(Hindi) Games People Play

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इंट्रोडक्शन (Introduction)

क्या आपको कभी ऐसा लगा कि लोगो के साथ आपका इंटरएक्शन कोई गेम हो सकता है? कभी आपने अपनी डेली लाइफ के सोशल इंटरएक्श्न्स के बारे में गौर से सोचा है? आपका सोशल इंटरएक्शन कैसे डेवलप होता है, ये कभी सोचा है? आप जो करते है, उसके पीछे क्या वजह है? क्या आपको मालूम है आपके हर एक्शन के पीछे कोई मीनिंगफुल रीजन होता है? ये समरी आपके इन्ही सारे सवालों का जवाब है. इस बुक के थ्रू आप अपने बिहेवियर के बारे में इतना कुछ जान सकते है जो आपने कभी सोचा भी नहीं होगा.

इस बुक की समरी आपके सोशल इंटरएक्श्न्स के बेहद डीप लेयर्स को अनफोल्ड करके उनके पीछे छुपे मिनिंग्स आपके सामने रखेगी. ये आपको अपने सोशल इंटरएक्श्न्स को क्लीन और अच्छा रखना में काफी हेल्प कर सकती है. और लोगो से बात करते वक्त आप बीच की लाइन्स का मतलब भी समझ पायेंगे. फिर आप क्लियरली समझ पायेंगे कि लोग दरअसल अंदर से कैसे है और आपके साथ वो क्या गेम खेल रहे है. तो चलो, स्टार्ट करते है इस बुक की समरी.

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एनालिसिस ऑफ़ गेम्स (Analysis of Games)

ये बुक गेम्स पीपल प्ले”डेली लाइफ में ह्यूमन बिहेवियर यानी इंसानी व्यवहार और हमारे सोशल बिहेवियर पर की गयी एक डीप स्टडी की तरह है. ऑथर एरिक बर्न ने ह्यूमन एक्श्न्स के पीछे छुपे सीक्रेट्स को समझने के लिए डीप स्टडी करने के बाद ही ये बुक लिखी है और ये समझाने की कोशिश की है कि ह्यूमन एक्श्न्स असल में कैसे कन्डक्ट होते है. उन्होंने सोशल इंटरएक्श्न्स को स्ट्रोक्स की तरह डिसक्राइब किया है फिर चाहे वो फिजिकल हो या वर्बल. क्योंकि हर इन्सान को किसी ना किसी लेवल पर इनकी नीड रहती है. जैसे कि एक बच्चे की नीड होती है कि उसकी माँ उसे बड़े प्यार और इंटिमेसी से स्ट्रोक करे यानी सहलाए.

एक टीचर जो अपने स्टूडेंट्स को एप्रीशियेट करता है, एक फ्रेंड् जो दुसरे फ्रेंड को एंकरेज करता है, ये सब स्ट्रोक के डिफरेंट फॉर्म ही तो है. एरिक बर्न ने ये भी डिसक्राइब किया है कि जिस तरीके से लोग सोशल इंटरएक्श्न्स करते है वो डेलीब्रेट नहीं होता. या तो उनके बिहेवियर पर उनकी अपब्रिगिंग यानी परवरिश का इन्फ्लुएंश रहता है या फिर वो सोसाइटी के हिसाब से ऐसा बिहेव करते है. कुल मिलाकर कुछ ऐसी भी सिचुएशंस होती है जो लोग अक्सर अवॉयड करना चाहते है. जैसे कि कुछ ऐसे साइकोलोजिक्ल इश्यूज जोकि रीज़ोल्व नहीं हो पाए है.

लोग अक्सर डेली लाइफ में कंसिस्टेंसी मेंटेन करना चाहते है, ठीक उसी तरह जैसे उन्हें स्ट्रोक्स की ज़रूरत पड़ती है. हर इंसान को इन स्ट्रोक्स की अपने हिसाब से ज़रूरत पड़ती है, जैसे एक्जाम्पल के लिए 2 स्ट्रोक्स का मतलब है “हेल्लो” और बदले में भी एक हेल्लो. और जब किसी इन्सान से इससे ज्यादा की उम्मीद नहीं होती तो रिसीवर इस एक्ट से डिस्टर्ब हो जाता है. जैसे कि मान लो दो लोग रोड पर एक दुसरे के सामने से गुजरते है.

