(Hindi) The Go-Giver

(Hindi) The Go-Giver

इंट्रोडक्शन (Introduction)

क्या आप एक गो गेटर हैं? क्या कड़ी मेहनत करने के बाद भी आप सक्सेस के उस लेवल पर नहीं पहुँच पा रहे हैं जहां आप पहुंचना चाहते हैं? अगर हाँ, तो ये बुक आपके लिए है.

इस बुक में, आप स्ट्रैटोस्फेरिक सक्सेस के 5 लॉज़ के बारे में सीखेंगे. स्ट्रैटोस्फेरिक सक्सेस मतलब इतनी सक्सेस जो हमारी कल्पना से बहुत ज्यादा बड़ी और ऊँची होती है. आप “गिविंग” यानीदेने के इम्पोर्टेंस के बारे में सीखेंगे. आप उन लोगों की सफलता की कहानियों के बारे में जानेंगे जिन्होंने खुद के लिए कुछ माँगने या चाहने की बजाय दूसरों को कुछ देने की इच्छा की और वो सफलता के उस शिखर पर पहुंचे जहां वो पहुंचना चाहते थे. उन्होंने सिर्फ खुद के बारे में नहीं सोचा, उन्होंने पहले दूसरों को देने के बारे में सोचा.

क्यों, ये सुन कर विश्वास नहीं हो रहा है ना ? तो खुद देख लीजिये. इस बुक को एक मौका दीजिये और इससे वो ज्ञान हासिल कीजिये जो आपको आसमान की ऊँचाइयों तक ले जाएगा.

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द गो- गेटर  (The Go-Getter)

“जो” एक गो गेटर है. गो गेटर का मतलब वो आदमी जो अपने गोल को पाने के लिए बहुत ज्यादा एम्बिशयस होता है . वो सबसे पहले खुद के बारे में सोचता है, जैसे ये काम करने से मुझे क्या मिलेगा, इसमें मेरा क्या फायदा है. वो कुछ माँगने से भी  हिचकिचाता नहीं है.“जो” टॉप पर पहुंचना चाहता था. अपने फर्म में नंबर 1 और बेस्ट एजेंट बनने के लिए वो कड़ी मेहनत कर रहा था. इतना सब कुछ करने के बाद भी वो अपनी मंजिल तक पहुँच ही नहीं पा रहा था.
1st और 2nd क्वार्टर में वो अपना टारगेट पूरा ही नहीं कर पाया. अब तीसरा क्वार्टर भी ख़त्म होने को था, लेकिन अब भी जो काफ़ी पीछे था. इसलिए वो मदद माँगने एक जाने माने कंसलटेंट “पिंडार” के पास गया.

पिंडार को सब प्यार से चेयरमैन कह कर बुलाते थे. कंसलटेंट होने के साथ साथ वो एक गुरु या मेंटर और कीनोट स्पीकर भी थे. उन्होंने बिज़नेस के फील्ड में बहुत सक्सेस और पैसा कमाया था जिसके कारण वो एक बिज़नेस टाइकून भी थे. वो अपने बिज़नेस से रिटायरमेंट ले चुके थे, अब वो अपना पूरा ध्यान दूसरे कंपनी और प्रोफेशनल्स को सफल होने में मदद करने में लगा रहे थे.

जो पिंडार से मिल कर बहुत प्रभावित हुआ. उसे लगा कि सच में पिंडार प्रशंसा के योग्य हैं. उसने चेयरमैन से उनके सक्सेस का राज़ पूछा. पिंडार ने सिर्फ एक शब्द कहा “गिविंग” मतलब दूसरों  को देना.

जो को ये बड़ा अटपटा सा लगा, उसे इस पर विश्वास ही नहीं हो रहा था. क्योंकि लोग तो उस दुनिया के आदि हो चुके हैं जहां ज़िन्दगी की रेस में आगे निकलने के लिए एक इंसान दूसरे को कुचल कर, उसे नुक्सान पहुंचा कर खुद आगे बढना चाहता है. यहाँ तो हर इंसान सिर्फ खुद के लिए सोचता है और खुद के लिए सब कुछ चाहता है. जो सोचने लगा, अगर आप हमेशा देते रहेंगे तो खुद के लिए प्रॉफिट कैसे कमाएंगे ?

