(Hindi) The Dhandho Investor: The Low-Risk Value Method to High Returns

(Hindi) The Dhandho Investor: The Low-Risk Value Method to High Returns

परिचय/शुरुआत

क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया  के सबसे अमीर लोग अपना पैसा कैसे कमाते  हैं? क्या उन्होंने एक अच्छे व्यापार/बिज़नेस प्लान के साथ शुरुआत की या  यह उनका दिमाग है जिसने उन्हें सफल बनाया है?

इस बुक में, आप धंधो के बारे में सीखेंगे, जो एक सोच है जो यह बताती है कि अमीर होने के लिए, आपको सबसे कम ख़तरा वाले बिज़नेस में पैसा लगाना चाहिए।

धंधो सोच से काम करने वाले लोगों की सफल कहानियों के बारे में भी आपको पता चलेगा। आपको पता चलेगा कि कैसे वो   धन कमाने में कामयाब रहे जबकि उनके पास कुछ भी नहीं था।

यह बुक उन सब के लिए है जो मुश्किल स्थिति  में सफल बनने  की कोशिश कर रहे हैं । सिर्फ इसलिए कि आप मुश्किल स्थिति में हैं, इसका मतलब ये नहीं है कि आप बड़े सपने नहीं देख सकते हैं।

ये बुक इस बात का सबूत है कि आप इसे कर सकते हैं, आप अमीर हो सकते हैं। तो धंधो की सोच के पीछे के राज़ को जानने के लिए आइये बढते है आगे।

पटेल मोटल धंधो

धंधो एक भारतीय गुजराती शब्द है जिसका मतलब है “व्यापार/बिज़नेस” या “वो काम जिनसे पैसा कमाया जा सके”।

पटेल्स बिज़नेस की तरफ एक अलग सोच रखते हैं। वे कम खतरा और ज़्यादा पैसा कमाने पर ध्यान देते हैं। वो हमेशा (PROFIT) लाभ को ज़्यादा रखते हुए और कम (risk) जोखिम लेने का एम रखते हैं। किसने कहा कि आपको ज़्यादा  पैसा  कमाने के लिए बड़े खतरे  उठाने  होंगे?

सोचिये कि  आप एक बिजनेसमैन हैं और आप ऐसे फैसले लेते रहते हैं, जो बिना किसी जोखिम के 100% (profit) लाभ देते हों तो आप हर बार कितना पैसा कमाएंगे? और आप लंबे समय में कितनी सफलता  पाएंगे ? हम सोच सकते हैं कि बहुत सारी।

पटेल पहले ज़मीनों के मालिक  थे। वे खेती और हर काम समझदारी से करने में चतुर थे। क्योंकि उनके बड़े परिवार थे, वो अपने बच्चों के बीच ज़मीन को बांटने के लिए मजबूर थे, जिससे खेती करना मुश्किल हो गया। छोटी ज़मीन  पर खेती करना फायदेमंद नहीं था, इसलिए पटेल को दूसरी नौकरी ढूंढनी पड़ी।
उन्होंने युगांडा जैसे अफ्रीकी देशों की यात्रा करने का फैसला किया। उन्होंने वहां रेल बनाने या (business)व्यापार करने का मन बनाया।

अपनी धंधो सोच के कारण पटेल बहुत सफल होने लगे और यूगांडा में उनका बहुत नाम होने लगा जिसके कारण युगांडा के जनरल ने फैसला किया कि “अफ्रीका केवल अफ्रीकी लोगों के लिए होना चाहिए” इसलिए उन्होंने पटेलों को अफ्रीका छोड़ने के लिए कहा।

जनरल ने उन्हें बाहर कर दिया। युगांडा सरकार ने उनके पैसो को धन/जायदाद को छीन लिया और बदले में कुछ नहीं  दिया। इसलिए पटेलों के पास घर भी नहीं था और ना ही पैसे थे। किस्मत से , उनका  अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा में स्वागत किया गया।

पापा पटेल उन में से एक थे। उन्होंने युगांडा से बाहर निकलने की योजना बनाई। देश से बाहर निकलने से पहले उन्होंने अपने  पैसो को सोने में बदल दिया और छुपाकर अपने साथ ले गए। वो बहुत  होशियार थे।

पापा पटेल को जल्दी कोई काम शुरू करने के बारे में सोचना पड़ा  क्योंकि उनका परिवार उनके साथ था । उन्हें एक मौका तब मिला जब  एक मोटेल अमेरिका में बिक रही थी. मोटेल एक तरह का होटल है जो रोडसाईड मे होता हैतब उन्होंने अपने सभी साथी पटेलों से पैसे इकट्टे करके अगला कदम उठाया। यह एक फायदे का व्यापार  था क्योंकि रिश्तेदार कम से कम पैसे कमाने के समय में वहां मुफ्त में रह सकते थे।

पापा पटेल ने एम्पलोई को जाने दिया और अपनी पत्नी के साथ उस मोटेल में काम करने लग गये। उनके बच्चों ने भी उनकी मदद की। ऐसा करने से, उन्होंने काम में लगने वाले खर्चे को कम कर दिया।

