(Hindi) Life’s Amazing Secrets: How to Find Balance and Purpose in Your Life

(Hindi) Life’s Amazing Secrets: How to Find Balance and Purpose in Your Life

इंट्रोडक्शन(Introduction)

हमारी ये जो लाइफ है ना बिलकुल एक कार के जैसी है.बैलेंस बनाए रखने के लिए चार पहियों (wheels) की और सही डायरेक्शन में ले जाने जाने के लिए एक स्टीयरिंग व्हील की ज़रुरत होती है. तोक्या हैं लाइफ के वो चार व्हील्स? पहला है, हमारी पर्सनल लाइफ. दूसरा, व्हील है रिलेशनशिप. तीसरा है, वर्क लाइफ और लास्ट है सोशल कॉन्ट्रिब्यूशन यानी हम सोसाइटी को बदले में क्या दे देते हैं या सोसाइटी के लिए क्या करते हैं.

अगर चारों व्हील्स अच्छे कंडीशन में होंगे, ठीक से काम कर रहे होंगे तो आप एक ख़ुशहाल और वेल बैलेंस्ड लाइफ को एन्जॉय कर पाएँगे.और spirituality होता है हमारे लाइफ का स्टीयरिंग व्हील. आप spirituality को कुछ भी कह सकते हैं – जैसे कुछ लोगों के लिए spirituality का मतलब खुद के रियल सेल्फ को जानने की तलाश होता है,तो कुछलोगों के लिए इसका मतलब होता है भगवान् से जुड़ना.

उन्हें विश्वास होता है किकोई डिवाइन एनर्जी है, जिसने इस यूनिवर्स को बनाया. कुछ लोगों के लिए ये आत्मा के साथ जुड़ने और उसके बारे में जानने की इच्छा होता है. ये सबअपनी अपनी सोच और श्रद्धा पर डिपेंड करता है.तो ये spirituality हमारे लाइफ के हर एरिया को सही डायरेक्शन में गाइड करने में मदद करता है. spirituality हमारे जीवन को एक मीनिंग और पर्पस देता है.

बिलकुल एक रास्ते की तरह ही आपको लाइफ में भी कई challenges औरमुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. लेकिन अगर आप में spirituality की गहरी समझ होगी तो आप जीवन के सफ़र को आराम से तय कर पाएँगे. आप रास्ते में कभी खोएँगे नहीं और हमेशा सही रास्ता ही चुनेंगे.

अगर आपको लगता है कि ये दुनिया आपको नीचे गिराने की कोशिश कर रही है, अगर आपका मन निराशा से भर गया है और आपको लगता है कि आपकी ज़िन्दगी बिख़र रही है, तो आपको ये बुक ज़रूर पढ़नी चाहिए.ये बुक, एक एक करके आपको पर्सनल लाइफ, रिलेशनशिप, वर्क लाइफ और सोशल कनेक्शन को ठीक करना और अपनी लाइफ को फिर से समेटना सिखाएगी. ये आपको spirituality को और भीज़्यादा गहरा और मज़बूत करना सिखाएगी. इन चीज़ों को करने से आपके लाइफ की गाड़ी फिर से सही ट्रैक पर आ जाएगी.

व्हील 1 :  (Wheel 1: Personal Life)
ग्रोविंग थ्रूग्रेटीट्यूड  (Growing through Gratitude)

हम अपने अंदर ख़ुशी को किस तरह  ढूंढ सकते हैं? इसका सीक्रेट है, thankful या शुक्रगुज़ार हो कर. हमारे पास ज़िन्दगी में शुक्रगुज़ार होने के लिए कितना कुछ है जैसे– भगवान् ने मन को मोह लेने वाली कितनी सुन्दर प्रकृति बनाई है, हमेंजोखाना, कपड़े और घर मिला है वो  सब आशीर्वाद ही तो है. हमें जो अच्छी हेल्थ और अच्छी जॉब या बिज़नेस मिला है उसके लिए ग्रेटफुल.होना चाहिए  और इसके साथ हमें परिवार और दोस्तों का साथ और ढेर सारा प्यार भी तो मिला है.