वो एक दुसरे को सिर्फ थोडा बहुत जानते है लेकिन एक दुसरे को डेली बेसिस पे हाई हेल्लो बोलते है. इससे ज्यादा कुछ नहीं. लेकिन अगर किसी दिन इनमे से एक बंदा हेल्लो हाई के बजाये ये पूछे” हाउ आर यू” कैसे हो आप”? तो ज़ाहिर है दूसरा बंदा थोडा कन्फ्यूज़ हो जायेगा. वो सोचेगा कि पता नहीं क्या बात है जो सामने वाला आज मुझसे रुककर बात कर रहा है. अब एक और केस लेते है जहाँ दो लोग है और उनमें से एक दुसरे वाले को हाई बोलता है मगर दूसरा वाला उसका जवाब नहीं देता. अब पहले वाला ये सोचकर डिस्टर्ब हो जाएगा कि इसने मेरे हाई का जवाब नहीं दिया.

थिसॉरस ऑफ़ गेम्स (Thesaurus of Games)
एरिक बर्न ने कुछ ऐसे कॉमन और इंट्रेस्टिंग गेम्स बताए है जो लोग डेली बेसिस में खेलना पसंद करते है. अब ये गेम्स डिस्ट्रक्टिव भी हो सकते है या कंस्ट्रक्टिव भी लेकिन ये ध्यान रहे कि इन्हें खेलने वाला इंसान जारूरी नहीं कि नेचर से भी डिस्ट्रक्टिवहोगा. हो सकता है कि वो किसी सर्टेन सिचुएशन की हिसाब से ये गेम खेल रहा हो. लेकिन गेम क्या खेला जा रहा है इससे ज्यादा मैटर करता है कि कैसे खेला जा रहा है क्योंकि आफ्टर आल ये किसी को पोजिटिव या नेगेटिव तरीके से अफेक्ट कर सकता है. तो चलो, कुछ इसी तरह गेम्स के बारे में जानते है जिन्हें इस बुक में एरिक बर्न ने एक्सप्लेन किया है और देखते है कि वो हमारी डेली लाइफ से रिलेट करते है या नहीं.

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लाइफ गेम्स (Life Games)

जैसा कि नाम से ही पता चलता है लाइफ गेम्स वो होते है जिनका आपकी पूरी लाइफ में इम्पैक्ट पड़ता है. और कई बार इस गेम में हमारे आस-पास के इनोसेंट लोग भी इन्वोल्व हो जाते है.

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द लाइफ गेम्स इन्क्ल्यूड
अलग-अलग लाइफ गेम्स The Life Games includes:

1- एल्कोहोलिक (Alcoholic )
एल्कोहोलिक यानी शराबी लोगो से निपटना बड़ा मुश्किल होता है. ज्यादातर ये नशे की हालत में रहते है और उस वक्त उनका माइंड सही ढंग से काम नहीं करता. देखा जाए तो एक एल्कोहोलिक की लाइफ में कई लोग अपना रोल प्ले करते है और रुसके रिलेटिव्स उनमे से एक है. जैसे मान लो कोई आदमी सिरियस एल्कोहोलिक है. उसकी वाइफ बेचारी उससे बड़ी परेशान रहती है. वो चाहती है कि उसके हसबैंड की नशे की लत छूट जाए. एक दिन उनके पडोसी उनके घर खाने पर आते है. खाने के बाद उस आदमी ने पड़ोसियों को शराब ऑफर की.

