(Hindi) I CAN MAKE YOU THIN

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इंट्रोडक्शन ( INTRODUCTION)

आप कितने चोकलेट केक खाना पसंद करोगे? दो या तीन स्लाइसेस? आप बोलोगे मेरी डाईट खराब हो जायेगी? है ना? काश कि आपको कोई ऐसी डाईट बुक मिलती जो आपको ये ना बोले कि ये मत खाओ, वो मत खाओ? और खाने के बाद आपको गिल्टी फील ना हो. अगर कोई ऐसी टेक्नीक हो जो आपको खाने से ना रोके तो क्या आप ट्राई करना चाहोगे?

इंसानी दिमाग एक कंप्यूटर जैसा ही है. जो कुछ आप इसके अंदर डालोगे वो इसे अफेक्ट करेगा. या तो आपका दिमाग पीछे रहेगा या फिर किसी एफिशिएंट कंप्यूटर की तरह तेज़ भागेगा. तो अब अगर आपको लूज़ वेट करने के लिए फ़ूड को डिफरेंट लेवल पर प्रीसीव करना पड़े तो क्या होगा? तो इसलिए खुद को भूखा मारने या जी-तोड़ मेहनत करने की कोई ज़रूरत नहीं है.

इस बुक में आपको हम पोजिटिव प्रोग्रामिंग के बारे में कुछ बताएँगे. हो सकता है आप शायद अब तक वेट इसलिए लूज़ नहीं कर पाए क्योंकि आप एक गलत डाईट फोलो कर रहे हो. हमारा एजेंडा सिर्फ वेट लूज़ करना नहीं है. हमे खुद को इम्प्रूव भी करना है और वो भी बिना फ्रस्ट्रेट हुए. ये बात ध्यान रखो कि आप अपनी बॉडी के मास्टरमाइंड खुद हो. कोई और नहीं. तो चलो, अब अपनी जर्नी स्टार्ट करते है और एक बिग चेंज के लिए ये स्टेपिंग स्टोन लेते है.
क्या आप कुछ एकदम नया और डिफरेंट करने के लिए रेडी है? आर यू रेडी फॉर समथिंग कम्प्लीटली डिफरेंट?
Are you ready for something completely different?

पॉल मैकेना कहते है कि अपने माइंड को प्रोग्राम करने के लिए सबसे पहले तो आपको ये पैटर्न समझना पड़ेगा कि आप अभी तक पतले क्यों नहीं हुए? असल में तीन पैटर्न्स होते है. जो है ओब्सेसिव डाइटिंग, इमोशनल ईटिंग और फाल्टी प्रोग्रामिंग. शायद आप अभी तक डाईट को सिर्फ वेट लूज़ से जोड़ने की गलती कर रहे हो? कई बार आप अपने फ्रेंड्स से सुनते है या फिर इंटरनेट पे कुछ पढ़कर एकदम से हार्ड डाईट करना स्टार्ट कर देते हो.इसे हम ओब्सेसिव डाइटिंग बोलेंगे. ऐसे लोग भी होते है जो पूरी एक लिस्ट बना लेते है कि क्या खाना है और क्या नहीं खाना है. और कुछ ऐसे भी है जो डाईट चेकलिस्ट के हिसाब से चलते है ताकि उन्हें अपना आइडियल बॉडी फिगर अचीव करने में हेल्प मिले.

अक्सर पोपुलर डाइट्स के फेल होने का एक रीजन ये भी है कि इसमें डाईट एक्सट्रीम चेंज होती है या फिर ज्यादातर चीज़े खाने की मनाही होती है. जबकि ये चीज़ हमारे नैचुरल बॉडी मेटाबोलिज्म के खिलाफ होती है. स्ट्रिक्ट डाईट फोलो करने वाला इंसान बीच में ही अक्सर टूट जाता है और फिर दुगना खाने लगता है. खैर इस बारे में हम बाद में बात करेंगे.