कभी कभी ना हम इन सब के लिए थैंक यू कहना ही भूल जाते हैं. हमें जितनी भी चीज़ें मिली हैं हम उसे appreciate ही नहीं करते. बस तब negativity हमारे पर्सनल रिलेशनशिप को खराब करने लगती है.

याद रखिएगा, चाहे आप कितने भी तकलीफ का सामना कर रहे हों, ग्रेटफुल होने का कोई ना कोई कारण तो होता ही है.इसका मतलब है हर सिचुएशन के पॉजिटिव पहलू को देखना. बिलकुल, हमें negativity को हैंडल करना होगा लेकिन अपना ध्यान पॉजिटिव बात की तरफ़ खीचना होगा.ये आपको उम्मीद और ताकत देगा कि चाहे कितनी भी बड़ी मुसीबत क्यों ना आ जाए, हम फिर भी बहुत भाग्यशाली हैं.

गधर्विका चार साल की मासूम बच्ची है. उसे कैंसर हो गया था. उसका कैंसर एक रेयर टाइप था मतलब जोबहुत कम लोगों को होता था, उसेलिंफोमा कहा जाता है. जब उसके पिता मुकुंदको ये पता चला तो वो टूट से गए. एक दिन, गधर्विका पेट में बहुत दर्द होने की शिकायत कर रही थी, उसके पिता उसे डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने कहा कि उसके पेट में एक बड़ी गाँठ (lump)  हो सकती है. उन्होंने तुरंत बच्ची को हॉस्पिटल में एडमिट करने के लिए कहा.

मुकुंद को अब भी उम्मीद थी कि ये ज़्यादा सीरियस बात नहीं है, कि उन्होंनेजो फॅमिली हॉलिडे का प्लान बनाया था, वो अब भी उसके लिए जा सकते थे. लेकिन डॉक्टर और रेडियोलाजिस्ट भी घबराए हुए लग रहे थे. उन्होंने गधर्विका पर अल्ट्रासाउंड और biopsy भी किया.

रिपोर्ट आनेके बाद मुकुंद के पैरों के नीचे से  जैसे ज़मीन निकल गई हो. वो बिलकुल सुन्न खड़ा था, उसकामन डर से भरा हुआ था.उसने कहा “ इस सिचुएशन में कैसे ग्रेटफुल हो सकता हूँ, जब कि मुझे पता है कि कैंसर उस इंसान को मुझ से दूर ले जा रहा है जिसे मैं ख़ुद से भी ज्यादा प्यार करता हूँ”?

उसके लिए इस बात को एक्सेप्ट कर पाना बहुत मुश्किल था. लेकिन मुकुंद और उसकी वाइफ पवित्रा बहुत स्पिरिचुअल थे. हिम्मत तोड़ देने वाली इस सिचुएशन में उन्हें परिवार और दोस्तों का जो प्यार और साथ मिल रहा था, वो उसके लिए ग्रेटफुल महसूस कर रहे थे.

गधर्विका का इलाज़ शुरू हुआ. ये वक़्त उसके और उसके पेरेंट्स के लिए बहुत मुश्किल था. उसे 6 महीनों तक कीमोथेरेपी जैसी भयंकर ट्रीटमेंट से गुज़रना पड़ा. इस गंभीर बीमारी की वजह से उसका ज़्यादातर समय हॉस्पिटल में ही गुज़रता था.