अब अगर पडोसी एक पैग लेता है तो उस आदमी को भी 3-4 पैग पीने का मौका मिल जाता है. बाहर से देखने पर लगता है कि मेहमानों की अच्छी खातिरदारी हो रही है.लेकिन इसका एक साइकोलोजिकल साइड है. असल में मेहमानों के बहाने उस आदमी को भी ड्रिंक करने का मौका मिल गया. और वो ये भी जानता है कि मेहमानों के सामने उसकी वाइफ उसे कुछ बोल भी नहीं पाएगी. एल्कोहोलिक्स के साथ एक और सिचुएशन होती है, कि वो चाहते है कि कोई उन्हें ड्रिंक करने से रोके और उनकी इस आदत से छुटकारा दिलाए. एक बार ऐसे ही एक एडिक्टेड लड़की ने अपने फ्रेंड्स से पुछा कि वो उसके बारे में क्या सोचते है.

और जब उन्होंने उसे पोजिटिव कमेंट्स दिए तो उसने बोला” मेरे बारे में नेगेटिव चीज़े बताओ”. जब उसके फ्रेंड्स ने ऐसा करने से मना कर दिया तो वो घर आकर अपने पेरेंट्स से बोली” आप मुझे ड्रिंक करने से रोको और अगर मै ना मानू तो मुझे बेशक आप घर से निकाल देना या किसी रीहेब में डाल देना. उसके बाद हुआ क्या कि वो खुद पे कण्ट्रोल नहीं कर पाई और शराब पी ली. इस बार उसके पेरेंट्स ने उसे रीहेब में डाल दिया. हैरानी की बात तो ये है कि वो लडकी भी खुद रीहेव जाने को तैयार हो गयी क्योंकि उसे अपने पेरेंट्स से यही उम्मीद दी.

2- उधार मांगने वाले (Debtor)

जिन्हें उधारी की आदत पड़ जाती है वो लोग अक्सर यही बोलते है” अगर मेरे सर पे इतना उधार नहीं होता” मतलब इन लोगो को यही लगता है कि अगर उन्होंने उधार नहीं लिया होता तो वो काफी कुछ अचीव कर सकते थे. जबकि सच तो ये है कि रियल में ये लोग अपनी लाइफ से काफी हद तक कंटेंट रहते है. एक और ऐसा ही गेम है जो कपल्स खेलते है” ट्राई एंड कलेक्ट”. ये लोग इतनी चालाकी से इसे खेलते है कि हर हाल में उनके लिए विन-विन सिचुएशन होती है. अब जैसे कि एक कपल है जो उधार लेकर ऐशो आराम की लाइफ जी रहे है. लेकिन वो कभी भी उधार नहीं चुकाते.

अगर क्रेडिटर उनसे पैसे मांग-मांग कर थक गया है और गिव अप कर लेता है तो कपल का इसमें बेनिफिट है. और अगर क्रेडिटर उन्हें उनके घर जाकर अपने पैसे डिमांड करता है तो ये लोग उसे गुस्से में उसे भला-बुरा बोलेंगे और क्या पता धक्के देकर घर से भी निकाल दे. उन्हें बोलने का बहाना मिल जायेगा कि क्रेडिटर बड़ा लालची है जो उनसे ज़बरन पैसे वसूल कर रहा है. और इस हालत में वो उसे एक पैसा भी वापस नहीं करेंगे. तो ये कपल असल में बाकि लोगो को भी ये शो करा रहे है कि उधारी लो और मजे की लाइफ जियो.

3- किक मी (Kick me)
ज्यादातर जॉब लेस या एंटी-सोशल लोग ये गेम बहुत खेलते है. ऐसा लगता है कि उनके सर पे कोई साइन बोर्ड लगा है, जिसपे लिखा है” प्लीज़ डोंट किक मी”. और लोग बिलकुल यही करते है यानी ऐसे लोगो को हर जगह से किक मिलती है और फिर ये लोग रोते फिरते है” मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?’
एक आदमी बार टेबल पे बैठा अपनी ड्रिंक्स एन्जॉय कर रहा था. वो अकेला अपने में मस्त बैठा था लेकिन उसकी ड्रेस और एटीट्यूड कुछ ऐसा था कि हर किसी का अटेंशन ग्रेब कर रहा था. फिर दो-चार शरारती टाइप के लोग आये और उसे चिढाने लगे. अब ये आदमी क्या सोचेगा? यही ना” मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?’

