(Hindi) Physics of the Future

(Hindi) Physics of the Future

परिचय (Introduction)

आप कल्पना करिए कि आप ईयर 2100 में जाग रहे है. आपने अपनी आंखे खोली और बैठ गए. जिस दीवार को आपने फेस किया वो एकदम कंप्यूटर स्क्रीन की तरह ओन हो जाती है … अरे नहीं! वो तो एक कंप्यूटर स्क्रीन ही है. आप एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का फेस देखते है जिसका नाम आपने मौली रखा था. वो आपको गुड मोरिंग बोलके ग्रीट करती है और आपको याद कराती है मीटिंग की जो आपके वर्क प्लेस पे थी.

आप अपने बाथरूम में जाते है, टूथ ब्रश करते टाइम और शावर लेते टाइम डीएनए सेन्सर्स जो आपके बाथरूम की सिंक, टॉयलेट सीट और मिरर पर लगे है मोलक्यूलर लेवल पर आपके ब्रीथ को और आपके बॉडी फ्लूइड को एनालाइज करते है, कि कहीं आपको कोई डिजीज तो नहीं है.

आप टॉवल से अपनी बॉडी को ड्राई करते है और कपडे पहन लेते है. आप अपने हेड पर एक इक्विपमेंट पहन लेते हो जो आपको अपनी मेंटल टेलीपैथी यूज़ करवाता है. ये मेंटल टेलीपैथी क्या होती है बताते है. टेलीपैथी की पॉवर से आपके घर का टेम्प्रेचर आपके हिसाब से सेट हो सकता है, घर का म्यूजिक चल सकता है. क्यों है ना मजेदार और तो और एक रोबोट शेफ़ आपका डिलीसीयस ब्रेकफ़ास्ट भी रेडी करे और एक फ्लोटिंग कार आपके घर के मेन डोर पे रेडी मिले. और ये सब कुछ सोचने से ही हो रहा है. वाह भाई वाह.

ब्रेकफ़ास्ट लेते टाइम आप अपने कांटेक्ट लेंस लगाते है जो आपको इंटरनेट एक्सेस देता है. आप न्यूज़ हेडलाइन्स को पड़ते है जो आपकी आईज के सामने फ्लैश कर रही है. इसके बाद आप अपनी मैगनेटिक कार में बैठे है और अपने दिन की शुरुवात करते है.

ये सारी प्रेडिक्शंस जिसकी अभी हमने चर्चा की इन सबकी प्रेडिक्शंस पास्ट टाइम में काफी इन्टेलेक्चुअल्स के द्वारा हो चुकी है. लेकिन मिशियो काकू की बुक की प्रेडिक्शंस सिर्फ इमेजिनेश्न्स नहीं है जैसे कि इंटरनेट कांटेक्ट लेंस, लैब में बन रहे ह्यूमन ओर्गंस और नानोपार्टिकल्स  की इन्वेंशन आलरेडी हो चुकी है. मिचिओ काकू (Michio Kaku ने लैब्स में विजिट करके ये इन्वेंश्स खुद अपनी आखो से देखे है.

ये प्रेडिक्शंस सच होंगे इसकी गारंटी है क्योंकि ये फिजिक्स के फंडामेंटल लॉज़ को फोलो करते है. जैसे की हम जानते है इस यूनिवर्स को चार फोर्सेस चलाते है.
1:- ग्रेविटी (Gravity)
2:- इलेक्ट्रोमेग्नेटिक (Electromagnetism)
3:- वीक फ़ोर्स (Weak Force)
4:- स्ट्रोंग फ़ोर्स (Strong Force)

हम ग्रेविटी को जेर्नल रिलेविटीविटी की थ्योरी से समझते है. क्वांटम थ्योरी हमे इलेक्ट्रोमेग्नेटिज्म, वीक फ़ोर्स और स्ट्रोंग फ़ोर्स समझते है. हम ये एक्स्पेक्ट कर सकते है कि चारो लॉज़ अगले 100 साल तक तो चेंज नहीं होने वाला. इस बुक समरी में आप सिखने वाले है फ्यूचर ऑफ़ कंप्यूटर्स, रोबोटिक्स, मेडीसिन, नैनोटेक, एनेर्जी और स्पेस ट्रेवल के बारे में. ये किताब आपको अगले 100 की झलक दिखाने वाली है.