मुकुंद का कहना था कि जिस चीज़ ने उनकी हिम्मत बनाए रखी वो था उनकी spirituality औरउनके आस पास के लोगों का भरपूर प्यार और साथ.
मुकुंद  के दो बच्चे और भी थे. वो अपनी दो बहनों के साथ और सपोर्ट के लिए बहुत आभारी था क्योंकि जब भी उसे काम पर या हॉस्पिटल जाना पड़ता तो  वो दोनों उसके दो बच्चों का बहुत ख़याल रखती थी. मुकुंद खुद खाना बनाने पर भी जोर देता था ताकि गधर्विका को healthy खाना मिल सके.

कई महीनें इसी तरह गुज़र गए. अब तो जैसे ये abnormal सिचुएशन उनके लिए नार्मल जैसी हो गई थी. और फिर, गधर्विका का 5th बर्थडे आया. वो अब घर जाना चाहती थी लेकिन उसके तेज़. बुख़ार था जिसकी वजह से डॉक्टर ने मना कर दिया था.

गधर्विका बहुत उदास हो गई. लेकिन फिर, उसके हॉस्पिटल के कमरे में उसे एक सरप्राइज बर्थडे पार्टी का गिफ्ट मिला. लंच टाइम पर उसे कुछ टेस्ट्स करवाने जाना पड़ा. उसे तो पता ही नहीं था कि उसकी फॅमिली, टीचर और उसके क्लास के दोस्त उसे सरप्राइज देने के लिए आए थे.

जब गधर्विका कमरे में नहीं थी तो सबने कमरे को बहुत सुंदर से सजाया. वो उसके लिए केक, बैलून्स और ढेर सारे गिफ्ट्स लाए थे. जब गधर्विका ने सबको देखा तो ख़ुशी से उछल पड़ी. ये उसका आज तक का सब से बेस्ट बर्थडे था.

मुकुंद और पवित्रा के दोस्त गधर्विका के ट्रीटमेंट के लिए पैसे दे कर मदद करना चाहते थे.उन दोनों ने पैसे लेने से मना कर दिया लेकिन उनके दोस्तों ने उनकी एक नहीं सुनी. वो बस दिल से ये सब उस छोटी मासूम बच्ची के लिए  करना चाहते थे.इस बात के लिए मुकुंद ने तहे दिल से उनका शुक्रिया अदा किया.

उनके spritual गुरु, राधानाथ स्वामी, भी गधर्विका से मिलने गए. स्वामीजी ने मुकुंद का हाथ अपने हाथ में लिया, उनकी आँखों में हमदर्दी और अपनापन था.स्वामी जी ने गधर्विका के अच्छे हेल्थ के लिए और इस मुश्किल घड़ी में उसके माता पिता की हिम्मत बनाए रखने के लिए प्रार्थना भी की.

वहाँ की कई नर्स का कहना था कि गधर्विका दूसरे पेशेंट्स से काफ़ी अलग थी.शरीर को तोड़ देने वाली इस हालत में भी वो सब से घुल मिल कर रहती थी, हमेशा energetic रहती थी. वो दूसरे बच्चों के साथ बहुत बातें किया करती. बातों में और उनके साथ खेलने में उसका समय बीत जाता था. उसे बुक्स पढ़ना, प्रार्थना करना और मैडिटेशन करना बहुत पसंद था.

उस हॉस्पिटल वार्ड में गधर्विका के कुछ दोस्त इस खतरनाक बीमारी से और नहीं लड़ पाए और इस दुनिया से चले गए. मुकुंद का डर अब भी ख़त्म नहीं हुआ था लेकिन परिवार और दोस्तों के साथ ने उसकी हिम्मत को बनाए रखा था.वो इस बात के लिए thankful था कि कम से कम गधर्विका उसके आँखों के सामने तो थी और वो उसे थोड़ा थोड़ा मुस्कुराते हुए तो देख पा रहा था.