4- नाऊ आई हेव गोट यू (Now I've Got You)
दरअसल ऐसे लोग कई मौको पर अपना गुस्सा अपने दिल में दबाकर बैठे होते है. उन सिचुएशंस में ये लोग खुद को बिलकुल हेल्पलेस मान लेते है. और फिर जब कोई इन पर दया करता है तो इन्हें बड़ा अच्छा लगता है.

जैसे मान लोग कोई आदमी दिन भर की थकान के बाद आराम की नींद ले रहा है. तभी एक डिलीवरी बॉय उसके घर आता है जिससे उसकी नींद डिस्टर्ब हो जाती है. अब तो आदमी गुस्से से बडबड़ायेगा और अपना सारा गुस्सा उस डिलीवरी बॉय पर उतारेगा. जबकि डिलीवरी बॉय की यहाँ पर कोई गलती नहीं है. वो तो सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहा है. लेकिन वो आदमी अपनी दिन भर की फ्रस्ट्रेशन एक इनोसेंट डिलीवरी बॉय पर निकाल रहा है. तो ऐसे लोग अपना सारा गुस्सा, सारी भडास किसी ऐसे इन्सान पे निकलाते है जिसकी कोई मिस्टेक ही नहीं होती है और ना ही वो अपनी सफाई में कुछ बोल पाते है.

5- सी व्हाट यू मेड मी डू (See What You Made Me Do)
ऐसे लोग भी अपनी गलतियों का ठीकरा दूसरो के सर फोड़ते है. इस गेम की 3 डिग्रीज होती है.
1- एक माँ किचन में खाना बना रही है. वो नहीं चाहती कि खाना बनाते वक्त कोई भी उसे डिस्टर्ब करे. तभी उसका बच्चा वहां आकर कुछ पूछने लगता है तो माँ का ध्यान डाईवेर्ट हो जाता है और उससे गलती से कांउटर पर तेल गिर जाता है. अब वो गुस्से में अपने बच्चे से बोलेगी” देखा, तुम्हारी वजह से सारा आयल गिर गया”. जबकि असल में उसकी अपनी गलती से आयल गिरा है. तो उसका बच्चा फिर कभी उसे किचन में आके तंग नहीं करेगा. वो समझ जाएगा कि अपनी मदर को काम के वक्त डिस्टर्ब नहीं करना है. और यही चीज़ वो अपने बच्चो को भी सिखाएगा. तो इस तरह ये हैबिट नेक्स्ट जेनरेशन तक पास हो जायेगी क्योंकि ये गेम काफी ईजी और एक्स्ट्रीमली कॉमन है.

2- डिग्री नंबर 2 कपल्स के बीच काफी कॉमन है. मान लो हसबैंड वाइफ शोपिंग पे जाते है. अगर सब ठीक रहता है तो हसबैंड खुश है और अगर कुछ गड़बड़ होती है तो वो वाइफ को ब्लेम करना स्टार्ट कर देगा की ये उसकी वजह से हुआ.

3- ये डिग्री काफी इंटेंस है और कई बार डेंजरस भी हो सकती है. वाइफ हसबैंड से छुपकर ऑनलाइन शोपिंग करती है लेकिन जब बिल आता है तो हसबैंड पूछता है. बस, इस बात पे वाइफ उस पर चिल्लाने लगती है कि वो उसे कुछ भी खरीदने नहीं देता. और इसलिए उसने खुद अपने लिए शोपिंग की. यानी वाइफ कहना चाहती है कि उसका हसबैंड उसे कुछ खरीदने नहीं देता इसलिए उसे छुपकर शोपिंग करनी पड़ी. लेकिन सच तो ये है कि वाइफ की फ़िज़ूलखर्ची की वजह से हसबैंड उसे शोपिंग करने से रोकना चाहता है.

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