(Hindi) The Laws of Human Nature

(Hindi) The Laws of Human Nature

इंट्रोडक्शन (Introduction)

कोई भी पैदाईशी जीनियस नहीं होता. आइंस्टीन जब छोटे थे तब उन्हें रिलेटीविटी थ्योरी मालूम नहीं थी. ऐसे ही मोज़ार्ट बच्चे थे तब उन्हें सोनाटा बनाना नहीं आता था. आप बोल सकते हो जीनियस लोगो में इनेट टेलेंट होता है. लेकिन रियलटी में टेलेंट सबके अंदर है. आप भी उतने ही टेलेंटेड हो सकते है जितने बाकि लोग. आपके अंदर भी कोई ऐसी यूनिक एबिलिटी होगी जो किसी और में नही होगी. हो सकता है कि आपका यूनिक टेलेंट अभी हॉबी या इंटरेस्ट के फॉर्म में हो.

लेकिन ये बुक आपको सिखाएगी कि आप कैसे अपनी हॉबी को एक मास्टरपीस की तरह निखार सकते है. इस बुक में आप सीखेंगे कि कैसे अपने टाइम पास को फुल टाइम वर्क में बदला जाए. और कैसे अपने हुनर के मास्टर बने. इस बुक में आप मास्टरी के थ्री फेजेस सीखेंगे. आप उस अल्टीमेट पॉवर के बारे में सीखेंगे जो मास्टर्स के पास होती है. और आप चाहे तो आप भी ये पॉवर हासिल कर सकते है.

और ये चीज़ पॉसिबल है. क्योंकि दुनिया में जितने भी मास्टर्स हुए है सबने ये किया है. वो लोग भी नार्मल लोगो की तरह पैदा हुए थे. वो भी नार्मल लोगो की तरह छोटे और इग्नोरेंट थे. लेकिन उन्होंने अपने हार्ड वर्क से एक्स्ट्राओर्डीनरी चीज़े अचीव करके दिखा दी. उन्होंने प्रूव कर दिया कि इन्सान मेहनत करे तो क्या हासिल नहीं हो सकता. आप भी इस बुक को पढकर ऐसी ट्रेनिंग ले सकते है जो आपको एक्स्ट्राओर्डीनेरी बना देगी. इसलिए ये बुक आपके बहुत काम की है.

द अल्टीमेट पॉवर (The Ultimate Power)

आप भी मास्टर बन सकते है. और इसके लिए कोई एज, जेंडर, रेस या फाईनेंशियल बैकग्राउंड मैटर नहीं करता. ज़रा सोचो उन मास्टर्स के बारे में जिन्हें आप जानते हो. दा विंसी, ,मोजार्ट, आइंस्टीन, गाँधी, दलाई लामा, बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स जैसे लोग. ये सब लोग डिफरेंट बैकग्राउंड से है मगर इनमे से हर एक अपने-अपने फील्ड का मास्टर है. आपका नाम भी इस लिस्ट में शामिल हो सकता है. क्यों? क्योंकि आपके पास एक यूनिक सेट ऑफ़ जींस है. ऐसा यूनिक सेट ऑफ़ जींस किसी और के पास ना तो पहले था और ना ही फ्यूचर में होगा.

आपकी सारी एबिलिटीज़ और पोटेंशियल सिर्फ आपकी अपनी है. आप अपनी लाइफ में आने वाली हर प्रोब्लम फेस कर सकते हो.आज की मॉडर्न लाइफ में हम लोगो की जो जेनरेशन है, उसके लिए एक्सेस ऑफ़ एजुकेशन काफी ईजी हो गयी है और इसी वजह से जेंडर, रेशियल और सोशल डिसक्रीमिनेशन भी काफी कम हो गया है. आप अपनी लाइफ के जो चाहे वो कर सकते है, आप चाहे तो टॉप तक पहुँच सकते है, इम्पॉसिबल कुछ भी नहीं है. मगर कैसे? ये बुक आपको सिखाएगी. इसमें वो सब कुछ जो आपको अपनी लाइफ का मास्टर बनने में हेल्प करेगी.