मिचियो काकू काफी जाने-माने थ्योरीटिकल फिजिसिस्ट और बेस्ट सेलिंग ऑथर है. वो स्ट्रिंग थ्योरी में एक्सपर्ट है और न्यू यॉर्क सिटी यूनिवरसिटी में प्रोफेसर है. मिचियो ने काफी साइंस शोज बीबीसी, डिस्कवरी, हिस्ट्री और साइंस चैनल को होस्ट किया है. ये वही टीवी शोज है जहाँ पे मिचियो ने इस बुक के अमेजिंग इन्वेंश्न्स को एक्सपीरिएंस किया है.
फ्यूचर ऑफ़ द कंप्यूटर्स (कम्पयूटर्स का फ्यूचर ) (Future of the computers)

मिचियो काकू एक बार मार्क वेइसेर से ज़िरोक्स पार्क में मिले. मार्क तब ज़िरोक्स के एक लीडर थे. ज़िरोक्स वही कंपनी है जिसने पर्सनल कंप्यूटर, ग्राफिकल इंटरफेस और लेजर प्रिंटर पर फतह हासिल की थी.

मार्क वेइसेर ने तब मिचियो काकू से कहा था कि एक दिन आएगा जब माइक्रोचिप्स काफी मात्रा में और काफी अफ्रोड़ेबल होगी. वो सब हमारी ज़रूरत बन जाएगा जैसे की खाना और पानी. ये सब हमारी दीवारे, फर्नीचर, क्लोथ्स और तो और हमारी बॉडी में भी होगी( पेस मेकर इसका एक एक्जाम्पल है).

ये प्रेडिक्शन मूर के लॉ पे बेस है जो सिम्पली एक्स्प्लेन करता है कि कंप्यूटर पॉवर हर वन एंड हाफ ईयर यानी 1.5 साल में डबल होती है. दुसरे शब्दों में कहे तो कंप्यूटर की पॉवर एक्सपोनेंशीयली ग्रो करती है और ये आईडिया गॉर्डोन मूर ने दिया था जो इंटेल के फाउन्डर भी थे. इसके बारे में कुछ सोचिये! कंप्यूटर्स ने ये ट्रेंड 1950 के टाइम से फोलो किया है. वैक्यूम ट्यूब कंप्यूटर्स जो की वर्ल्ड वॉरII के टाइम का था एक बहुत बड़ी मशीन थी जो कि एक रूम में फिट होती थी और इसको ऑपरेट करने के लिए एक अच्छी खासी टीम चाहिए थी जिसे एनिअक कहते थे. (ENIAC )

लेकिन 1960 के टाइम में ट्रांजिस्टर्स का इन्वेंशन हुआ जिसने मेनफ्रेम कंप्यूटर्स की बुनियाद रखी. 1980 में माइक्रोचिप्स की शुरुवात हुई,ये वही सदी थी जिसमे पर्सनल कंप्यूटर्स बने और पहली बार इसका मॉस प्रोडक्शंन भी हुआ. 2000’में कंप्यूटर्स में ही नहीं बल्कि स्मार्टफोंस और स्मार्ट टीवी में भी माइक्रोचिप्स आ गयी. हम इंटरनेट का यूज़ कहीं भी कर सकते है. एक ऐसा टाइम आएगा जब इंटरनेट हर जगह होगा, ये हमारी बेडरूम की वाल पे होगा, हमारे बाथरूम मिरर पे होगा, हमारी कार में, शॉप्स की विंडोज़ पे, पोस्टर्स और बिलबोर्ड्स पे भी.