समय के साथ उनकी इन्कम धन बढ़ने लगी। पापा पटेल बूढ़े हो गए थे   इसलिए उन्होंने  अपने बेटे को काम दे दिया । परिवार अगले पटेल को मोटल का कारोबार देते रहे , जो इसे उसी तरह चला सके। वे खर्चे को कम करने के लिए खुद काम करते थे , वे  खुद सबसे कम पैसे लेते थे , और वो कोशिश करते कि मोटेल का हर रुम में कोई ना कोई कस्टमर हमेशा रहे। वे अधिक व्यापार करने की सोच रखते  थे ।

अपनी धांधो सोच के कारण, उन्होंने एक के बाद एक बड़े मोटल खरीद कर काम को बढ़ा दिया।
अमेरिका में ज़्यादा समय से नहीं होने के बाद भी, पटेलों ने अपने लिए एक ऐसा नाम बनाया है जिसे हर कोई जानने लगा।
आज, यह भारतीय ग्रुप पूरे अमेरिका में आधे मोटेल्स का मालिक है। सोचिये कि यह सच  करना उनके लिए कितना मुश्किल था।
वे बिना  पढ़े लिखे  या अच्छी  अंग्रेजी जाने बिना किसी देश में चले गए, लेकिन उन्होंने ये कर के दिखाया ।
उन्होंने सभी रुकावटों का सामना किया और वे अब $ 40 बिलियन के मालिक हैं। वे अमेरिका को हर साल $ 725 मिलियन से अधिक टैक्स देते हैं।

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मणिलाल धंधो

आप सोच रहे होंगे कि पापा पटेल सही समय में सही जगह पर होने के कारण लकी थे किस्मत अच्छी थी। लेकिन सच यह है कि उन्होंने जो किया वह कोई भी कर सकता है। इसका राज़ धंधो रुलस में छुपा है।

मणिलाल चौधरी पटेल के कजिन भाई हैं। क्योंकि वह एक गुजराती है, धंधो की सोच  उसके जीन में भी है। वह 54 साल के मेहनती और  ईमानदार आदमी हैं।
मणिलाल ने भारत में एक एकाउंटेंट का  काम किया। उनके भाई ने उन्हें और उनके परिवार को अमेरिका आने में मदद की। मणिलाल ने अपना परिवार सैन फ्रांसिस्को में बसाया। उनके पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने अपने परिवार को सँभालने के लिए नौकरी खोजना शुरू कर दिया।

उन्होंने अकाउंटेंट कि नौकरी खोजने की कोशिश की लेकिन उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं थी और अमेरिका में कभी काम नहीं करने की वजह से उनके सभी कोशिश फेल हो गए। इसलिए मणिलाल ने सबसे कम   पैसे/वेतन में गैस स्टेशन पर  नौकरी की। वह हफ्ते में 112 घंटे काम कर रहे थे।
इसके बाद मणिलाल अपने परिवार के साथ एक कंप्यूटर पॉवर सप्लाई कंपनी में काम करने के लिए दक्षिणी कैलिफोर्निया चले गए। जल्द ही पूरे परिवार ने चेरोकी इंटरनेशनल में उनके साथ काम करना शुरू कर दिया।

एक बार जब पैसा आना  शुरू हुआ, तो मणिलाल के परिवार ने पैसे बचाने का फैसला किया। क्योंकि वे सभी एक ही अपार्टमेंट में साथ रहते थे, कम पैसे खर्च होते थे।अपने बचाये हुए पैसों से उन्होंने एक बड़ा घर खरीदा। नए घर में जाने के बाद मणिलाल ने एक और नौकरी करना शुरू कर दिया। वह अब पॉवर सप्लाई  कंपनी में सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक और शाम 5:30 बजे से रात 11 बजे तक गैस स्टेशन में काम कर रहे थे।

मणिलाल के लगन के कारण, गैस स्टेशन के मालिक ने उन्हें मैनेजर बना दिया। उन्होंने अपने वेतन के साथ गैस स्टेशन के प्रॉफ़िट/लाभ का 10% भी कमाया।
उनका पूरा परिवार पैसे बचाता था। उन्होंने परिवार के हर सदस्य के लिए उस पैसे से घर खरीदना शुरू किया । वे अभी भी कम खर्च और अधिक पैसे बचाते थे और  एक सिंपल  जीवन जी रहे थे।

इसके बाद मणिलाल ने बचाये हुए पैसे से अपना खुद का व्यापार/बिज़नेस शुरू किया। उन्हें एक मोटल खरीदने का मौका तब मिला जब अमेरिका में 9/11 के टैरिरस्ट अटैक के बाद उसके दाम कम हो गए थे। उन्होनें कुछ पैसा लगाने वालों को अपनी ओर किया और   काम करने के लिए तैयार हो गए।
मणिलाल ने अपनी दोनों नौकरियां छोड़ दीं और पूरे समय मोटेल में काम करने लगे। चार साल के बाद उनके मोटल ने दाम बढ गया। प्रोफिट हर साल 48% बढ़ने लगा। मणिलाल ने लिए हुए पैसे वापस कर दिए और उनका परिवार अब असल में पैसा कमाने लगा।