लेकिन इससे पहले आपको तीन स्टेजेस से गुजर कर जाना होगा. फर्स्ट स्टेज है अप्रेंटिसशिप. सेकंड स्टेज है क्रिएटिव एक्टिव, और थर्ड स्टेज है मास्टर. तो जो सबसे पहले आपको करना है वो ये कि आप ये डिसाइड कर लो कि आपकी लाइफ का एम् यानी मकसद क्या है. ऐसा क्या है जो आपको करना पसंद है? सिर्फ पसंद नहीं बल्कि बहुत ज्यादा पसंद है? क्योंकि ये पैशन ही आपका मास्टरपीस बनेगा. नेस्क्ट है अपरेंटिस स्टेज जहाँ आप स्किल लर्न करते हो, अपने किसी मेंटोर के अंडर ट्रेनिंग लेकर सोशिएली इंटेलीजेंट बनते हो.

उसके बाद आप क्रिएटिव एक्टिव स्टेज की तरफ बढोगे और फिर फाइनली अपने स्किल के मास्टर बन जाओगे. मगर ये सब उतना भी ईजी टास्क नहीं है. आपको इसके लिए बहुत इंटेंस फोकस रखना है और पूरा एफोर्ट करना है. रीसर्च प्रूव करती है कि किसी स्किल को सीखने के लिए हमे कम से कम 20,000 घंटे की प्रेक्टिस करनी होगी तब जाकर हम मास्टरी के लेवल तक पहुँच सकते है. तो ऐसा क्या है मास्टर्स के पास? क्या है उनका सीक्रेट? ऐसा क्या है जो उन्हें एक्स्ट्राओर्डीनेरी बनाता है? तो इसका जवाब है इंट्यूशन (intuition) जोकि इंटेलिजेंस और पॉवर का हाई फॉर्म है.

इंट्यूशन वर्ड से शायद आपको मैजिक, मिस्ट्री या सुपरपॉवर जैसा कुछ लग रहा होगा. मगर नहीं, ये सब मिसकन्सेप्शन है. असल में तो इंट्यूशन हाई लेवल ऑफ़ मेंटल प्रोसेस है. जब आप कई सालो की लगातार प्रेक्टिस से अपनी यूनीक एबिलिटी को इम्प्रूव करने और उसे निखारने में लगे रहते है. यही इंट्यूशन की सही डेफिनेशन होगी.

अब आप आइंस्टीन का ही एक्जाम्पल ले लो. उनकी रिलेटीविटी थ्योरी की डिस्कवरी सिर्फ एक कांसेप्ट नहीं है. ना ही ये कोई नया आईडिया है. दरअसल आइंस्टीन साइंस में एक रेव्यूलेशन लेकर आये थे. उन्होंने रियेलिटी के ट्रेडिशनली व्यूज़ को एक तरफ से चेंज करके रख दिया था. इस तरह थ्योरी ऑफ़ रिलेटीविटी की ग्राउंड ब्रेकिंग खोज हुई. आइंस्टीन अपने बचपन से ही इस पर काम कर रहे थे. जब वो छोटे से बच्चे थे तो उनके फादर ने उन्हें एक मैग्नेटिक कम्पास गिफ्ट किया था. और उस दिन से ही आइंस्टीन का साइंस को समझने का नजरिया चेंज हो गया.