लेकिन पिंडार ने जो को एक रोमांचक सफ़र में चलने के लिए इनवाईट किया. इसमें वो  स्ट्रैटोस्फेरिक सक्सेस के 5 लॉज़ का रहस्य खोलने वाले थे. आने वाले हफ्ते के हर दिन, जो को पिंडार से लंच पर मिलना था जिसमें पिंडार उसे हर रोज़ अपने एक दोस्त से मिलाने वाले थे ताकि वो एक एक करके सारे लॉज़ को सीख सके. लेकिन पिंडार की एक शर्त थी कि जो को सीखे हुए लॉ को उसी दिन अप्लाई भी करना होगा. लंच सेलेकर डिनर के वक़्त तक जो कोउस लॉ को खुद रियल लाइफ में अप्लाई करके टेस्ट करना होगा. ऐसा इसलिए  ताकि हफ्ते के ख़तम होने पर जो खुद उन लॉज़ की सच्चाई को परख सके.

मंडे को, जो एक रेस्ट्रान्ट के मालिक से मिला, उसका नाम अर्नेस्टो था. ट्यूसडे को वो एक सीईओ से मिला जिसका नाम निकोल था. वेडनेसडे को वो एक फाइनेंसियल एडवाइजर से मिला जिसका नाम सैम था. थर्सडे को वो एक रियल एस्टेट एजेंट डेबरा से मिला. फ्राइडे को 5th लॉ का राज़ एक ऐसे शख्स ने खोला जिसकी जो ने कभी उम्मीद भी नहीं की थी.

तो आने वाले चैप्टर्स में आप एक एक लॉ के बारे में सीखेंगे. आप अर्नेस्टो , निकोल, सैम और डेबरा के सक्सेस स्टोरीज के बारे में जानेंगे. और हम ये भी देखेंगे कि जो की कहानी किस मोड़ पर ख़त्म हुई.

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द लॉ ऑफ़ वैल्यू  (The Law of Value)

द लॉ ऑफ़ वैल्यू का मतलब है कि “आपकी असली कीमत या वर्थ उस बात पर डिपेंड करती है कि आप लोगों को उनके पैसे के बदले में कितनी वैल्यू provide करते हैं”. इसका मतलब है किअगर आप उसी दाम पर अपने सर्विस में और ज्यादा वैल्यू जोड़ कर अपने कस्टमर को देंगे तो आप बहुत ज्यादा सक्सेसफुल होंगे. वैल्यू मतलब कस्टमर को एक ऐसा एक्सपीरियंस देना कि वो उसे याद रखे और बोलने पर मजबूर हो जाए कि वाह क्या बात है. आप जितना ज्यादा वैल्यू जोड़ते जाएंगे आप और भी ज्यादा सक्सेसफुल होते जाएँगे.

अर्नेस्टो लाफ़्रेट रियल एस्टेट के बिज़नस टाइकून हैं. वो शेफ होने के साथ साथ एक रेस्ट्रान्ट के मालिक भी हैं. करीबन बीस साल पहले, अर्नेस्टो के पास सिर्फ एक हॉट डॉग का स्टैंड था.

कुछ ही समय में उसे कुछ ऐसे कस्टमर्स मिले जो हमेशा उसी के स्टैंड पर आया करते थे. ये बात चारों तरफ फैलने लगी. अब तो ये आलम था किशहर के बड़े बड़े बिज़नेस एग्जीक्यूटिव भी अर्नेस्टो के स्टैंड पर लंच करने आने लगे.

उन्हें अर्नेस्टो का हॉट डॉग इतना लाजवाब लगता था कि कुछएग्जीक्यूटिव ने अर्नेस्टो की मदद करने के लिए कुछ पैसे इन्वेस्ट करने का विचार किया ताकि वो एक  रेस्ट्रान्ट खोल सके.

अर्नेस्टो के स्टाल पर लोगों का तांता लगा रहता था. उसके इतने कस्टमर बन गए थे कि जब उसने रेस्ट्रान्ट चालु किया तो हमेशा की तरह अपने कस्टमर्स को बेहतरीन डाइनिंग एक्सपीरियंस दिया जो दूसरे रेस्ट्रान्ट नहीं दे पा रहे थे. ऐसा करने से उसने बहुत प्रॉफिट कमाया.

अर्नेस्टो नेउ स रेस्ट्रान्ट को खरीद लिया.उनएग्जीक्यूटिवज़ ने भी ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लिया क्योंकि उन्हें भी इससे बहुत फायदा हुआ था.

