिस्ट्रेस”. उन्होंने अपने परिवार को बर्बाद होने से बचाया था. यही नहीं उन्होंने सखालिन आईलैंड के प्रिजनर्स की सिचुएशन इम्प्रूव करने के लिए काफी हेल्प की. एंटोन ने अपनी राइटिंग के थ्रू उनकी टेरीबल सिचुएशन को एक्सपोज़ किया था. इंसान के अंदर सेल्फ सबोटेज़ की टेंडेसी होती है. जब लोग किसी प्रोब्लम में फंस जाते है तो अपनी लाइफ और भी मिज़रेबल बना लेते है. मगर एंटोन चेखोव इस बात से एग्री नहीं करते थे. उनका मानना था कि इन्सान चाहे तो अपने एटीट्यूड से अपने हालात भी बदल सकता है. उनकी लाइफ का एक सिंपल और पॉवरफुल मोटो था’ “वर्क एंड लव”.

एंटोन गरीबी में पले-बढे, फिजिकल अब्यूज से गुज़रे. एक होपलेस सिचुएशन में उनका पूरा बचपन बीता था. मगर एंटोन चेखोव एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने सब कुछ फेस किया मगर अपना मोराल कभी डाउन नहीं होने दिया. और एक ब्रेव इंसान वही होता है जो मुश्किल से मुश्किल हालात में भी खुद को टूटने ना दे. एंटोन के इसी राईट एटीट्यूड ने ना सिर्फ उनकी बल्कि दूसरो की लाइफ भी बैटर बना दी थी.

अपनी डेस्टीनी के लिए कभी अपने हालात को ब्लेम मत करो. आप के आस-पास चाहे कितने भी नेगेटिव लोग रहते हो, तुम खुद कभी नीचे मत गिरो. चॉइस आपके हाथ में है. ये आपकी लाइफ है इसे चाहे जैसा बना लो. तो एंटोन चेखोव की इस स्टोरी से हम काफी कुछ सीख सकते है और अपनी लाइफ को एक राईट डायरेक्शन दे सकते है.

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