डाईट का सेकंड पैटर्न है इमोशनल ईटिंग. पॉल मैकेना इसे ओबेसिटी का नंबर वन रीजन मानते है. बहुत से लोग तब ज्यादा खाने लगते है जब उन्हें लोनलीनेस फील होती है या वो बोर हो रहे होते है या फिर उन्हें गुस्सा आ रहा होता है. फिर चाहे उनका पेट भरा हो, उनके इमोशंस उन्हें कुछ ना कुछ खाने के लिए पुश करते है. असल में इमोशनल ईटिंग का रियल हंगर से कोई लेना देना नहीं.

कहीं आप भी उनमे से तो नहीं जो किसी परेशानी के चलते वेट पुट ओन कर लेते है. यानी कोई प्रोब्लम आई नहीं कि आप लज़ीज़ खाने पर टूट पड़े, वैसे ये एक तरह का मेंटल स्ट्रेस बस्टर है. डिलीसियस खाना हमे कम्फर्ट देता है. कई बार तो प्रोब्लम रीज़ोल्व हो जाती है मगर लोग स्ट्रोंग फील करने के लिए खाते रहते है. लेकिन आपको अपने इमोशंस का गुलाम बनने की बिलकुल ज़रूरत नहीं है, ईमोशनल ईटिंग को कैसे कण्ट्रोल किया जाए, इस बारे में हम आपको कुछ और इन्फोर्मेशन देंगे. और ये भी बताएँगे कि एक फिजिकल हंगर और ईमोशनल हंगर के बीच का फर्क कैसे समझा जाए. थर्ड पैटर्न है फाल्टी प्रोग्रामिंग. आपका माइंडसेट ही आपकी ओबेसिटी की जड है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि आप फेल हो गए या अब आपका कुछ नहीं हो सकता. खुद को एक ब्रेक दो. जो भी डाईट, पिल्स या शेक्स आप ले रहो हो, आप के उपर इसलिए काम नहीं कर रहा क्योंकि आपको वेट लोस के बेसिक प्रिंसिपल मालूम नहीं है.

खुद के बारे में नेगेटिव मत सोचो, आपको बस थोड़े से कण्ट्रोल की ज़रूरत है. आपकी प्रोग्रामिंग में ही कुछ गड़बड़ है या फिर आप वेट लोस को समझ ही नहीं पा रहे हो. बस ये ध्यान में रखो कि आप एक बेड पर्सन नहीं हो. बस आपकी कुछ बेड हैबिट्स है जिनसे आपको छुटकारा पाना है.

चलो, केट होव्लेट (Kate Howlett) की स्टोरी से कुछ सीखने की कोशिश करते है. पॉल मैकेना से पहले केट ने हर टाइप की डाईट करके देख ली थी. उसने कैलोरी काउंटिंग और फेट काउंटिंग भी ट्राई किया.
उसने सिक्स डाईट भी ट्राई की यानी शाम के छेह बजे के बाद वो कुछ भी नहीं खाती थी. मगर कुछ फर्क नहीं पड़ा. केट ने ज़रा भी वेट लूज़ नहीं किया. वो इतनी फ्रस्ट्रेट हो गयी कि उसने वेट लूज़ करने का ख्याल ही अपने दिल से निकाल दिया था.

उसने खुद को कन्विंस कर लिया था कि मोटापा तो उसके खून में है क्योंकि उसके घर में सब मोटे थे. तो फिर इतनी मेहनत ही क्यों की जाये जब रीजल्ट कुछ मिलना नहीं है. केट पूरी तरह गिव अप कर चुकी थी कि एक दिन उसे पॉल मैकेना के बारे में पता चला.