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व्हील 2 : रिलेशनशिप्सWheel 2: Relationships
अ वर्चुअस विज़न  (A Virtuous Vision)

दूसरों के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाए रखने के लिए हमें मधुमक्खियों के जैसा होना चाहिए.वो जब भी उड़ती है तो बस फूलों के रस को ही ढूंढती रहतीहै. वो फूलों के बीच में जो धुल या गन्दगी होती है उस पर ध्यान नहीं देती, वो उससे बच कर बस रस ढूँढने पर ही ध्यान लगाए रखती है. ठीक उसी तरह, अपने रिश्तों में हमें लोगों की अच्छाई पर ध्यान देना चाहिए और बुराई को नज़रंदाज़ करना चाहिए.किसी ने क्या ख़ूब कहा है कि “बुराइयाँ तो हम सब में भरी हैं, बुराईयों के बिना कोई आदमी नहीं है”, इसलिए सिर्फ अच्छाई को देखो तभी रिश्तों में मिठास बनी रहेगी.

आप अपने पेरेंट्स, बच्चों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों, एम्प्लोयीज़ के साथ कैसा बर्ताव करते हैं? अगर आप एक बैलेंस्ड लाइफ चाहते हैं तो पहले ये देखिये कि आपका इनसे रिश्ता कैसा है.

आइये पहले, एक इंसान में सिर्फ बुराईयों ही देखते हैं.ये बिलकुल वैसा होता है जैसे अगर किसी के चेहरे पर थोड़ी सी मिट्टी लगी हुई हो तब भी आप उसे ऐसे ही ट्रीट करते हैं जैसे कि वो पूरा का पूरा कीचड़ में ही सना हुआ हो.

अगर आपके लाइफ में भी कोई रिलेशनशिप ऐसा है तो आपको दिल से कोशिश करके उसे बदलना चाहिए. किसी में सिर्फ़ बुराईयों को देखना आपके अंदर गुस्सा और नफ़रत भर देता है.

एक बार, एक पति पत्नी थे जो एक बहुत ख़ूबसूरत घर में रहते थे. न जाने किस वजह से, वो औरत बगल में रहने वाली से औरत से बहुत चिढ़ती थी.
एक सुबह, दोनों साथ बैठे नाश्ता कर रहे थे.पत्नी ने खिड़की से झाँक कर बाहर देखा, बगल वाली औरत कपड़े सुखा रही थी . पत्नी ने कहा “ज़रा देखो तो, उसने कपड़े धोए हैं फिर भी वो कितने गंदे हैं. हर हाउसवाइफ को ठीक से कपड़े धोना आना चाहिए. शायद उसे अपनी माँ के घर जा कर ये सब सीखने की ज़रुरत है”.
पति अपनी पत्नी की शिकायतें सुन रहा था और कॉफ़ी पी रहा था. हर सुबह का यही सिलसिला था. येसेम कहानी रोज़ रिपीट होती थी. पत्नी हर रोज़ उसके कपड़ों पर ताना मारा करती थी.

कुछ दिनों बाद, कुछ अलग हुआ. पत्नी ने देखा कि फाइनली बगल वाली औरत के धुले हुए कपडे साफ़ लग रहे थे. उसे बहुत आश्चर्य हुआ. उसने कहा “ देखो, देखो. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा ! आखिर उसने कपड़े ठीक से धोना सीख ही लिया.या शायद किसी और ने धोया होगा”.

पति ने तो उसकी बात पर ध्यान ही नहीं दिया और न्यूज़पेपर पढ़ता रहा. फिर उसने कहा “ हनी, जानती हो आज मैं सुबह जल्दी उठा और हमारी खिड़कियाँ साफ़ की.”

तो, बगल वाली औरत के धुले हुए कपड़े तो हमेशा से ही साफ़ थे, ये तो उस पति पत्नी की खिड़कियाँ गन्दी थीं. जब तक आपको ये एहसास नहीं होगा कि आपकी जो सोच है वो गलत है, तब तक आप दूसरों में बुराइयाँ ही देखते रहेंगे.ऐसा कर के आप खुद अपने रिश्तों में कड़वाहट घोलने लगते हैं.

