(Hindi) Karma Yoga

(Hindi) Karma Yoga

इंट्रोडक्शन (Introduction)

ये बुक समरी न्यू यॉर्क में स्वामी जी द्वारा दिए गए लेक्चर्स का कलेक्शन है. स्वामीजी ने अमेरिका में ढाई साल बिताए जहां उनका बहुत स्वागत हुआ, उन्हें बहुत पसंद किया गया. उनके स्टूडेंट्स ने पैसा इक्कट्ठा किया ताकि वो एक मकान किराए पर ले सकें. वहाँ स्वामीजी रोज़. फ्री में लेक्चर दिया करते थे.

इस बुक समरी में उनके द्वारा कर्म योग पर दिया गया हर लेक्चर मौजूद है. इसमें आप काम यानी कर्म और ड्यूटी यानी फ़र्ज़ और कर्त्तव्य के महत्व के बारे में सीखेंगे. आप अपने काम से प्यार करना और बदले में कुछ मिलने की आशा ना करना के बारे में सीखेंगे.  आप सीखेंगे कि अपने ड्यूटी को कैसे ख़ुशी से स्वीकार करना है और उसे कैसे पूरे दिल से निभाना है.

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कर्म इन इट्स इफ़ेक्ट ओन कैरेक्टर (Karma in its effect on character)

कर्म संस्कृत शब्द “कृ” से आया है. इसका मतलब होता है “करना”. कर्म का मतलब है “हर एक्शन का असर या परिणाम”. योग में कर्म का मतलब होता है “ काम (work)”.

एक इंसान का कैरेक्टर यानी चरित्र उसके सभी एक्सपीरियंस को मिला कर बनता है. चाहे वो सुख हो या दुःख, ख़ुशी हो या दर्द, ये सभी उसके कैरेक्टर को शेप देते हैं. ये एक्सपीरियंस उसे अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाते हैं. आपके एक्शंस के पीछे असली मकसद क्या है? लोग हमेशा किसी ख़ास मकसद के लिए ही कुछ कर्म करते हैं. कुछ लोग शोहरत पाने के लिए करते, कुछ पॉवर के लिए तो कुछ धन दौलत के लिए. कुछ लोग स्वर्ग जाने के लिए करते हैं और कुछ पशच्याताप के लिए.

लेकिन सबसे महान और नेक कर्म होता है बस काम करना. एक्जाम्पल केलिए, कुछ लोग गरीबों की मदद और सेवा करते हैं. वो फेमस होने के लिए या अपनी पहचान बनाने के लिए ऐसा नहीं करते. वो सिर्फ़ इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें भलाई का कर्म करने में विश्वास है, उन्हें ये काम करना अच्छा लगता है.
क्या एक आदमी जो काम को काम समझ कर करता है, उसे कुछ हासिल होता है? हाँ, असल में उसे ही तो सबसे ज्यादा फायदा होता है. बिना किसी निजी मकसद के किया गया कर्म  मन, शरीर और आत्मा के लिए सबसे अच्छा होता है. लेकिन इसे सच में अपनी सोच और जीवन में उतारने के लिए बहुत सेल्फ कण्ट्रोल की ज़रुरत होती है.

सिर्फ़ 5 मिनट के लिए बिना किसी सेल्फिश मकसद के काम करके देखिये. ये भी आपको बहुत मुश्किल लगेगा. किसी काम के बदले में कुछ ना मिलने की सोच भी हमें परेशान कर देती है, है न? इसलिए बिना किसी सेल्फिश मकसद के काम करना आपकी असली शक्ति हो दिखाता है.
5 मिनट, 5 घंटे या 5 दिन बिना किसी मकसद के काम करना खुद पर सेल्फ कण्ट्रोल को साबित करती है. ऐसा करने के लिए एक स्ट्रोंग विल पॉवर और स्ट्रोंग कैरेक्टर की ज़रुरत होती है.

बदले में कुछ मिलने की आशा किये बिना या बिना किसी निजी स्वार्थ के ज्यादा से ज्यादा काम करने की कोशिश कीजिये. एक महान इंसान बहुत सारे अच्छे काम करता चला जाता है मानो वो अच्छे कर्मों का बीज बो रहा हो. वो हर रोज़ उसकी देखभाल करता है लेकिन घंटों उसके पास बैठ कर उसके बढ़ने और उसके फलों को हासिल करने की इच्छा नहीं करता. वो बस अपने काम में लगा रहता है, और ज्यादा अच्छे पौधे लगता जाता है.
अगर आप किसी की मदद करना चाहते हैं तो ये मत सोचिये कि उस इंसान का क्या रिएक्शन होगा. उसके धन्यवाद देने का इंतज़ार मत कीजिये या ये आशा मत कीजिये  कि वो भी इसके बदले में आपके लिए कुछ करेगा. अगर आप अच्छा कर्म करना चाहते हैं तो बस उस पर कायम रहिये. किसी इनाम के बारे में सोचने की जगह और भी ज्यादा अच्छे कर्म करने के बारे में सोचिये.