हम जो भी पिक्चर्स देखेंगे मूविंग पिक्चर्स होगी (जैसे कि हैरी पोटर की मूवी में होती है). अगर एनशियेंट ग्रीक्स या ईज़िपिशियंस हमको देखेंगे वो भी हमको भगवान् ही मान लेंगे. आप को याद होगा कि एक टाइम था जब ना ऐरोप्लेंस थे और ना ही इंटरनेट था और ना कंप्यूटर्स. अगले 10 साल में हमारे पास इंटरनेट आई क्लास और इंटरनेट कांटेक्ट लेंस होंगे. ये सच है क्योंकि सारे इन्वेंशंस आलरेडी साइंटिस्ट के द्वारा लैब्स में मोड़ीफाईड और यूज किये जा रहे है. 2030  में आप सब इंटरनेट को बस अपनी आईज़ झपका के यूज कर सकेंगे. इंटरनेट आईग्लास मिचियो काकू ने एम्आईटी में यूज़ भी किया है. ये एक नोरमल आईग्लास की तरह ही दीखता है, बस इंटरनेट आईग्लास के राईट साइड में सिलिंडर लेंस अटैच्ड है. ये लेंस आधा इंच लंबा ही है.

मिचियो ने इसे नॉर्मल आईग्लास यानी एक नॉर्मल चश्मा समझ के ही पहना पर जब उन्होंने स्माल सिलिंडर लेंस को टैप किया तो उन्होंने एक कंप्यूटर स्क्रीन को देखा. जो इस तरह लगा जैसे उनके सामने एक कंप्यूटर स्क्रीन आ गयो हो. स्क्रीन नोर्मल स्क्रीन से छोटी थी लेकिन एकदम क्लियर थी. ये इंटरनेट आईग्लास एक डिवाइस के साथ थी. ये एक हैण्डहेल्ड डिवाइस से कण्ट्रोल होती थी यानी हाथ में पकडे जाने वाले डिवाइस से कण्ट्रोल होती थी जिसकी मदद से बटन्स के साथ यूजर क्रूजर कण्ट्रोल और वर्ड्स टाइप कर सकते थे.

यूनिवरसिटी ऑफ़ वाशिंगटन में मिचियो ने एक और इन्वेंशन देखा जो एक इंटरनेट कांटेक्ट लेंस ही था. वो उसके इन्वेंटर बाबक परविज़ से मिले. उस प्लास्टिक कांटेक्ट लेंस में एक बहुत छोटा माइक्रोचिप्स था और कुछ पीसेस लेड यानी लाईट एमिटिंग डायोड के थे..

कल्पना करिए कि आपके पास एक कांटेक्ट लेंस आपकी इंडेक्स फिंगर पर है. अगर आप उसे क्लोजली देखेंगे तो आपको माइक्रोचिप्स की छोटी लाइंस दिखेगी और लेड के छोटे सर्कल्स दिखेंगे. परवेज़ ने कांटेक्ट लेंस को सेमी-ट्रांसपेरेंट रखा था ताकि हम अपनी सराउंडिंग्स को भी देख सके. वो अपने इस डिजाईन को अभी और इम्प्रूव कर रहे है ताकि यूजर्स और भी डिटेल में साफ कलर्स देख सके. हर एक कांटेक्ट लेंस सिर्फ 10 माइक्रोमीटर ही थिक  है.