कई सालो स्टडी के बाद फिजिक्स के सारे कॉन्सेप्ट्स और इक्वेशंस उनके ब्रेन के न्यूरोंस में ऐसे एब्ज़ोर्ब हो गए थे जैसे स्पोंज में पानी. दरअसल उनके माइंड में एक पूरी पिक्चर तैयार हो जाती थी. उन्होंने उन आईडियाज को आपस में लिंक किया और इस तरह रिलेटिविटी थ्योरी का कांसेप्ट निकला. कई घंटो तक लगातार इंटेंस फोकस करने के बाद उन्हें ये मास्टरपीस मिला. इस थ्योरी का इफेक्ट इतना एक्सपेंसिव और एन्लाईटनिंग है कि ऐसा लगता है जैसे ये ऊपरवाले का कोई जादू हो. और इसी को हम इंट्यूशन बोलते है. जोकि हमारे कांशसनेस और अनकांशसनेस का कॉम्बीनेशन है. ये हमारे इंस्टिंक्ट और रीजनिंग का मिक्स है. हम लोगो को इंट्यूशन से ज्यादा रेशनल थौट ज्यादा समझ आता है. रेशनलिटी एक थिंकिंग है कॉज और इफेक्ट के फॉर्म में.लेकिन इंट्यूशन फुल पर्सपेक्टिव है. इंट्यूशन का मतलब है अपने ब्रेन की मैक्सीमम कैपिसिटी को यूज़ करना.
एक मास्टर कुछ इस तरह से इंट्यूटिव होता है कि वो हर सवाल का जवाब दे सकता है, वो प्रेडिक्ट कर सकता है कि आगे क्या होगा या होने वाला है, वो लोगो का माइंड पढ़ सकता है और उन्हें इन्फ्लुएंश भी कर सकता है, वो किसी भी काम पॉसिबल बना देता है और काफी डीप और ब्यूटीफुल आउटपुट दे सकता है. तो देखा आपने इंट्यूशन कितने कमाल की चीज़ है. एक्चुअल में हम इस हाई फॉर्म ऑफ़ पॉवर और इंटेलिजेंट को लाइफ में कभी न कभी टैप करते है. जैसे जब आप किसी इम्पोर्टेंट पोजेक्ट पे काम कर रहे होते हो या किसी टास्क की डेडलाइन पर होते हो तो उस वक्त आपको खुद ब खुद इंट्यूशन होने लगते है. उस वक्त आपका माइंड पूरा फोकस और एक्टिव रहता है.

लेकिन एक बार डेडलाइन कोर्स हो जाए या प्रोजेक्ट फिनिश हो जाये तो फिर से आपका माइंड नार्मल मॉड पर आ जाता है. आप जो भी काम करो उसमें अपने इंट्यूशन की प्रेक्टिस कैसे करनी है, ये आपको इस बुक से सीखने को मिलेगा. ये बुक आपको अपनी लाइफ में कहीं भी और कभी भी हाई लेवल ऑफ़ पॉवर और इंटेलिजेंस लाना सिखाएगी.क्योंकि जिस पॉवर से आप अनजान है वो पॉवर तो आपके अंदर ही है जो रीलीज़ होने का वेट कर रही है. तो अगर आप भी मास्टर बनने राह पर चलना चाहते हो तो इस बुक को एक बार ज़रूर पढो.

डिस्कवर योर कालिंग (Discover Your Calling)

लियोनार्डो दा विंसी इटली के एक गाँव में पैदा हुए थे जिसका नाम था विंसी. ये गाँव फ्लोरेंस से कोई 20 मील दूर थी. उनके फादर एक लॉयर बौर्गेओइसिए (bourgeoisie.)के मेंबर थे. अब कोई भी ये बोल सकता है कि लियोनार्डो बड़े लकी थे जो एक अमीर घर में पैदा हुए. लेकिन सच तो ये है कि वो अपने फादर के इललेगीटिमेट औलाद यानी नाजायज़ बेटे थे. उनके फादर ने उनकी मदर से शादी नहीं की थी. और इस वजह से लियोनार्डो को यूनीवरसिटी में एडमिशन नहीं मिल पाया और ना ही वो कभी एक प्रोफेशनल के तौर पे कहीं जॉब कर पाए. प्रॉपर डिग्री ना होने की वजह से लियोनार्डो लॉयर, डॉक्टर, प्रोफेसर कुछ भी नहीं बन सकते थे. इस तरह उनका कभी कोई करियर नहीं बन पाया. क्योंकि उन दिनों इटली में यही कस्टम था.