अब हम एक इंसान की अच्छी और बुरी दोनों बातों को देखेंगे लेकिन उसकी हर अच्छाई को भूल कर सिर्फ़ बुराई पर ही ध्यान देंगे. ये कहानी है, एक बहुत स्मार्ट और वफ़ादार कुत्ते की.

जॉन घर का सामान ख़रीद रहा था. उसकी वाइफ ने जो लिस्ट बनाई थी वो उसे बार बार चेक कर रहा था.अचानक, वो किसी और के सामान रखने की ट्राली से टकरा गया. “सॉरी”, जॉन ने कहा. लेकिन जब उसने सामने देखा तो वो हैरान रह गया. उस ट्राली के पीछे कोई इंसान नहीं बल्कि एक कुत्ता था.

जहाँ जहाँ कुत्ता जा रहा था, जॉन उसके पीछे पीछे चल रहा था. उस कुत्ते ने ब्रेड, फ्रूट्स, चॉकलेट और पास्ता की शौपिंग की. फिर वो बिल के काउंटर पर गया और कुछ पैसे निकाले. काउंटर पर जो लड़की थी वो जॉन की तरह चौंकी नहीं. ऐसा लग रहा था वो इस कुत्ते को अच्छी तरह से जानती थी.

उस लड़की ने जब पैसे वापस किए तो उसमें 10 $ कम थे. वो कुत्ता तब तक भौंकता रहा जब तक उसने पूरे पैसे वापस नहीं कर दिए. जॉन हक्का बक्का ये सब देख रहा था. जॉन इस बुद्धिमान कुत्ते के मालिक को देखने के लिए उत्सुक था.

जॉन कुत्ते का पीछा करने लगा. कुत्ता एक बिल्डिंग की तरफ़ गया और लिफ्ट मेंजा कर 15 नंबर दबा दिया. वो कुत्ता अच्छे से जानता था वो क्या कर रहा था.15th फ्लोर आने पर उसने एक ब्लू दरवाज़े के बाहर शौपिंग बैग रख दिया. फिर उसने धीरे से आवाज़ निकाला  और पैर मार कर दरवाज़ा खटखटाने लगा.

कुछ देर बाद, मूछों वाले एक बड़े आदमी ने दरवाज़ा खोला. और कुत्ते पर ज़ोर से चिल्लाने लगा. “बेवक़ूफ़ कुत्ते , क्या तुम ठीक से सब सामान ले आए या कुछ लाना भूल गए?” फिरवो कुत्ता और उसका मालिक अंदर चले गए. जॉनये देख कर भौंचक्का था.उसने सोचा वो आदमी इस वफ़ादार कुत्तेको ऐसे कैसे डांट सकता था? उसने उस आदमी से बात करने का फ़ैसला किया. उसने दरवाज़ा खटखटाया.

“हाँ”, उस आदमी ने चिढ़ कर पूछा. जॉन ने कहा, “सर, मैं आपसे कुछ पूछना चाहता हूँ. आपके कुत्ते ने ठीक से शौपिंग की, जब तक उसे पूरे पैसे वापस नहीं मिल गए वो अड़ कर खड़ा रहा, उसने बिलकुल सही फ्लोर का नंबर दबाया. ये कुत्ता सच में कमाल का है.इसने आपके लिए इतना सब कुछ किया, फिर आपने इसे डांटा क्यों?”

आदमी ने कहा, “हाँ, ये सब तो उसके लिए बिलकुल नार्मल बात है. लेकिनमैं नाराज़ इसलिए हुआ क्योंकि वो एक बार फ़िर हमारे घर की चाबी ले जाना भूल गया था. वो सच में किसी  काम का नहीं है. मुझे दरवाज़ा खोलने के लिए खुद उठ कर आना पड़ा.”