अभी आप के अन्दर सिर्फ़ खुद के लिए काम करने का जोश है. लेकिन समय के साथ  प्रैक्टिस करते करते आप बिना किसी स्वार्थ के काम करना सीख जाएँगे. रोज़ सेल्फ कण्ट्रोल की प्रैक्टिस कीजिये. ये बहुत जल्द ही आपकी हैबिट बन जाएगी और ये हैबिट आपका कैरेक्टर और संस्कार बन जाएगा.

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इच इज़ ग्रेट इन हिज़ ओन प्लेस  (Each is great in his own place)

हर एक इंसान का खुद के जीवन में अपना अलग रोल और आइडील्स यानी आदर्श होते हैं. कोई किसी पर अपनी सोच को थोप नहीं सकता. जो रोल आपको मिला है उसे अच्छी तरह से पूरा करने की कोशिश कीजिये. किसी और की तरह बनने की कोशिश मत कीजिये. आप अपने दिए गए रोल को पूरे मन से अच्छी तरह निभा कर खुद को सच के और करीब ले जाते हैं.

एक्जाम्पल के लिए, घर के बड़े को अपने पेरेंट्स, वाइफ, बच्चों, रिश्तेदारों और पडोसियों की तरफ अपनी ड्यूटी अच्छी तरह निभानी चाहिए. उसे उनकी सभी ज़रूरतों का ध्यान रखना चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए. ये उसकी ड्यूटी है.
एक सन्यासी को दुनिया पूरी तरह त्याग देना चाहिए. उसे परिवार या धन दौलत के बारे में नहीं सोचना चाहिए. उसकी ड्यूटी है भगवान् की पूजा करना, उनकी सेवा करना और उनके बारे में और भी जानने की कोशिश करना. आप उस घर के बड़े और सन्यासी को एक दूसरे का रोल अदा करने नहीं कह सकते. उन्हें अपनी अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी. अपना रोल ठीक से अदा करना ही हमें महान बनाता है.

एक बार एक राजा था जो अपने राज्य में आने वाले हर सन्यासी से पूछा करता था         “ इनमें से कौन महान है, एक सन्यासी जिसने दुनिया को त्याग दिया है या वो घर बार संभालने वाला आदमी जो इस समाज में रह कर अपनी हर ड्यूटी को पूरा करता है”?
कुछ ज्ञानी लोगों ने कहा सन्यासी ज्यादा महान है . राजा ने इसका सबूत माँगा. जब वो ये शर्त पूरी नहीं कर पाए तो राजा का आदेश था कि उन्हें शादी करके घर बसाना होगा. तो वहीँ कुछ लोगों के कहा घर बार वाला आदमी ज्यादा महान है. जब वो इसे साबित नहीं कर पपे तो उन्हें भी शादी करके घर बसाने का आदेश दे दिया गया. फिर एक कम उम्र का सन्यासी आया जिसने कहा कि घर बार वाला आदमी और सन्यासी दोनों ही महान हैं. दोनों अपनी अपनी जगह महान हैं. राजा ने कहा “साबित करो”.

उस जवान सन्यासी ने कहा “ मेरे साथ एक यात्रा पर चलिए ताकि मैं इसे साबित कर सकूं”. राजा अपना राज्य और सेवकों को छोड़ कर अकेले यात्रा पर चल दिए.
वो मीलों तक चलते रहे, चलते रहे और आखिर में एक महान राज्य में पहुंचे. उस खूबसूरत राज्य की राजकुमारी शादी के लिए एक अच्छे लड़के की तलाश कर रही थी. वो एक परफेक्ट आदमी को ढूँढने के लिए रोज़ एक समारोह का आयोजन करती.

वो राजकुमारी बहुर सुन्दर थी. वो जिसे भी पति के रूप में चुनती, उसे समय आने पर उसके साथ राज्य पर शासन करने का सौभाग्य मिलता. बहुत सारे लोग आए लेकिन राजकुमारी को जिसकी तलाश थी वो उसे नहीं मिल रहा था. उसने एक एक करके सबको रिजेक्ट कर दिया.
फिर एक दिन, उसने एक बहुत रूपवान सन्यासी को देखा. वो सन्यासी उस सुन्दर राज्य को बस एक नज़र देखने के लिए रुका था लेकिन राजकुमार को उससे प्यार हो गया.

वो अपने राज सिंहासन से उतर कर उसके पास गई और उसके गले में माला डाल दी जिसका मतलब है कि उसने सन्यासी को अपने पति के रूप में चुन लिया है.
वो सन्यासी हक्का बक्का रह गया. उसने माला उतार कर फ़ेंक दी. उसने कहा “ये क्या बकवास  है”? क्या आपको दिखाई नहीं देता कि मैं एक सन्यासी हूँ. मेरे लिए शादी का कोई मतलब नहीं है.”
वहाँ के मंत्री ने कहा “अगर आप राजकुमारी से शादी करते हैं तो इस पूरे राज्य पर आपका शासन होगा”. लेकिन सन्यासी पर इस बात का कोई असर नहीं हुआ. वो जल्दी से मुड़ा और भागने लगा. लेकिन राजकुमारी इस बात को स्वीकार नहीं कर पाई. उस पर बस प्यार का भूत सवार था. उसने कहा “अगर इस आदमी से मेरी शादी नहीं हुई तो मैं मर जाऊँगी”. और वो उस सन्यासी के पीछे भागने लगी.