वो ये देखकर हैरान थी कि पॉल की टेक्नीक्स कितनी सिंपस और ईजी है. उसे लग रहा था कि ये कोई डाईट नहीं है बल्कि खाने को देखने का एक नया नजरिया है. पहले वो इतनी स्ट्रिक्ट डाईट करती थी कि भूख में मारे उसकी जान ही निकल जाती थी फिर वो खाने पर ऐसे टूट पड़ती जैसे कई सालो से भूखी हो. और फिर उसके बाद उसे बड़ा गिल्ट फील होता था. मगर अब वो अपनी ईटिंग हैबिट्स से काफी खुश और सेटिसफाईड है और अपनी न्यू बॉडी शेप को लेकर काफी कॉंफिडेंट भी. केट ने पूरे 70 पाउंड लूज़ किये. लेकिन केट मानती है कि चेंज का  मतलब फिजिकल चेंज से कहीं ज्यादा है. वो अब लाइफ को पहले से ज्यादा एन्जॉय करती है. ऐसी बहुत सी चीज़े है जो वो पहले नही कर पाती थी मगर अब कर सकती है. उसे पहले शोपिंग पर जाना बिलकुल भी पंसद नहीं था क्योंकि कोई कपडा उसके साइज़ का मिलता ही नहीं था. और अब तो उसे अपने लिए शौपिंग करना बहुत पसंद है. केट के लिए वेट लोस पॉल मैकेना के लेक्चर्स का बोनस प्राइज़ है.

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द सिम्प्लस्ट वेट लोस सिस्टम इन द वर्ल्ड (दुनिया का सबसे सिम्पलस्ट वेट-लोस सिस्टम) The simplest weight-loss system in the world

क्या आप भी यही सोच रहे है कि इतनी स्ट्रिक्ट डाईट के बाद भी आपका वेट कम क्यों नहीं हो रहा? यहाँ हम आपको सिम्पल वेट लोस सिस्टम के चार रूल्स बता रहे है. फर्स्ट रुल है ईट व्हेनएवर यूं आर हंगरी यानी खाना तभी खाओ जब भूख लगी हो. भूखे रहने की बिलकुल ज़रूरत नहीं है. हमारी बॉडी फैट और कार्बोहाईड्रेट एनेर्जी में क्न्वेर्ट करती है. जिसे मेटाबोलिज्म प्रोसेस बोलते है. अब अगर स्ट्रिक्ट डाईट करोगे तो ये आपकी हेल्थ के लिए काफी हार्मफुल होगा. हमारा सेकंड रुल है” ईट व्हट यू वांट एंड डोंट फोर्बिड योरसेल्फ” यानी जो मन करे वो खाओ” क्योंकि आप जितनी लंबी लिस्ट बनायेंगे कि ये नही खाना, वो नहीं खाना ,उतना ही आप टेम्प्टेड फील करोगे. तो की ये है कि जब सचमुच में भूख लगे तभी खाओ और ये श्योर कर लो कहीं ये आपकी इमोशनल हंगर तो नहीं..

थर्ड रुल है आपको खाते वक्त कांशस रहना है. खाते वक्त सिर्फ खाने पे ध्यान देने से हम फालतू खाने से बचते है यानी जैसे आप टीवी या मोबाइल देखते टाइम कितना खाते है, आपको पता नहीं चल पाता. इसलिए अगर आप सिर्फ खाने पे फोकस करेगे तो ओवरईटिंग से बचेंगे. फोर्थ रुल है” जब आपको लगे कि अब पेट भर गया तो खाना स्टॉप कर दो. प्लेट में उतना ही लो जितना आप खा सकते हो. ओवरईटिंग ग्लुटोनी की निशानी है. ओवरईटिंग की वजह से हाइपरटेंशन, डाएबीटीज़ और कैंसर जैसी क्रोनिक डिजीज हो सकती और ये बात कई सारी स्टडीज से भी प्रूव हुई है. पॉल मैकेना हंगर स्केल के बारे में एक्सप्लेन करते है. ये एक स्केल है जो बताएगा कि आपकी भूख कितनी इंटेंस है. इसके 10 लेवल्स है, फिजिकल फेंट, रेवेनियस, फेयरली हंगरी, स्लाईटली हंगरी, न्यूट्रल और प्लीजेंटली सेटिसफाईड, फुल, स्टफ्ड, ब्लोटेड और नोज़ियस (It has 10 levels. They are 1 Physically faint, 2 Ravenous, 3 Fairly hungry, 4 Slightly hungry, 5 Neutral, 6 Pleasantly satisfied, 7 Full, 8 Stuffed, 9 Bloated and 10 Nauseous.)