हर सदस्य ने अपनी इन्कम बढ़ाना  शुरू कर दिया। वे कैलिफोर्निया और अन्य जगहों में मोटल खरीद कर चला रहे थे।
यह धंधो के सोच का एक अच्छा  उदाहरण था। मणिलाल ने कड़ी मेहनत की, अपने खर्च को कम से कम रखते हुए जितना हो सके उतना बचाया । उन्हें 9/11 के बाद  एक बड़ा मौका मिला। मणिलाल ने तीन साल तक सही मौके का इंतज़ार किया और सही अवसर चुना ।

वर्जिन धंधो

आप सोच रहे होंगे कि धंधो ने पटेल और मणिलाल के लिए काम किया, लेकिन यह आपके लिए काम करेगा या नहीं ।
क्या आपको लगता है कि धंधो केवल इंडियंस/भारतीयों के लिए है? यहाँ इंग्लैंड में जन्मे और पले-बढ़े आदमी का एक और उदाहरण है।
पटेल की तरह  रिचर्ड ब्रैनसन पैसे बचाते नहीं थे। वो अपने जीवन को पूरी तरह से जी रहे थे और मज़े कर रहे थे।
उनकी एक (music recording) संगीत रिकॉर्डिंग और डिस्ट्रीब्यूशन की कंपनी थी। एक दिन एयरलाइन का एक बिजनेज प्लान रिचर्ड की डेस्क पर आई । यह लंदन और न्यूयॉर्क के बीच एक ऑल बिजनेस क्लास एयरलाइन बनाने के बारे में था ।

रिचर्ड बडे होशियार थे । वो जानते थे कि इस प्लान को उनके पहले कई बिजनेसमैन ने मना कर  दिया था नहीं तो यह उन तक नहीं आता।
उन्होंने इसके बारे में सोचा, प्लान को समझा और कुछ बदलाव किए। रिचर्ड ने इसे ट्राई करने का फैसला किया। उनके (friends) साथियों ने उन्हें पागल कहा क्योंकि एक अच्छे प्लेन/हवाई जहाज़ में बहुत पैसा खर्च होता था।

रिचर्ड ने कुछ फ़ोन किए और किराए पर एक पुराने बोइंग 747 जंबो जेट को खोजने की कोशिश की। उन्होंने केवल एक साल के लिए इसे किराए पर लेने की योजना बनाई।  अंत में  लगभग $ 2 मिलियन खर्च का हिसाब बना। उस साल उनकी कमाई की तुलना में यह बहुत ज्यादा नहीं था।

उन्होंने हवाई जहाज़ की देखभाल करने वाले लोगों को काम पर रखा। क्योंकि वह बॉय जॉर्ज की  एल्बम में पैसा लगा रहे थे वो पॉप कलाकार के अच्छे दोस्त थे। इसे शुरू करने वाले दिन ,रिचर्ड ने बॉय जॉर्ज को उनके साथ रहने को कहा। इसकी मदद से वो अपनी एयरलाइन का नाम चारों तरफ फैलाना चाहते थे । उस दिन थोड़ी गड़बड़ हुई  लेकिन फिर भी काम हो गया।

अगर हम इसके बारे में सोचें  तो अगर कोई ऐसा खतरा लेना चाहता है, तो उन्हें कम से कम $ 60,000 डॉलर के खर्च के साथ एक हार्ड/मुश्किल  लेकिन अच्छी तरह से बनाये गए प्लान की ज़रुरत होगी।

लेकिन रिचर्ड ब्रैनसन के अनुसार अगर आप  खतरा उठाना चाहते हैं तो आपको शुरु के खर्चों को कम करने के लिए नए  तरीके सोचने की ज़रुरत होती है।
इसीलिए उन्होंने जेट खरीदने की जगह उसे किराए पर लिया, उन्होंने एक छोटी स्टाफ टीम को काम पर रखा , रिचर्ड उस समय के सबसे फेमस गायक के दोस्त थे।  इन सब की मदद से वर्जिन एयरलाइंस ने पहली सक्सेफुल उड़ान भरी।

अब, वर्जिन एयरलाइंस हर साल  लगभग $ 700 मिलियन कमा रही है और वो वहां रुके नहीं बल्कि और ये लोग आगे बढ़ गए।
रिचर्ड अब ब्रिटेन में अपने प्राइवेट खुद के आइलैंड /द्वीप में रहते हैं। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता अगर वो फेल हो जाते तो भी क्योंकि उन्होंने बहुत कम पैसा खर्च करके बिज़नेस शुरू किया था। रिचर्ड बहादुर और स्मार्ट हैं।जब तक आप अपने खर्च कम रखते हैं, और सही अवसर का इंतज़ार करते हैं, तो जीत पक्की  है।

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