वो राजा और सन्यासी जो इस राज्य में आए थे, सब कुछ बड़े ध्यान से देख रहे थे. उन्होंने राजकुमारी और उस सन्यासी का पीछा करना शुरू किया.
वो सन्यासी उस जंगल का रास्ता अच्छे से जानता था. वो बड़ी तेज़ी से उस राज्य से बाहर निकल गया और आपकी यात्रा पर आगे बढ़ने लगा.
उस राजकुमारी ने हर जगह देखा लेकिन वो सन्यासी उसे कहीं नज़र नहीं आया. वो बहुत थक गई थी. एक पेड़ के नीचे बैठ कर वो उस सन्यासी की याद में आंसू बहाने लगी. वो रास्ता भटक गई थी और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे. वो राजा और सन्यासी उसके पास गए. उन्होंने उसकी मदद करने का वादा किया. लेकिन बहुत अँधेरा हो चुका था इसलिए वो सुबह होने पर ही उस जंगल से निकल सकते थे. इसलिए वो तीनों उस बड़े से पेड़ के नीचे आराम करने के लिए बैठ गए.

उस पेड़ पर एक नीले रंग का पक्षी अपनी बीवी और 3 बच्चों के साथ रहता था. उस नीले पक्षी ने अपने घोंसले से झाँक कर नीचे देखा और अपनी बीवी से कहा “सुनो, अब हम क्या करेंगे? हमारे यहाँ मेहमान आए हैं और हमारे पास उनके लिए आग जालाने का सामान भी नहीं है. इस कडाके की ठंड में वो ठिठुर रहे होंगे”.
इसलिए वो पक्षी नीचे की तरफ उड़ा और एक जलती हुई डाल को उठा लिया. वो उसे अपनी चोंच में दबा कर अपने मेहमानों के सामने रख आया. उन तीनों ने उसमें और भी डालियाँ डाल कर एक अच्छा बॉन फायर बना लिया. लेकिन अभी भी वो पक्षी चिंतित था. उसने अपनी बीवी से कहा “अब हम क्या करेंगे? हमारे पास उन्हें देने के लिए खाना नहीं है. उन्हें बहुत भूख लगी होगी”.

फिर उसने जो किया आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते, उसने खुद को ही उनके सामने पेश कर दिया. वो उस आग में कूद गया. उन तीनों ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन आग ने उसे भून कर रख दिया था.
अब उसकी बीवी ने सोचा, यहाँ तो 3 मेहमान हैं. सिर्फ एक पक्षी काफ़ी नहीं है. उसने सोचा अपने पति की मदद करना उसकी ड्यूटी है. और इसलिए उसने भी आग में छलांग लगा दी.

अब घोंसले में उनके 3 बच्चे अकेले रह गए थे. उन्होंने अपने माता पिता को ये सब करते हुए देख लिया था. वो तीनों इस बात से सहमत थे कि उन्हें अपने माँ बाप की ड्यूटी को पूरा करना होगा. वो तीनों भी आग में कूद पड़े और आग ने उन्हें भी भून दिया.
अब वहाँ 5 पके हुए पक्षी थे. लेकिन राजा, सन्यासी और उस राजकुमारी का मन नहीं माना. वो भौंचक्के हो कर ये सब देख रहे थे कि इन पक्षियों ने क्या किया. उन तीनों की भूख ही मर चुकी थी. वो बस सुबह होने का इंतज़ार करने लगे.

सुबह की पहली किरण निकलते ही, उन दोनों ने सबसे पहले राजकुमारी को घर पहुंचाया. वो वापस अपने राज्य और पिता के पास चली गई.
अब उस सन्यासी ने राजा को समझाया, “हे राजन, आज आपने एक बहुत अच्छा सबक सीखा है. हर इंसान अपनी अपनी जगह पर महान होता है. एक की ड्यूटी किसी दूसरे को देने की कोई ज़रुरत नहीं है.”

अगर आप दुनिया में रहना चाहते हैं तो आपको उन पक्षियों की तरह होना चाहिए. वो दूसरों की सेवा करने के लिए खुद का बलिदान करने को भी तैयार थे.
अगर आप इस दुनिया के मोह को छोड़ना चाहते हैं तो आपको उस सन्यासी की तरह होना चाहिए. एक सुन्दर लड़की और इतने धनवान राज्य का राजा बनने का सुख भी उसे ललचा नहीं पाया. अपनी ड्यूटी को पूरे मन से कीजिये. तब आप शान्ति और सुकून से जी पाएँगे और तभी आप भगवान् के और करीब पहुँच पाएँगे.

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