यंग लियोनार्डो को कभी कोई फॉर्मल स्कूलिंग नहीं मिली थी. उन्होंने जो कुछ सीखा खुद से सीखा. लियोनार्डो को विंसी का रिच कल्चर पंसद था इसलिए वो इसे एक्सप्लोर करते रहते थे. वो अक्सर जंगलो में किसी नदी और वाटरफाल के किनारे चले जाते थे. जंगल के अलग-अलग जानवरों और पेड़-पौधो को देखकर उन्हें बड़ी हैरानी होती थी. एक दिन वो अपने फादर के ऑफिस गए और वहां से पेपर के कुछ शीट्स लिए और सीधे जंगल में चले गए. वहां जाकर वो एक पत्थर पे बैठ गए और जो कुछ उन्हें दिखा उसकी ड्राइंग बनाने लगे. फिर क्या था, उसके बाद तो उन्हें ड्राइंग का शौक लग गया. वो रोज़ स्केच बनाते थे.

यहाँ तक कि बारिश में भी वो जंगल जाकर स्केचिंग करते थे. उनके पास ख़ास टूल्स नहीं थे ना ही कोई सिखाने वाला टीचर, और कॉपी करने के लिए पेंटिंग थी.  उनकी आँखे ही उनका सबसे बड़ा टूल था. लेकिन उन्हें ये मालूम था कि अच्छा स्केच बनाने के लिए ऑब्जेक्ट को क्लोजली स्टडी करना पड़ता है. वो किसी भी चीज़ की सारी डिटेल्स अपनी आँखों में कैच कर लेते थे और फिर बिलकुल सेम तस्वीर बना लेते थे. लियोनार्डो की हर तस्वीर जीती जागती लगती थी. जब वो 14 के हुए तो फ्लोरेंस जाकर एक आर्टिस्ट स्टूडियो में अपरेंटिस बन गए. ये स्टूडियो एंड्रिया डेल वेर्रोच्चियो नाम के एक आर्टिस्ट का था.

लियोनार्डो को अपनी हाई क्वालिटी स्केचेस की वजह से ये जॉब मिली थी. एक बार वेर्रोचिओ (Verrochio) ने लियोनार्डो को एक प्रोजेक्ट दिया. उन्हें एक एंजल को पेंट करना था. उन्हें वही डिजाईन बनाना था जो वेरोच्चियो (Verocchio) ने उन्हें दिया था. मगर लियोनार्डो ने अपना खुद का वर्जन बनाया. उन्होंने एंजल को फ्लावर बेड के ऊपर पेंट किया. और हर फूल को डिफरेंट बनाया. ये वही फ्लावर्स थे जो लियोनार्डो ने बचपन में देखे थे. फूलो को उन्होंने बड़े ग्रेट डिटेल्स के साथ पेंट किया. एंजल के फेस के लिए वो चर्च गए और वहां प्रेयर में बैठे लोगो के चेहरे भी स्टडी किये..

उन्होंने पेंट का एक नया ब्लेंड मिक्स किया और एंजल के चेहरा एकदम शांत और पवित्र बनाया. लियोनार्डो ने सोचा एंजल के पंखो को एकदम परफेक्ट बनाने वाला वो पहला आर्टिस्ट होगा. इसलिए वो मार्किट गए और कुछ बर्ड्स खरीद लाए. उन्होंने बर्ड्स के पंखो को बड़े गौर से देखा, एक-एक डिटेल स्टडी की. उसके बाद वो कई घंटो तक एंजल के पंखो की ड्राइंग बनाते रहे. और जब पेंटिंग पूरी हुई तो उसमे एंजल के पंख एकदम रियल लग रहे थे. 1481 में लियोनार्डो की लाइफ में एक चेलेंज आया. उस टाइम जो पोप थे वो रोम के सिस्टिन चैपल के लिए आर्टिस्ट ढूंढ रहे थे. उन्होंने लोरेंजो डे मेडीसी (Lorenzo de Medici ) से कुछ आर्टिस्ट के नेम सजेस्ट करने को बोला.