इस सफलता के बाद अर्नेस्टो ने उस शहर में और भी कई रेस्ट्रान्ट खोले. इसके अलावा उसने कुछ कमर्शियल प्रॉपर्टी में पैसा लगाने के बारे में सोचा. कमर्शियल प्रॉपर्टी मतलब रियल एस्टेट प्रॉपर्टी जहां ज़्यादातर बिज़नेस एक्टिविटीज होती हैं और जिनसे बहुत प्रॉफिट कमाया जा सकता है. इस तरह वो रियल एस्टेट की दुनिया के टाइकून बने. तो अर्नेस्टोकी सफलता का राज़ क्या है? यूं तो उस शहर में कई रेस्ट्रान्ट और हॉट डॉग स्टैंड्स हैं और उनका भी खाना बहुत टेस्टी और लज़ीज़ है. तो ऐसा क्या था जो अर्नेस्टो के बिज़नेस को इतना ख़ास, इतना अलग बनाता था?

इसका जवाब ये है कि वो अपने सर्विस में बहुत ज्यादा वैल्यू जोड़ कर अपने  कस्टमर को देते थे. अर्नेस्टो के हॉट डॉग स्टैंड के पहले कस्टमर बच्चे थे. वो उन बच्चों के नाम और बर्थडे याद रखते थे. उनसे जुडी छोटी छोटी बातें उन्हें याद रहती थी जैसे उनका favourite कलर, कार्टून करैक्टर.

अर्नेस्टो को बच्चों से बहुत लगाव था. वो उन से बहुत बातें किया करते थे और उन्हें कुछ ना कुछ स्पेशल ट्रीट देते रहते थे. बच्चे उन्हें अच्छे से जानने लगे थे, उन्हेंपसंद करने लगे थे और उन पर भरोसा करने लगे थे. और अंत में वो अपने साथ अपने पेरेंट्स को भी उस स्टैंड पर ले जाने लगे.

अर्नेस्टो को बड़ों के भी नाम, बर्थडे और उनकी पसंद नापसंद सब याद रहते थे. अब ये पेरेंट्स भी अर्नेस्टो को जानने लगे, पसंद करने लगे और उन पर भरोसा करने लगे. अर्नेस्टो का व्यवहार उनके साथ ऐसा था मानो कितने पुराने दोस्त हों या कितना गहरा रिश्ता हो जिसकी वजह से अब बड़े भी दोबारा उनके स्टैंड पर जाना पसंद करते थे. यहाँ तक कि वो अपने जान पहचान वालों को भी अर्नेस्टो के स्टैंड पर जाने के लिए कहने लगे.

बाकी  रेस्ट्रान्टखाने की मेनू पर जो दाम लिखा होता है बिलकुल उसके बराबर का सर्विस और वैल्यू देते हैं. लेकिन अर्नेस्टो ने हमेशा कुछ ज्यादा ही दिया. वो उसी दाम पर लाजवाब खाने के साथ साथ फाइव स्टार होटल जैसी सर्विस और वैल्यू देते थे. एक ऐसा एक्सपीरियंस जिसके सामने दूसरों की सर्विस फ़ीकी लगने लगती थी.

इसलिए तो कस्टमर्स उनके रेस्ट्रान्ट को इतना पसंद करते थे. वो बार बार उनके रेस्ट्रान्ट मेंजातेथे और अपने दोस्तों को भी इसके बारे में बताते थे.

आप सोच रहे होंगे किऐसे बिज़नेस आईडिया कें जिसमें सिर्फ देना, देना और देना है, ऐसे तो आप का दिवाला निकल जाएगा, है न? लेकिन ये बिलकुल सच नहीं है.बिज़नेस शुरू करते समय ये मत सोचिये कि आप कितना कमाएंगे. बल्कि आपको ये सोचना चाहिए कि आप अपने कस्टमर को क्या दे सकते हैं, उनसे पैसे  के बदले में उन्हें कैसी सर्विस और कितनी वैल्यू दे सकते हैं. ये वैल्यू कुछ भी हो सकता है जैसे इमोशनल वैल्यू, फाइनेंसियल वैल्यू, परफॉरमेंस वैल्यू , कुछ भी.
अगर आप सिर्फ इसमें वैल्यू जोड़ते चले जाएँगे तो आप उतने ही लॉयल कस्टमर्स बनाते चले जाएँगे. और ये और ज्यादा प्रॉफिट और सक्सेस लेकर आएगा. तो ये थास्ट्रैटोस्फेरिक सक्सेस का सबसे पहला लॉ.

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