जॉन ये सुन कर अवाक था, उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं था. वो मुड़ा और अपने रास्ते चल दिया.
कई बार हम बिलकुल उस कुत्ते के मालिक की तरह होते हैं.हमारी फॅमिली, हमारेदोस्त ना जाने हमारे लिए क्या क्या करते हैं, फिर भी हम उन सब चीज़ों को नज़रंदाज़ कर देते हैं.हम बस उनकी गलतियों को याद रखते हैं. हम उनके प्यार और जोसैक्रिफाइस वो हमारे लिए कर रहे हैं उसकी कदर नहीं करते.

इसलिए हमें सब में अच्छाई और बुराई दोनों को देखना चाहिए लेकिन बुराई पर ध्यान नहीं देना चाहिए. यही सीक्रेट है एक प्यार भरे रिश्ते को लम्बे समय तक बनाए रखने का. जब आपके लिए कोई कुछ करता है तो थैंक यू ज़रूर कहना चाहिए.

बुराई को देखना तो जैसे इंसान की फितरत है. लेकिन हमें लोगों में हमेशा अच्छाई देखने की कोशिश करनी चाहिए. इसके लिए बहुत कोशिश और मेहनत की ज़रुरत है लेकिन इसके बहुत से फ़ायदे हैं. चलिए इस कहानी से सीखते हैं.

आदित्य बिरला एक मल्टी बिलियन डॉलर कंपनी के सीईओ हैं. उस समय किसी मामले की वजह से काफ़ी विवाद चल रहा था. कंपनी के एक सीनियर एम्प्लॉई से एक गलती हो गई थी जिसकी वजह से कंपनी को कई मिलियन डॉलर का नुक्सान हुआ था.

सीईओ अगर चाहते तो उसे काम से निकाल सकते थे या उन पर केस कर सकते थे ,लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उस एम्प्लॉई  से बात करने से पहले उन्होंने एक लिस्ट बनाई. उस लिस्ट पर ऊपर  लिखा “इस एम्प्लॉई के अच्छे गुण”, फिर उन्होंने उसके गुणों के बारे में लिखा. उन्होंने ये भी लिखा जब उस एम्प्लॉई  की वजह से कंपनी को कई मिलियन डॉलर का फ़ायदा हुआ था.

कोई भी फ़ैसला करने से पहले उन्होंने उस सीनियर एम्प्लॉई की पॉजिटिव क्वालिटीज़ को देखा.अंत में उन्होंने डिसाइड किया कि वो उसे काम से नहीं निकालेंगे.उन्होंने सोचा कि एम्प्लॉई ने गलती तो की थी लेकिन वो एक हाई परफ़ॉर्मर भी थे जिनकी वजह से कंपनी को फ़ायदा भी हुआ था और कंपनी को ऐसे ही लोगों की ज़रुरत थी.

ये ख़बर आग की तरह चारों तरफ फ़ैल गई. वो एम्प्लॉई अब भी उस कंपनी का हिस्सा था. इस वजह से कंपनी में विश्वास और भरोसे का एक कल्चर बन गया. सच में सीईओ ने एक कमाल का एक्जाम्पल सेट किया था.

एक मैनेजर ने कहा “जब भी मुझे किसी पर चिल्लाने की इच्छा होती है, मैं खुद को फ़ोर्स कर के बैठाता हूँ और एक लिस्ट बनाता हूँ. ये मेरी भावनाओं को कण्ट्रोल करके चीज़ों को एक क्लियर माइंड से देखने में मदद करता है.”

सिर्फ़ अच्छाईयों पर ध्यान दे कर और बुराइयों को अनदेखा कर के हम बहुत सारे रिश्तों को बिखरने से बचा सकते हैं. अगर आप ऐसा दूसरों के साथ करेंगे तो बदले में वो भी आपके साथ वैसा ही बर्ताव करेंगे. ज़रा सोच कर देखिए, आपका रिश्ता कितना ख़ुशहाल और meaningful होगा. उसमें कितनी मिठास और अपनापन होगा.

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