अब सोचिये क्या होगा जब आप एक दिन वीडियोज और बुक्स इंटरनेट कांटेक्ट लेंस पर देख और पढ़ सकेंगे. आप कम्फरटेबली अपने सोफा पर बैठे है और आपके आइज़ के सामने इमेजेस फ्लैश हो रही है. और तो और अप एक बीच पे रिलेक्स करते हुए ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंस कर रह है. इसकी भी एक पोसिबिलिटी है कि कांटेक्ट लेंस पर एक इनबिल्ट कैमरा हो. लोग अपने एक्सपिरियेंसेस को वर्ल्ड के साथ शेयर कर सके. कल्पना करिए कि आपका कोई फ्रेंड माउंटेन ट्रिप पर गया है और इंटरनेट कांटेक्ट लेंस से वो आपको उस माउंटेन की ब्यूटी और सनराइज़ का एक्सपीरिएंस शेयर कर रहा है.

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

फ्यूचर ऑफ़ एआई ( Future of AI)

हम लोगो ने अनगिनत साइंटिफिक मूवीज देखी है जिसमे इंटेलीजेंट रोबोट्स इंसानों को मार देते है या इंसानों को गुलाम बना देते है फॉर एक्जाम्पल – टर्मीनेटर, मैट्रिक्स, आई-रोबोट या एक्स मशीन काफी और भी मूवीज है जिसमे आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स के पास इमोशंस और कॉमन सेन्स है जैसे कि वाल ए और बिग हीरो. आपको क्या लगता है क्या ये वाकई पॉसिबल है? क्या रोबोट्स फ्यूचर में इंसानों से स्मार्ट हो सकते है? क्या आप जानते है यू.एस मिलिट्री एक रोबोट यूज़ करती है जिसका नाम प्रीडेटर है जो आसमान से आती हुई मिसाइल्स को शूट कर देता है.

प्रीडेटर 27 फीट लम्बा ड्रोन है. ये बहुत एक्यूरेसी से अफगानिस्तान में टेरेरिस्ट्स के निशानों को हिट करता है. ये शुरुवात में बहुत डरावना था लेकिन प्रीडेटर अपने आप काम नहीं करता. इसके पीछे हमेशा एक सोल्जर होता है जो इसे कण्ट्रोल करता है. जो भी आर्टीफिशिय्ल इंटेलीजेन्स आज के टाइम में एक्जिस्ट करती है इसे ह्यूमन ही कण्ट्रोल या प्रोग्राम करते है. कोई सिंगल रोबोट की इतनी कैपेसिटी नहीं जो अपने आप सोच सके. चाहे एक रोबोट कितनी भी अमेजिंग एबिलिटीज रखे उसे कण्ट्रोल एक इंसान ही करता है.

असीमो दुनिया का सबसे एडवांस्ड रोबोट है. इसे हौंडा ने बनाया है. इसकी हाईट 4फीट और 3इंच है और इसका वेट 119 पौंड्स है. ये एक लड़के की तरह दीखता है जिसके सर पे एक हेलमेट है और पीठ पे बैकपैक. इसकी बॉडी स्टील की बनी है और फेस ब्लैक ग्लास से. असीमो चल बो और भाग सकता है. वो रूम्स में नेविगेट कर सकता है और तो और कप्स उठाकर कॉफ़ी भी सर्व कर सकता है. वो सिंपल कमांड्स को फोलो कर सकता है और काफी लेंगुवेजेस भी बोल सकता है. हौंडा साइंटिस्ट ने 20 साल इस पर काम करके असीमो को इतना परफेक्ट बनाया है. जब मिचियो काकू असीमो से मिले उन्होंने सोचा रोबोट अपना हेलमेट उतारेगा और ह्यूमन बॉय बॉडी रीवील करेगा. असीमो हैण्डशेक करेगा और हेलो बोलेगा. मिचियो ने रोबोट से जूस लाने को बोला और रोबोट ने उसका आर्डर फोलो किया. जब मिचियो असीमो से इंटेरएक्ट कर रहे थे तब इंजीनियर्स की टीम उसके पीछे थी. वो उसे ऑर्डर्स फोलो करने के लिए कांस्टेंटली रीप्रोग्राम कर रही थी.