लेकिन प्रोब्लम ये थी कि लियोनार्डो की मेडिसी (Medici) से बनती नहीं थी. लोरेंजो एक एरिस्टोक्रेट थे और लिटरेरी क्लासिक के एक्सपर्ट भी. मगर लियोनार्डो लैटिन नहीं समझते थे जो उन दिनों एलीट क्लास लेंगुएज मानी जाती थी. तो लियोनार्डो को छोडकर फ्लोरेंस के बाकि आर्टिस्ट को सेलेक्ट कर लिया गया. लेकिन कोई भी रुकावट लियोनार्डो को स्कसेस होने से नहीं रोक पाई. एक्चुअल में लियोनार्डो को फ्लोरेंस का ये कल्चर पंसद ही नहीं था. आर्टिस्ट को प्रोजेक्ट्स पाने के लिए या तो चर्च या रॉयल फेमिलीज को इम्प्रेस करना पड़ता था. और इनमे से ज्यादातर आर्टिस्ट अपने आर्टवर्क के कमिशन पर गुज़ारा करते थे. ज़ाहिर है ये इनकम का कोई स्टेबल सोर्स नहीं था. तो लियोनार्डो ने इसका एक बैटर तरीका सोचा. उन्होंने मिलान जाने का फैसला किया. मिलान में लियोनार्डो ने स्कल्पचर, आर्किटेक्चर, ऐनाटॉमी, इंजीनियरिंग और बाकि दुसरे सब्जेक्ट्स की पढ़ाई की. उन्होंने अपनी ड्राइंग स्किल्स इम्प्रूव की.

लियोनार्डो ने अमीर लोगो के लिए पेंटिंग्स बनाना स्टार्ट कर दिया था. इसके अलावा वो अपने रिच क्लाइंट्स के लिए ओवरआल एडवाइजर भी बनते थे. बदले में वो उनसे रेगुलर सेलरी लेते थे. इस तरह लियोनार्डो फाईनेंशियली सिक्योर्ड हो गए थे. अब वो अपनी सारे शौक पूरे कर सकते थे. उन्हें स्टडी करना और स्केच बनाना अच्छा लगता था. उनकी ह्यूमन एनाटॉमी की स्केचेस एकदम एक्यूरेट होती थी. उन्होंने अपनी इमेजिनेशन से कई सारी मशीन्स भी बनाई थी. ऐसा माना जाता है कि उनकी ड्राइंग और नोट्स कुल मिलाकर 10,000 पेजेस से भी ज्यादा है. और ये प्रूव है इस बात का कि उन्हें स्केचिंग से कितना प्यार था.

तो आपकी फेवरेट हॉबी कौन सी है? क्या है आपका पैशन? आपका पैशन या शौक कुछ भी हो सकता है जैसे कुकिंग, रीडिंग, स्कूबा डाइविंग या प्रोग्रामिंग. जो भी हॉबी हो उसे किसी वजह से मत छोड़ो. हाँ अगर आपको अभी तक ये नहीं पता कि आपको क्या करने में सबसे ज्यादा मज़ा आता है तो टेंशन की कोई बात नहीं, आप फिर भी मास्टर बन सकते हो. वो कहावत है ना देर आए दुरुस्त आए. किसी भी चीज़ की शुरुवात कहीं से भी और कभी भी की जा सकती है. इम्पोर्टेंट ये है कि अपने अंदर की यूनिक एबिलिटी को इम्प्रूव करने की आपमें एक इंटेंस डिजायर होनी चाहिए.

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