पॉल मैकेना के हिसाब से हमे इस हद तक नहीं खाना चाहिए कि हम एकदम स्टफ्ड, ब्लोटेड या नोजियस फील करे. रूल नंबर फोर क्लीयरली बोलता है जब पेट भर जाए खाना बंद कर दो. और स्केल नंबर सेवन तक तो कभी जाओ ही नहीं. ऊपर मेंशन किये गए रूल्स को फोलो करने के बाद ये नैचुरल है कि हमे दो हफ्ते बाद ही कुछ इम्प्रूव्मेंट्स मिलने शुरू हो जायेंगे.. स्टार्टिंग में ये सब आपको थोडा अजीब लगेगा. इतने टाइम से हेवी ईटिंग करने के बाद इतनी जल्दी आप एडोप्ट नहीं कर सकते. लेकिन धीरे-धीरे आप उन सब चीजों को भूल जायेंगे जिसे हम फोरबिडन फ़ूड बोलते है जैसे चावल, ब्रेड, स्वीट्स वगरैह. आप खुद को लेकर काफी कॉंफिडेंट फील करने लगेंगे. क्यों? क्योंकि अब आपको ड्रास्टिक डाईटिंग करने की बिलकुल ज़रूरत नहीं पड़ेगी.

पॉल मैकेना अपनी बुक में ये नहीं बोलते कि आप स्ट्रिक्ट डाईट करो बल्कि वो आपको रीमाइंड कराना चाहते है कि खुद पे इतना प्रेशर मत डालो, थोडा रीलेक्स करो. रूल्स फोलो करो और पेशंस रखो. किसी भी चीज़ का रिजल्ट इतनी जल्दी रिजल्ट नहीं मिलता है. हर दो मिनट बाद अपना वेट चेक करना छोड़ दो. इससे आप मोटिवेट तो नहीं होंगे उल्टा प्रेशर में आ जाओगे. गाइडलाइन्स फोलो करते वक्त एक बिगर पिक्चर माइंड में रखो और आलस तो बिलकुल मत करो. अगर आप क्लेयर सिंह (Claire Singh) से पूछोगे कि उसने सारा दिन क्या खाया, तो उसे शायद कुछ याद भी ना आए. रीजन ये है कि वो हद से ज्यादा खाती है. उसके लिए खाने की कोई लिमिट नहीं है. पेट भरा हो तो भी क्लेयर खाती रहती है.

उसकी मोम ने उसे क्रिसमस प्रेजेंट के तौर पर पॉल मैकेना की वर्कशॉप क्लास में भेजा. क्लेयर इस वर्कशॉप से बहुत ज्यादा इंस्पायर हुई. उसे लगा जैसे कि वो आज तक सो रही थी और अब किसी ने उसे जोर का झटका देकर उठा दिया हो. लाइफ में फर्स्ट टाइम क्लेयर अपने खाने को लेकर कांशस हुई थी. उसने वर्क आउट करना भी स्टार्ट कर दिया. इस वर्क शॉप ने उसका खाने को देखने का नजरिया ही बदल दिया था. उसे समझ आ गया था कि फ़ूड बॉडी के लिए सिर्फ एक फ्यूल है ना कि कोई रेयर चीज़ जिसे बॉडी में स्टोर किया जाए.

क्लेयर ने अपनी बॉडी से प्यार करना सीख लिया था, वो अब अपना ख्याल रखने लगी थी. उसने जंक फ़ूड एकदम छोड़ दिया था. उसने हेल्थी खाना बनाना भी सीखा. क्लेयर ने काफी वेट लूज़ कर लिया था. वो अब पहले से बैटर फील कर रही थी. अपनी अपनी इस न्यू फाउंड बॉडी में कम्फर्टबल फील कर रही थी. इस एक्स्पिरियेंश ने उसकी हेल्थ तो इम्प्रूव् की ही साथ ही उसे एक पोजिटिव आउटलुक भी दिया. आज क्लेयर पहले से काफी बैटर है और वो इसे एन्जॉय भी कर रही है.

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