इंजीनियर्स ने एडमिट किया असीमो के पास सिर्फ एक इन्सेक्ट जितनी इंटेलीजेन्स है. रोबोट सिर्फ चल सकता है लेकिन उसके स्टेप्स और टर्न प्रोग्राम करने पड़ते है नहीं तो वो गिर सकता है. वो अपनी सराउंडिंग को देख और समझ नहीं सकता. जो भी वो लेंगुएज बोलता है वो एक्चुअल में रिकार्डेड है.
यहाँ तक कि एक कोक्रोच भी असीमो से स्मार्ट है. कोक्रोच ओब्जेक्ट्स को पहचान सकते है, ओब्स्टेकल्स को अवॉयड कर सकते है और कोनो में जाकर छुप सकते है. वो अपने खाने और मेट्स को भी ढूंढ सकते है और तो और वो अपने प्रीडेटर्स से भाग सकते है. कोक्रोच ये सारे डिसीजन कुछ सेकंड्स में ही ले सकते है.

रोबोट्स की ह्यूमन से स्मार्ट बनने की दौड़ अभी लंबी है. साइंटिस्ट कहते है आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स को इवोल्यूशनरी लैडर को पहले क्लिम्ब करना होगा यानी रोबोट्स को पहले कोक्रोच, माउस, खरगोश डॉग और एक बंदर से ज्यादा स्मार्ट होना पड़ेगा फिर वो ह्यूम्न्स से ज्यादा स्मार्ट बन सकते है.

अब बताए क्या आप एक सेकंड में काम्प्लेक्स कैलकुलेशन कर सकते है या चेस में वर्ल्ड चैपियन को बीट कर सकते है ? ऐसे रोबोट्स है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो ह्यूम्न्स को अपना स्लेव बना ले. डीप ब्ल्यू, ये रोबोट आईबीएम् ने क्रिएट किया है और ये 11 बिलियन कैलकुलेशंस सिर्फ एक सेकंड में करता है. इसने वर्ल्ड चेस मास्टर गैरी कास्परोव को भी हराया है. डीप ब्ल्यू सच में अमेजिंग है लेकिन वो सिर्फ एक टास्क ही पर्फ्रोम कर सकता है. वो चेस में जीनियस है लेकिन और कुछ नहीं कर सकता. रोबोट चाहे कितने भी इंटेलीजेंस बन जाये मगर दो बेसिक फंक्शन्स नहीं कर सकते जो ह्यूमन कर सकते है फर्स्ट पैटर्न रेकोगनाइजेशन और सेकंड कॉमन सेन्स.

ये बात नोट करने वाली है कि ह्यूमन ब्रेन कंप्यूटर नहीं है. इसमें ना कोई माइक्रोचिप है ना कोई सॉफ्टवेयर जिसे अपग्रेड किया जा सके. ब्रेन्स में बिलियंस ऑफ़ न्यूरोंस है जो हर टाइम कनेक्ट और रीकनेक्ट होते रहते है. एक न्यूरोन हर 10,000 न्यूरोंस से कनेक्ट है. जब आप पियानो लेर्न करते है या जब भी आप किसी चीज़ की प्रेक्टिस करते हर टाइम न्यूरोंस का नेटवर्क रीइन्फोर्स्ड होता है. ये एस्टेबिलिश्ड कनेक्शंस रीजंस है जिसकी वजह से हम अपनी बैड हैबिट्स नहीं छोड़ सकते. क्या रोनोट्स सोनाटा म्यूजिक कम्पोज़ कर सकते है, विजुअल मास्टरपीस को पेंट कर सकते है या जिम्नास्टिक परफोर्म कर सकते है? सिर्फ ह्यूमंस ही कर सकते है. लेकिन फिर भी आर्टीफिशीयल इंटेलीजेंस फिल्ममेकर्स, राईटर्स, साइंटिस्ट, और इंजीनियर्स के माइंड को इंस्पायर करता है.

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

SHARE
Subscribe
Notify of
Or
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments